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Kufri: कभी होती थी फिल्मों की शूटिंग, अब घोड़ों की लीद और बदबू के लिए बदनाम हुई कुफरी, एनजीटी के एक आदेश से मचा हडकंप - Himachal High Court

Kufri Tourist Place: कुफरी हिमाचल प्रदेश का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है. हर साल हजारों सैलानी कुफरी की सैर के लिए पहुंचते हैं. कई मशहूर फिल्मी गानों की शूटिंग भी कुफरी में हुई है, लेकिन आजकल कुफरी घोड़ों की लीद व बदबू के लिए चर्चा में बना हुआ है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कुफरी में घोड़ों की संख्या सीमित करने के आदेश जारी किए हैं.

Kufri Tourist Place
हिमाचल प्रदेश का पर्यटन स्खल कुफरी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 9, 2023, 12:22 PM IST

शिमला: ब्रिटिश हुकूमत के दौरान देश की समर कैपिटल शिमला की सैर को आए सैलानियों को अक्सर ये सुनने को मिलता है कि कुफरी की सैर नहीं की तो क्या खाक घूमे. कुफरी की सैर के बिना पर्यटकों की शिमला यात्रा अधूरी समझी जाती थी. सैलानी भी उस जगह को देखने की जिज्ञासा लिए कुफरी चले आते थे, जहां कई फिल्मों की शूटिंग हुई. यहां सीपीआरआई यानी सेंट्रल पोटैटो रिसर्च इंस्टीट्यूट के आलू के खेत है.

कुफरी में हुई है कई गानों की शूटिंग: सीपीआरआई के स्वामित्व वाले इन ढलानदार खेतों में कई फिल्मों के गाने फिल्माए गए हैं. प्यार झुकता नहीं से लेकर बैंग-बैंग और मनमर्जियां जैसी कई फिल्मों के दृश्य कुफरी में शूट किए गए. शम्मी कपूर की विख्यात फिल्म जंगली का गाना 'याहू याहू, चाहे कोई मुझे जंगली कहे' भी कुफरी में फिल्माया गया. पहले ये कश्मीर में फिल्माया जाना था, लेकिन वहां पर्याप्त बर्फ न होने के बाद फिल्म यूनिट कुफरी आई और यहां शम्मी कपूर भारी बर्फबारी देखकर प्रसन्न हो गए थे.

Kufri Tourist Place
कुफरी की खूबसूरत वादियां (फाइल फोटो)

घोड़ों की संख्या सीमित करने के आदेश: देवदार के पेड़ों से घिरा ये सुरम्य पर्यटन स्थल अपनी फिल्मी लोकेशन के लिए विख्यात रहा है, लेकिन इन दिनों कुफरी घोड़ों की लीद व बदबू के लिए चर्चा में है. कारण ये है कि कुफरी, महासू पीक व चीनीबंगला में सैलानियों को सैर करवाने वाले घोड़ा संचालकों को यहां घोड़ों की संख्या सीमित करने का आदेश आया है. यहां अभी कुफरी व आसपास की पंचायतों के 12 गांवों के लोग 1029 घोड़ों के जरिए सैलानियों को कुफरी से महासू पीक की सैर करवा रहे हैं. अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इनकी संख्या 217 तक सीमित करने के आदेश दिए हैं.

NGT Directs Restricting Number of Horses in Kufri
कुफरी में घोड़ों की संख्या पर एनजीटी का आदेश (फाइल फोटो)

घोड़ा संचालकों में रोष: एनजीटी के आदेश के बाद वन विभाग के ठियोग डिवीजन के डीएफओ ने लिखित आदेश पारित कर घोड़ों की संख्या सीमित कर दी है. इससे घोड़ा संचालकों में रोष है. उनका कहना है कि यहां बरसों से आसपास के इलाकों के युवा स्वरोजगार के जरिए अपना परिवार पाल रहे हैं. वे इस बात को नकारते हैं कि घोड़ों के कारण यहां पर्यावरण खराब हो रहा है. वहीं, राज्य सरकार के मंत्री अनिरुद्ध सिंह कहते हैं कि कानून के दायरे में रहते हुए इस गतिरोध का कोई न कोई हल निकाला जाएगा. आइए जानते हैं कि कुफरी क्यों मशहूर है और किस कारण देश भर के सैलानियों यहां आकर्षित होकर चले आते हैं.

