जयपुर : महाराष्ट्र में कोविड-19 मरीजों के एक अस्पताल में आग लगने से 15 मरीजों की मौत हो गई. जयपुर में भी जिम्मेदार इसी तरह के किसी हादसे का इंतजार कर रहे हैं. क्योंकि आरयूएचएस के पास फायर एनओसी नहीं होना और बीलवा में बने नए सेंटर पर फायर फाइटिंग सिस्टम न लगाना तो यही संकेत करता है.
कोरोना पॉजिटिव मरीज अपने घर से दूर कोविड केयर सेंटर में जिंदगी से जंग लड़ता है. उपचार के दौरान यही सेंटर यदि किसी दूसरे हादसे को न्योता दे, तो सवाल उठने लाजमी हो जाते हैं. महाराष्ट्र के विरार में स्थित एक अस्पताल में एक नहीं दो नहीं बल्कि 15 लोगों की जान चली गई. उन लोगों की जान कोरोना की वजह से नहीं, बल्कि शॉर्टसर्किट से गई.
अब बात करते हैं राजस्थान की राजधानी जयपुर की. यहां हर दिन कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 3000 के पार जा रहा है. हालांकि प्रदेश सरकार कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए तमाम जद्दोजहद कर रही है और अब बीलवा के राधा स्वामी सत्संग भवन में कोविड केयर सेंटर भी बनाया गया है. जहां उन मरीजों को बेड और उपचार मिलेगा. जिन्हें अस्पताल में जगह नहीं मिली हो. यहां तमाम व्यवस्थाओं का खास ध्यान रखा गया है.
बेड के साथ-साथ यहां भोजन, ऑक्सीजन और स्वच्छता का भी विशेष इंतजाम किया गया है. लेकिन इन इंतजामों के बीच जेडीए, जिला प्रशासन और निगम प्रशासन फायर इक्विपमेंट की व्यवस्था करना भूल गया है. ईटीवी भारत कोविड केयर सेंटर पहुंचा तो सामने आया कि यहां शेड के नीचे मरीजों के लिए बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर और दूसरे इंतजाम किए गए हैं. यही नहीं मरीजों को गर्मी से बचाने के लिए शेड से लटकाते हुए पंखे, और हर दो बेड के बीच एक पंखे की व्यवस्था की गई है. क्योंकि ये एक ओपन स्पेस था, इस वजह से इलेक्ट्रिसिटी की व्यवस्था यहां बिछाए गए कारपेट के नीचे से की की गई है.
इसके अलावा रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था और भजन आदि के लिए स्पीकर भी लगाए गए हैं, लेकिन इन सबके बीच पूरे सेंटर में कहीं भी फायर इक्विपमेंट नहीं लगाया गया. हालांकि कोविड केयर सेंटर की व्यवस्था देख रहे, ग्रेटर नगर निगम प्रशासन की ओर से मेयर का कहना है कि यहां 24 घंटे फायर वाहन खड़ा किया जाएगा. जो फिलहाल नदारद मिला. उन्होंने फायर एक्सटिंग्विशर नहीं होने की बात स्वीकारते हुए कहा कि यहां प्रत्येक वार्ड के पास एक्सटिंग्विशर होना चाहिए.
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उधर, आरयूएचएस अस्पताल में मरीजों का उपचार किया जा रहा है, लेकिन निगम से मिली जानकारी के अनुसार अस्पताल के पास फायर एनओसी नहीं है. इसी कारण अस्पताल प्रशासन को नोटिस भी दिया गया है.
हालांकि अब राज्य सरकार के निर्देश पर आरयूएचएस के अलावा भी प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना मरीजों का इलाज किया जा रहा है. जानकारी के अनुसार महात्मा गांधी, फोर्टीज, सीके बिरला जैसे अस्पतालों में भी कोरोना मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे हैं. इन अस्पतालों के द्वारा फायर एनओसी भी ली गई है, लेकिन बड़ा सवाल ये कि प्राइवेट अस्पतालों पर नकेल कसने वाले निगम प्रशासन ने अब तक सरकारी तंत्र से जुड़े कोविड केयर सेंटर और अस्पताल की सुध क्यों नहीं ली.