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Protest Against China Map: मेयर ने रद्द की चीन की यात्रा, जानिए नेपाल में क्यों हो रहा है चीन के नक्शे का विरोध - Mayor Balen Shah cancelled visit to China

इस सप्ताह की शुरुआत में जारी चीन के नए 'मानक मानचित्र' के खिलाफ नेपाल में भी लोगों ने अपना विरोध जताया है (Protest Against China Map). बीजिंग द्वारा जारी नए नक्शे में पुराने नेपाल मानचित्र को बरकरार रखा है. उसने 2020 में तत्कालीन केपी ओली सरकार द्वारा जारी किए गए हिमालयी राष्ट्र के नए राजनीतिक मानचित्र को प्रतिबिंबित नहीं किया है. ईटीवी भारत के अरुणिम भुइयां की रिपोर्ट.

new China standard map
मेयर ने रद्द की चीन की यात्रा
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 1, 2023, 7:49 PM IST

नई दिल्ली: नेपाल में भी लोग इस सप्ताह की शुरुआत में जारी किए गए नए चीन मानक मानचित्र के विरोध में सामने आए हैं. नेपाली मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने चीन की निर्धारित पांच दिवसीय यात्रा रद्द कर दी, वहीं नेपाल छात्र संघ ने काठमांडू में चीनी दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन किया (Protest Against China Map).

बीजिंग ने 28 अगस्त को एक नया 'मानक मानचित्र' जारी किया जिसमें अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन के भारतीय क्षेत्रों को चीन के क्षेत्र के हिस्सों के रूप में दिखाया गया था. हालांकि यह कोई नई बात नहीं है, फिर भी नई दिल्ली ने चीन के समक्ष आधिकारिक विरोध दर्ज कराया है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक बयान में कहा, 'हमने आज चीन के तथाकथित 2023 'मानक मानचित्र' पर चीनी पक्ष के साथ राजनयिक चैनलों के माध्यम से कड़ा विरोध दर्ज कराया है जो भारत के क्षेत्र पर दावा करता है.'

उन्होंने कहा कि 'हम इन दावों को खारिज करते हैं क्योंकि इनका कोई आधार नहीं है. चीनी पक्ष के ऐसे कदम केवल सीमा प्रश्न के समाधान को जटिल बनाते हैं.'

हालांकि, इस बार जो नया है वह दक्षिण चीन सागर में नाइन-डैश लाइन को चीनी क्षेत्र के हिस्से के रूप में शामिल करना है. चीन दक्षिण चीन सागर में कई दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ क्षेत्रीय विवादों में शामिल है. नया नक्शा जारी होने के बाद मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और ताइवान ने आधिकारिक तौर पर अपना विरोध जताया है.

लेकिन, नेपाल में भी लोग चीन के नए 'मानक मानचित्र' का विरोध क्यों कर रहे हैं? : मामला 2020 का है जब तत्कालीन केपी ओली सरकार ने हिमालयी राष्ट्र का एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था. नवंबर 2019 में भारत ने कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों को शामिल करके एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था, जिस पर नेपाल दावा करता है. इसके साथ ही मानचित्र पर नेपाल की चिंताओं पर विचार करने से इनकार कर दिया. इस पर ओली सरकार ने मई 2020 में तीन क्षेत्रों को शामिल करके नेपाल के नए मानचित्र का अनावरण किया गया. इससे नेपाल मानचित्र के उत्तर-पश्चिमी कोने पर एक नुकीला उभार भी जुड़ गया. मानचित्र को आधिकारिक तौर पर देश की संसद द्वारा अनुमोदित किया गया था.

काठमांडू के एक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया, 'अगर आप नेपाल के नए राजनीतिक मानचित्र को देखें तो देश के उत्तर-पूर्व कोने में एक उंगली उभरी हुई है.' हालांकि नेपाल ने अभी तक आधिकारिक तौर पर चीन के समक्ष अपना विरोध दर्ज नहीं कराया है, लेकिन काठमांडू के मेयर शाह ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में घोषणा की कि वह विरोध में चीन की अपनी निर्धारित पांच दिवसीय यात्रा रद्द कर रहे हैं.

शाह ने फेसबुक और एक्स पर कहा, 'मैं नेपाली क्षेत्र को भारत का बताने के चीन के कदम को गलत मानता हूं.इसलिए, मैंने नैतिक आधार पर चीन के निमंत्रण पर पांच दिवसीय यात्रा पर नहीं जाने का फैसला किया है.'