Kufri Tourist Place History in Himachal Pradesh
1819 में हुई थी कुफरी की खोज (फाइल फोटो)

दो सदी पुराना है ये खूबसूरत स्थान: बताया जाता है कि ब्रिटिश हुकूमत के समय 1819 में कुफरी की खोज हुई थी. कुफरी शब्द कुफर से बना है, जिसका अर्थ तालाब नुमा झील से लगाया जाता है. कुफरी शिमला से 25 किलोमीटर दूर है. ये समुद्र तल से 8600 फीट की ऊंचाई पर है. यहां केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान स्थित है और संस्थान के ढलानदार खेत यहां की सुंदरता को बढ़ाते हैं. कुफरी से ही मशहूर पर्यटन स्थल चायल के लिए रास्ता जाता है. कुफरी से चायल की दूरी 26 किलोमीटर है. कुफरी का सबसे बड़ा आकर्षण यहां से महासू पीक तक घोड़े की सवारी के रूप में है. इसी के आकर्षण में सैलानी खिंचे चले आते हैं. धीरे-धीरे रोजगार बढ़ा तो आसपास के इलाकों के युवा यहां रोजगार कमाने आ गए. घोड़ों की संख्या बढ़ती चली गई. वैसे तो जिला शिमला प्रशासन के पास 1029 घोड़े पंजीकृत हैं, लेकिन बताया जाता है कि यहां 1500 से अधिक घोड़े चलते हैं. इससे चार से पांच हजार लोगों को रोजगार मिलता है.

NGT Directs Restricting Number of Horses in Kufri
कुफरी में घोड़ों की संख्या सीमित करने के आदेश (फाइल फोटो)

7 साल पहले भी हो चुका है विवाद: कुफरी में घोड़ों की संख्या और उनकी लीद के कारण बदबू को लेकर पहले भी विवाद हो चुका है. हिमाचल हाई कोर्ट में इस संदर्भ में एक याचिका भी दाखिल की गई थी. कुफरी के ही रहने वाले राकेश मेहता नामक शख्स ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर अदालत से यहां घोड़ों की संख्या सीमित करने और व्यवस्था कायम करने की गुहार लगाई गई थी. उस समय घोड़ों की संख्या पांच सौ तय की गई थी, लेकिन राकेश मेहता का कहना था कि इनकी संख्या 900 से अधिक है. उन्होंने घोड़ों के कारण फैल रही गंदगी से निजात दिलाने के लिए हिमाचल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम पत्र लिखा था, जिसे जनहित याचिका मानकर अदालत ने राज्य सरकार, मुख्य सचिव, डीसी शिमला व अन्य अफसरों को निजी तौर पर तलब किया था. तब हिमाचल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मंसूर अहमद मीर थे. ये मामला दिसंबर 2016 का था. हाई कोर्ट ने विभिन्न निर्देश दिए थे, लेकिन बाद में स्थितियां फिर से वैसी ही हो गई.

Kufri Tourist Place
पर्यटन स्थल कुफरी की खूबसूरती (फाइल फोटो)

कुफरी पुनर्विकास योजना: इस साल भी हिमाचल हाई कोर्ट ने कुफरी की पुनर्विकास योजना को लागू न करने के संदर्भ में संज्ञान लिया गया था. कुफरी में 50 करोड़ रुपए की लागत से 1500 घोड़ों के लिए अस्तबल बनाया जाना प्रस्तावित है, लेकिन मामला सिरे नहीं चढ़ा है. घोड़ों की लीद से गैस संयंत्र स्थापित करने का भी विचार है. मीथेन गैस के उत्पादन का दावा किया गया था, लेकिन ये भी सिरे नहीं चढ़ा है. इसके लिए सीपीआरआई से एनओसी की दरकार है. इस साल मार्च महीने में हिमाचल हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया कि हीलिंग हिमालय फाउंडेशन ने कुफरी में गोबर गैस संयंत्र बनाने के लिए हामी भरी है. पहले राजस्थान की एक कंपनी को इसका ठेका दिया गया था. वर्ष 2018 में इस प्रोजेक्ट की कीमत 250 लाख रुपये रखी गई थी, परंतु कंपनी ने इसका निर्माण नहीं किया और प्रशासन ने करार को निरस्त कर दिया.

