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क्या वजह है कि बिहार के इस गांव में प्याज-लहसुन खाने पर लगी है पाबंदी? - जहानाबाद जिले का चिरी पंचायत

बिहार के IITians वाले गांव के बारे में तो हम सब ने पढ़ा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा गांव है जहां प्याज लहसुन पर पाबंदी है? आपको सुनकर थोड़ा अजीब लगा न. चौंकिये नहीं इस खबर को पढ़िए..

ONION GARLIC BAN IN BIHAR VILLAGE
प्याज-लहसुन खाने पर लगी है पाबंदी
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Published : Mar 31, 2022, 8:38 PM IST

जहानाबाद : बिहार के जहानाबाद जिले के चिरी पंचायत (Jehanabad Chiri Panchayat) में एक ऐसा गांव है जहां बेहद अजीब सा नियम है. जहानाबाद जिला मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर त्रिलोकी बिगहा गांव (Triloki Bigha Village At Jehanabad bihar) में लोग प्याज लहसुन नहीं खाते. यही नहीं गांव में रह रहे परिवार बाजार से प्याज लहसुन खरीदते भी नहीं हैं. इस तरह गांव में प्याज-लहसुन खाने पर पूरी तरह से पाबंदी है. लेकिन ऐसा क्यों है, इसके पीछे की वजह क्या है. आइए समझते हैं (why onion garlic ban in triloki bigha village).

सालों से नहीं खाया प्याज-लहसुन: दरअसल, गांव में प्याज-लहसुन न खाने से किसी को आपत्ति नहीं है. सालों से चली आ रही परंपरा निभानी है तो निभानी है. गांव में रहने वाला हर एक सदस्य इस नियम का पालन करता है. गांव के बुजुर्गों का कहना है कि सदियों से इस गांव के लोगों ने प्याज-लहसुन नहीं खाया. यहीं नहीं इस गांव के लोग न मीट-मछली खाते हैं और न ही शराब को हाथ लगाते हैं.

खास रिपोर्ट

प्याज-लहसुन न खाने की वजह ? : ग्रामीणों की मानें (Interesting Facts About Triloki Bigha Village) तो लोगों ने यहां सदियों पहले प्याज-लहसुन खाना छोड़ दिया था, क्योंकि यहां भगवान विष्णु का मंदिर है. आज भी पुरखों द्वारा बनाया गया ये नियम लोग खुशी से निभाते हैं. ग्रामीणों का ये भी कहना है कि जिन ग्रामीणों ने प्याज-लहसुन खाया, उनके साथ कुछ न कुछ अनहोनी हुई. ऐसी घटनाओं की संख्या जब बढ़ने लगी तब इस गांव ने पूरी तरह से प्याज-लहसुन खाना छोड़ दिया.

गांव की महिलाएं बताती हैं कि 'शुरू से ही हमलोग प्याज-लहसुन नहीं खाते हैं. किसी की यहां पर मौत हो गई थी इसलिए नहीं खाते हैं. सास-ससुर ही हमलोगों को बोले थे. काफी पहले से यह चला आ रहा है. यहां ठाकुरबाड़ी है. इसलिए मीट-मछली लहसुन-प्याज कोई नहीं खाता है. यहां पर एक बूढ़ी महिला ने खाया था तो उन्हें डायरिया हो गया था, इसलिए कोई नहीं खाता है..'

'हमारे पुरखों के समय से कोई लहसुन-प्याज नहीं खाता है. अगर कोई खाने की कोशिश करता है तो उसे नुकसान पहुंचता है. यहां मठ है, लहसुन-प्याज, दारू-शराब कोई नहीं खाता-पीता यहां. न ही किसी के घर पर बनता है. अगर कोई खा लेता है तो क्षति हो जाती है. बाबा, दादा, परदादा.. पुरखों से यह परंपरा चली आ रही है. कहा जाता है कि कोई बाहर से खा-पीकर आया था. नहाया धोया नहीं था. इसके बाद बीमारी से उसकी मौत हो गई थी. ठाकुरबाड़ी है.. भगवान कृष्ण की मूर्ति है, ताड़ी तक कोई नहीं पीता है.' - स्थानीय निवासी