ज्ञापन सौंपा : सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस की छात्र शाखा, नेपाल छात्र संघ ने भी गुरुवार को काठमांडू में चीन के दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और उत्तरी पड़ोसी पर अपने नए मानचित्र में नेपाल के वास्तविक क्षेत्रों को पहचानने में विफल रहने का आरोप लगाया. द काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, तख्तियां लिए छात्र नेताओं ने उत्तरी पड़ोसी से अपना नक्शा सही करने की मांग करते हुए नारे लगाए. उन्होंने अपनी मांग को लेकर दूतावास को एक ज्ञापन भी सौंपा.

इस बीच, नेपाल विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वे मानचित्र विवाद पर सामने आ रही स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं, लेकिन वे सरकार के रुख को सार्वजनिक करने में जल्दबाजी नहीं करेंगे.

काठमांडू पोस्ट ने अधिकारी के हवाले से कहा, 'मानचित्र विवाद प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की निर्धारित चीन यात्रा से ठीक पहले सामने आया है, इसलिए हम इस मामले को आगे बढ़ाने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन हम यह पता लगाने के बाद निश्चित रूप से इस पर कार्रवाई करेंगे कि क्या तत्कालीन ओली सरकार ने नया नक्शा जारी करने से पहले चीन के साथ संवाद किया था.'

सरकार की प्रवक्ता व नेपाल की सूचना और संचार मंत्री रेखा शर्मा ने कहा कि सरकार चीनी सरकार के साथ मानचित्र पर चर्चा के बाद अपनी स्थिति सार्वजनिक करेगी.

शर्मा ने कहा कि 'हम मामले को सुलझाने के लिए कूटनीति का सहारा लेंगे. हमारे आधिकारिक मानचित्र में एक नुकीला स्पर है और इसे संसद द्वारा सर्वसम्मति से समर्थन दिया गया था. हम उनसे पूछेंगे कि उन्होंने हमारे नए मानचित्र का उपयोग करने से परहेज क्यों किया.'

इस मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर, नेपाल विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव सेवा लम्साल ने कहा कि 'हम स्थिति से अवगत हैं.' हिमालयन टाइम्स ने उनके हवाले से कहा, 'यह एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है. इसलिए, हम अपना रुख तय करने के लिए मामले का अध्ययन कर रहे हैं. नक्शा विवाद की जानकारी मंत्रालय को है. हम संबंधित हितधारकों को जवाब देने के लिए मामले का अध्ययन कर रहे हैं. मामला राष्ट्रीय चिंता का है. इसलिए, हम अपनी स्थिति को समझने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन फिलहाल इस मामले पर हमारे पास कहने को ज्यादा कुछ नहीं है.'

लम्साल ने कहा कि नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कुमार दहल की जल्द ही होने वाली चीन यात्रा के दौरान, मानचित्र मुद्दा संभवतः 'चर्चा के प्रमुख विषयों में से एक' होगा. काठमांडू के लिए चिंता का विषय यह है कि न तो इसके दक्षिणी पड़ोसी और न ही इसके उत्तरी पड़ोसी ने नेपाल के नए राजनीतिक मानचित्र का समर्थन किया है.

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बीजिंग ने 28 अगस्त को एक नया 'मानक मानचित्र' जारी किया जिसमें अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन के भारतीय क्षेत्रों को चीन के क्षेत्र के हिस्सों के रूप में दिखाया गया था. हालांकि यह कोई नई बात नहीं है, फिर भी नई दिल्ली ने चीन के समक्ष आधिकारिक विरोध दर्ज कराया है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक बयान में कहा, 'हमने आज चीन के तथाकथित 2023 'मानक मानचित्र' पर चीनी पक्ष के साथ राजनयिक चैनलों के माध्यम से कड़ा विरोध दर्ज कराया है जो भारत के क्षेत्र पर दावा करता है.'

उन्होंने कहा कि 'हम इन दावों को खारिज करते हैं क्योंकि इनका कोई आधार नहीं है. चीनी पक्ष के ऐसे कदम केवल सीमा प्रश्न के समाधान को जटिल बनाते हैं.'

हालांकि, इस बार जो नया है वह दक्षिण चीन सागर में नाइन-डैश लाइन को चीनी क्षेत्र के हिस्से के रूप में शामिल करना है. चीन दक्षिण चीन सागर में कई दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ क्षेत्रीय विवादों में शामिल है. नया नक्शा जारी होने के बाद मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और ताइवान ने आधिकारिक तौर पर अपना विरोध जताया है.