NGT Directs Restricting Number of Horses in Kufri
कुफरी में बर्फ के बीच घुड़सवारी का मजा लेते सैलानी (फाइल फोटो)

हीलिंग हिमाचल फाउंडेशन और राज्य सरकार में करार: अब हीलिंग हिमालय फाउंडेशन के साथ राज्य सरकार ने कुफरी में गोबर गैस संयंत्र प्रोजेक्ट को बनाने का करार किया गया है. सरकार ने अदालत को बताया कि महत्वाकांक्षी पुनर्विकास परियोजना के लिए कुफरी की स्की ढलानों को पुनर्जीवित करने के साथ इसे घोड़ों की लीद से भी मुक्त किया जाएगा. इसके लिए सीपीआरआई से प्रस्तावित भूमि का एनओसी चाहिए है. सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि शिमला जिला प्रशासन ने चीनी बांग्ला के पास एक हेक्टेयर भूमि की पहचान की थी, ताकि घोड़े के गोबर से बनने वाली गैस प्लांट और ग्रामीण हाट बनाया जा सके. मामला एनजीटी के समक्ष भी था और ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश से ही यहां अब घोड़ों की संख्या को सीमित किया गया है.

NGT Directs Restricting Number of Horses in Kufri
कुफरी में घुड़सवारी करते सैलानी (फाइल फोटो)

'क्रशर व मिक्सर प्लांट से हो रहा प्रदूषण': वहीं, कुफरी के घोड़ा संचालकों का कहना है कि परेशानी लीद से नहीं है. अगर प्रदूषण की बात की जाए तो कुफरी के समीप लंबीधार में स्थापित क्रशर व मिक्सर प्लांट से निकलने वाले धुएं से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. घोड़ा संचालकों का कहना है कि घोड़े तो राजाओं के समय से चल रहे हैं. घोड़ा संचालक खुद भी नियमित अंतराल पर पौधे लगाते हैं. सैलानियों को घोड़ों की सैर करवाने से यहां हजारों लोगों का रोजगार चल रहा है. सरकार को उनकी परेशानी का हल निकालना चाहिए. यदि घोड़ों की संख्या सीमित ही करनी है तो उसे 750 तक किया जा सकता है. उसके लिए घोड़ा संचालक यूनियन भी सहमत हो जाएगी, लेकिन 217 की संख्या करने से यहां अराजकता फैलेगी. ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह का कहना है कि वो इस समस्या के समाधान के लिए सरकार से बात करेंगे. मामले का सर्वमान्य हल निकाला जाएगा, ताकि किसी का रोजगार प्रभावित न हो.

ये भी पढ़ें: सर्दियों के मौसम में घूमने का मन बना रहे हैं तो हिमाचल के इन डेस्टिनेशन की कर सकते हैं सैर

शिमला: ब्रिटिश हुकूमत के दौरान देश की समर कैपिटल शिमला की सैर को आए सैलानियों को अक्सर ये सुनने को मिलता है कि कुफरी की सैर नहीं की तो क्या खाक घूमे. कुफरी की सैर के बिना पर्यटकों की शिमला यात्रा अधूरी समझी जाती थी. सैलानी भी उस जगह को देखने की जिज्ञासा लिए कुफरी चले आते थे, जहां कई फिल्मों की शूटिंग हुई. यहां सीपीआरआई यानी सेंट्रल पोटैटो रिसर्च इंस्टीट्यूट के आलू के खेत है.

कुफरी में हुई है कई गानों की शूटिंग: सीपीआरआई के स्वामित्व वाले इन ढलानदार खेतों में कई फिल्मों के गाने फिल्माए गए हैं. प्यार झुकता नहीं से लेकर बैंग-बैंग और मनमर्जियां जैसी कई फिल्मों के दृश्य कुफरी में शूट किए गए. शम्मी कपूर की विख्यात फिल्म जंगली का गाना 'याहू याहू, चाहे कोई मुझे जंगली कहे' भी कुफरी में फिल्माया गया. पहले ये कश्मीर में फिल्माया जाना था, लेकिन वहां पर्याप्त बर्फ न होने के बाद फिल्म यूनिट कुफरी आई और यहां शम्मी कपूर भारी बर्फबारी देखकर प्रसन्न हो गए थे.