पढ़ें- UPSC सिविल सेवा परीक्षा : कोरोना संक्रमित उम्मीदवारों को मौका देने पर दोबारा विचार करे केंद्र

पढ़ें- महाराष्ट्र, बंगाल और दिल्ली में मास्क अनिवार्य नहीं, हटाई गईं कोरोना वाली पाबंदियां

जहानाबाद : बिहार के जहानाबाद जिले के चिरी पंचायत (Jehanabad Chiri Panchayat) में एक ऐसा गांव है जहां बेहद अजीब सा नियम है. जहानाबाद जिला मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर त्रिलोकी बिगहा गांव (Triloki Bigha Village At Jehanabad bihar) में लोग प्याज लहसुन नहीं खाते. यही नहीं गांव में रह रहे परिवार बाजार से प्याज लहसुन खरीदते भी नहीं हैं. इस तरह गांव में प्याज-लहसुन खाने पर पूरी तरह से पाबंदी है. लेकिन ऐसा क्यों है, इसके पीछे की वजह क्या है. आइए समझते हैं (why onion garlic ban in triloki bigha village).

सालों से नहीं खाया प्याज-लहसुन: दरअसल, गांव में प्याज-लहसुन न खाने से किसी को आपत्ति नहीं है. सालों से चली आ रही परंपरा निभानी है तो निभानी है. गांव में रहने वाला हर एक सदस्य इस नियम का पालन करता है. गांव के बुजुर्गों का कहना है कि सदियों से इस गांव के लोगों ने प्याज-लहसुन नहीं खाया. यहीं नहीं इस गांव के लोग न मीट-मछली खाते हैं और न ही शराब को हाथ लगाते हैं.

खास रिपोर्ट

प्याज-लहसुन न खाने की वजह ? : ग्रामीणों की मानें (Interesting Facts About Triloki Bigha Village) तो लोगों ने यहां सदियों पहले प्याज-लहसुन खाना छोड़ दिया था, क्योंकि यहां भगवान विष्णु का मंदिर है. आज भी पुरखों द्वारा बनाया गया ये नियम लोग खुशी से निभाते हैं. ग्रामीणों का ये भी कहना है कि जिन ग्रामीणों ने प्याज-लहसुन खाया, उनके साथ कुछ न कुछ अनहोनी हुई. ऐसी घटनाओं की संख्या जब बढ़ने लगी तब इस गांव ने पूरी तरह से प्याज-लहसुन खाना छोड़ दिया.

गांव की महिलाएं बताती हैं कि 'शुरू से ही हमलोग प्याज-लहसुन नहीं खाते हैं. किसी की यहां पर मौत हो गई थी इसलिए नहीं खाते हैं. सास-ससुर ही हमलोगों को बोले थे. काफी पहले से यह चला आ रहा है. यहां ठाकुरबाड़ी है. इसलिए मीट-मछली लहसुन-प्याज कोई नहीं खाता है. यहां पर एक बूढ़ी महिला ने खाया था तो उन्हें डायरिया हो गया था, इसलिए कोई नहीं खाता है..'

'हमारे पुरखों के समय से कोई लहसुन-प्याज नहीं खाता है. अगर कोई खाने की कोशिश करता है तो उसे नुकसान पहुंचता है. यहां मठ है, लहसुन-प्याज, दारू-शराब कोई नहीं खाता-पीता यहां. न ही किसी के घर पर बनता है. अगर कोई खा लेता है तो क्षति हो जाती है. बाबा, दादा, परदादा.. पुरखों से यह परंपरा चली आ रही है. कहा जाता है कि कोई बाहर से खा-पीकर आया था. नहाया धोया नहीं था. इसके बाद बीमारी से उसकी मौत हो गई थी. ठाकुरबाड़ी है.. भगवान कृष्ण की मूर्ति है, ताड़ी तक कोई नहीं पीता है.' - स्थानीय निवासी

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