लेकिन, नेपाल में भी लोग चीन के नए 'मानक मानचित्र' का विरोध क्यों कर रहे हैं? : मामला 2020 का है जब तत्कालीन केपी ओली सरकार ने हिमालयी राष्ट्र का एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था. नवंबर 2019 में भारत ने कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों को शामिल करके एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था, जिस पर नेपाल दावा करता है. इसके साथ ही मानचित्र पर नेपाल की चिंताओं पर विचार करने से इनकार कर दिया. इस पर ओली सरकार ने मई 2020 में तीन क्षेत्रों को शामिल करके नेपाल के नए मानचित्र का अनावरण किया गया. इससे नेपाल मानचित्र के उत्तर-पश्चिमी कोने पर एक नुकीला उभार भी जुड़ गया. मानचित्र को आधिकारिक तौर पर देश की संसद द्वारा अनुमोदित किया गया था.

काठमांडू के एक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया, 'अगर आप नेपाल के नए राजनीतिक मानचित्र को देखें तो देश के उत्तर-पूर्व कोने में एक उंगली उभरी हुई है.' हालांकि नेपाल ने अभी तक आधिकारिक तौर पर चीन के समक्ष अपना विरोध दर्ज नहीं कराया है, लेकिन काठमांडू के मेयर शाह ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में घोषणा की कि वह विरोध में चीन की अपनी निर्धारित पांच दिवसीय यात्रा रद्द कर रहे हैं.

शाह ने फेसबुक और एक्स पर कहा, 'मैं नेपाली क्षेत्र को भारत का बताने के चीन के कदम को गलत मानता हूं.इसलिए, मैंने नैतिक आधार पर चीन के निमंत्रण पर पांच दिवसीय यात्रा पर नहीं जाने का फैसला किया है.'

ज्ञापन सौंपा : सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस की छात्र शाखा, नेपाल छात्र संघ ने भी गुरुवार को काठमांडू में चीन के दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और उत्तरी पड़ोसी पर अपने नए मानचित्र में नेपाल के वास्तविक क्षेत्रों को पहचानने में विफल रहने का आरोप लगाया. द काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, तख्तियां लिए छात्र नेताओं ने उत्तरी पड़ोसी से अपना नक्शा सही करने की मांग करते हुए नारे लगाए. उन्होंने अपनी मांग को लेकर दूतावास को एक ज्ञापन भी सौंपा.

इस बीच, नेपाल विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वे मानचित्र विवाद पर सामने आ रही स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं, लेकिन वे सरकार के रुख को सार्वजनिक करने में जल्दबाजी नहीं करेंगे.

काठमांडू पोस्ट ने अधिकारी के हवाले से कहा, 'मानचित्र विवाद प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की निर्धारित चीन यात्रा से ठीक पहले सामने आया है, इसलिए हम इस मामले को आगे बढ़ाने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन हम यह पता लगाने के बाद निश्चित रूप से इस पर कार्रवाई करेंगे कि क्या तत्कालीन ओली सरकार ने नया नक्शा जारी करने से पहले चीन के साथ संवाद किया था.'

सरकार की प्रवक्ता व नेपाल की सूचना और संचार मंत्री रेखा शर्मा ने कहा कि सरकार चीनी सरकार के साथ मानचित्र पर चर्चा के बाद अपनी स्थिति सार्वजनिक करेगी.

शर्मा ने कहा कि 'हम मामले को सुलझाने के लिए कूटनीति का सहारा लेंगे. हमारे आधिकारिक मानचित्र में एक नुकीला स्पर है और इसे संसद द्वारा सर्वसम्मति से समर्थन दिया गया था. हम उनसे पूछेंगे कि उन्होंने हमारे नए मानचित्र का उपयोग करने से परहेज क्यों किया.'

इस मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर, नेपाल विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव सेवा लम्साल ने कहा कि 'हम स्थिति से अवगत हैं.' हिमालयन टाइम्स ने उनके हवाले से कहा, 'यह एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है. इसलिए, हम अपना रुख तय करने के लिए मामले का अध्ययन कर रहे हैं. नक्शा विवाद की जानकारी मंत्रालय को है. हम संबंधित हितधारकों को जवाब देने के लिए मामले का अध्ययन कर रहे हैं. मामला राष्ट्रीय चिंता का है. इसलिए, हम अपनी स्थिति को समझने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन फिलहाल इस मामले पर हमारे पास कहने को ज्यादा कुछ नहीं है.'

लम्साल ने कहा कि नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कुमार दहल की जल्द ही होने वाली चीन यात्रा के दौरान, मानचित्र मुद्दा संभवतः 'चर्चा के प्रमुख विषयों में से एक' होगा. काठमांडू के लिए चिंता का विषय यह है कि न तो इसके दक्षिणी पड़ोसी और न ही इसके उत्तरी पड़ोसी ने नेपाल के नए राजनीतिक मानचित्र का समर्थन किया है.

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