Kufri Tourist Place
कुफरी की खूबसूरत वादियां (फाइल फोटो)

घोड़ों की संख्या सीमित करने के आदेश: देवदार के पेड़ों से घिरा ये सुरम्य पर्यटन स्थल अपनी फिल्मी लोकेशन के लिए विख्यात रहा है, लेकिन इन दिनों कुफरी घोड़ों की लीद व बदबू के लिए चर्चा में है. कारण ये है कि कुफरी, महासू पीक व चीनीबंगला में सैलानियों को सैर करवाने वाले घोड़ा संचालकों को यहां घोड़ों की संख्या सीमित करने का आदेश आया है. यहां अभी कुफरी व आसपास की पंचायतों के 12 गांवों के लोग 1029 घोड़ों के जरिए सैलानियों को कुफरी से महासू पीक की सैर करवा रहे हैं. अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इनकी संख्या 217 तक सीमित करने के आदेश दिए हैं.

NGT Directs Restricting Number of Horses in Kufri
कुफरी में घोड़ों की संख्या पर एनजीटी का आदेश (फाइल फोटो)

घोड़ा संचालकों में रोष: एनजीटी के आदेश के बाद वन विभाग के ठियोग डिवीजन के डीएफओ ने लिखित आदेश पारित कर घोड़ों की संख्या सीमित कर दी है. इससे घोड़ा संचालकों में रोष है. उनका कहना है कि यहां बरसों से आसपास के इलाकों के युवा स्वरोजगार के जरिए अपना परिवार पाल रहे हैं. वे इस बात को नकारते हैं कि घोड़ों के कारण यहां पर्यावरण खराब हो रहा है. वहीं, राज्य सरकार के मंत्री अनिरुद्ध सिंह कहते हैं कि कानून के दायरे में रहते हुए इस गतिरोध का कोई न कोई हल निकाला जाएगा. आइए जानते हैं कि कुफरी क्यों मशहूर है और किस कारण देश भर के सैलानियों यहां आकर्षित होकर चले आते हैं.

Kufri Tourist Place History in Himachal Pradesh
1819 में हुई थी कुफरी की खोज (फाइल फोटो)

दो सदी पुराना है ये खूबसूरत स्थान: बताया जाता है कि ब्रिटिश हुकूमत के समय 1819 में कुफरी की खोज हुई थी. कुफरी शब्द कुफर से बना है, जिसका अर्थ तालाब नुमा झील से लगाया जाता है. कुफरी शिमला से 25 किलोमीटर दूर है. ये समुद्र तल से 8600 फीट की ऊंचाई पर है. यहां केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान स्थित है और संस्थान के ढलानदार खेत यहां की सुंदरता को बढ़ाते हैं. कुफरी से ही मशहूर पर्यटन स्थल चायल के लिए रास्ता जाता है. कुफरी से चायल की दूरी 26 किलोमीटर है. कुफरी का सबसे बड़ा आकर्षण यहां से महासू पीक तक घोड़े की सवारी के रूप में है. इसी के आकर्षण में सैलानी खिंचे चले आते हैं. धीरे-धीरे रोजगार बढ़ा तो आसपास के इलाकों के युवा यहां रोजगार कमाने आ गए. घोड़ों की संख्या बढ़ती चली गई. वैसे तो जिला शिमला प्रशासन के पास 1029 घोड़े पंजीकृत हैं, लेकिन बताया जाता है कि यहां 1500 से अधिक घोड़े चलते हैं. इससे चार से पांच हजार लोगों को रोजगार मिलता है.

