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क्यों न जयललिता मौत मामले में गठित आयोग से जल्द रिपोर्ट के लिए कहा जाए : मद्रास उच्च न्यायालय - पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक सरकार

मद्रास उच्च न्यायालय ने मौखिक टिप्पणी की कि क्यों न पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत की परिस्थितियों की जांच करने के लिए न्यायमूर्ति ए अरुमुगास्वामी की अध्यक्षता में गठित आयोग से जल्द रिपोर्ट के लिए कहा जाए.

मद्रास उच्च न्यायालय
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Published : Jul 2, 2021, 9:11 PM IST

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मौखिक टिप्पणी की कि क्यों न पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत की परिस्थितियों की जांच करने के लिए न्यायमूर्ति ए अरुमुगास्वामी की अध्यक्षता में गठित आयोग से तीन महीने के भीतर अंतिम रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा जाए.

इस आयोग का गठन पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक सरकार ने 75 दिनों तक यहां के अपोलो अस्पताल में भर्ती रहने के बाद पांच दिसंबर 2016 को जे जयललिता की हुई मौत की परिस्थितियों की जांच करने के लिए किया था.

मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की पीठ ने चेन्नई के अधिवक्ता थोंडन सुब्रमणि की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह मौखिक टिप्पणी की. इस याचिका में याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह राज्य सरकार को सितंबर 2017 में गठित आयोग का कार्य समाप्त करने का निर्देश दें.

याचिकाकर्ता के मुताबिक, आयोग को जांच पूरी कर तीन महीने में रिपोर्ट देनी थी, लेकिन उसका कार्यकाल समय-समय पर बढ़ाया जा रहा है. इस बीच, अपोलो अस्पताल ने आयोग द्वारा जांच के औचित्य पर सवाल उठाते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था.

पढ़ें - अगर मंत्री सही नहीं, तो प्रधानमंत्री इस संबंध में कार्रवाई करेंगे, कोर्ट कुछ नहीं कर सकती: SC

उसने एक और याचिका दाखिल की और शीर्ष अदालत ने वर्ष 2019 में अंतरिम आदेश पारित कर आयोग को आगे की कार्रवाई करने से रोक दिया. मामले पर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब तलब किया है.

(पीटीआई-भाषा)

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मौखिक टिप्पणी की कि क्यों न पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत की परिस्थितियों की जांच करने के लिए न्यायमूर्ति ए अरुमुगास्वामी की अध्यक्षता में गठित आयोग से तीन महीने के भीतर अंतिम रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा जाए.

इस आयोग का गठन पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक सरकार ने 75 दिनों तक यहां के अपोलो अस्पताल में भर्ती रहने के बाद पांच दिसंबर 2016 को जे जयललिता की हुई मौत की परिस्थितियों की जांच करने के लिए किया था.

मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की पीठ ने चेन्नई के अधिवक्ता थोंडन सुब्रमणि की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह मौखिक टिप्पणी की. इस याचिका में याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह राज्य सरकार को सितंबर 2017 में गठित आयोग का कार्य समाप्त करने का निर्देश दें.

याचिकाकर्ता के मुताबिक, आयोग को जांच पूरी कर तीन महीने में रिपोर्ट देनी थी, लेकिन उसका कार्यकाल समय-समय पर बढ़ाया जा रहा है. इस बीच, अपोलो अस्पताल ने आयोग द्वारा जांच के औचित्य पर सवाल उठाते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था.

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उसने एक और याचिका दाखिल की और शीर्ष अदालत ने वर्ष 2019 में अंतरिम आदेश पारित कर आयोग को आगे की कार्रवाई करने से रोक दिया. मामले पर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब तलब किया है.

(पीटीआई-भाषा)

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