NGT Directs Restricting Number of Horses in Kufri
कुफरी में घोड़ों की संख्या सीमित करने के आदेश (फाइल फोटो)

7 साल पहले भी हो चुका है विवाद: कुफरी में घोड़ों की संख्या और उनकी लीद के कारण बदबू को लेकर पहले भी विवाद हो चुका है. हिमाचल हाई कोर्ट में इस संदर्भ में एक याचिका भी दाखिल की गई थी. कुफरी के ही रहने वाले राकेश मेहता नामक शख्स ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर अदालत से यहां घोड़ों की संख्या सीमित करने और व्यवस्था कायम करने की गुहार लगाई गई थी. उस समय घोड़ों की संख्या पांच सौ तय की गई थी, लेकिन राकेश मेहता का कहना था कि इनकी संख्या 900 से अधिक है. उन्होंने घोड़ों के कारण फैल रही गंदगी से निजात दिलाने के लिए हिमाचल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम पत्र लिखा था, जिसे जनहित याचिका मानकर अदालत ने राज्य सरकार, मुख्य सचिव, डीसी शिमला व अन्य अफसरों को निजी तौर पर तलब किया था. तब हिमाचल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मंसूर अहमद मीर थे. ये मामला दिसंबर 2016 का था. हाई कोर्ट ने विभिन्न निर्देश दिए थे, लेकिन बाद में स्थितियां फिर से वैसी ही हो गई.

Kufri Tourist Place
पर्यटन स्थल कुफरी की खूबसूरती (फाइल फोटो)

कुफरी पुनर्विकास योजना: इस साल भी हिमाचल हाई कोर्ट ने कुफरी की पुनर्विकास योजना को लागू न करने के संदर्भ में संज्ञान लिया गया था. कुफरी में 50 करोड़ रुपए की लागत से 1500 घोड़ों के लिए अस्तबल बनाया जाना प्रस्तावित है, लेकिन मामला सिरे नहीं चढ़ा है. घोड़ों की लीद से गैस संयंत्र स्थापित करने का भी विचार है. मीथेन गैस के उत्पादन का दावा किया गया था, लेकिन ये भी सिरे नहीं चढ़ा है. इसके लिए सीपीआरआई से एनओसी की दरकार है. इस साल मार्च महीने में हिमाचल हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया कि हीलिंग हिमालय फाउंडेशन ने कुफरी में गोबर गैस संयंत्र बनाने के लिए हामी भरी है. पहले राजस्थान की एक कंपनी को इसका ठेका दिया गया था. वर्ष 2018 में इस प्रोजेक्ट की कीमत 250 लाख रुपये रखी गई थी, परंतु कंपनी ने इसका निर्माण नहीं किया और प्रशासन ने करार को निरस्त कर दिया.

NGT Directs Restricting Number of Horses in Kufri
कुफरी में बर्फ के बीच घुड़सवारी का मजा लेते सैलानी (फाइल फोटो)

हीलिंग हिमाचल फाउंडेशन और राज्य सरकार में करार: अब हीलिंग हिमालय फाउंडेशन के साथ राज्य सरकार ने कुफरी में गोबर गैस संयंत्र प्रोजेक्ट को बनाने का करार किया गया है. सरकार ने अदालत को बताया कि महत्वाकांक्षी पुनर्विकास परियोजना के लिए कुफरी की स्की ढलानों को पुनर्जीवित करने के साथ इसे घोड़ों की लीद से भी मुक्त किया जाएगा. इसके लिए सीपीआरआई से प्रस्तावित भूमि का एनओसी चाहिए है. सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि शिमला जिला प्रशासन ने चीनी बांग्ला के पास एक हेक्टेयर भूमि की पहचान की थी, ताकि घोड़े के गोबर से बनने वाली गैस प्लांट और ग्रामीण हाट बनाया जा सके. मामला एनजीटी के समक्ष भी था और ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश से ही यहां अब घोड़ों की संख्या को सीमित किया गया है.

NGT Directs Restricting Number of Horses in Kufri
कुफरी में घुड़सवारी करते सैलानी (फाइल फोटो)

'क्रशर व मिक्सर प्लांट से हो रहा प्रदूषण': वहीं, कुफरी के घोड़ा संचालकों का कहना है कि परेशानी लीद से नहीं है. अगर प्रदूषण की बात की जाए तो कुफरी के समीप लंबीधार में स्थापित क्रशर व मिक्सर प्लांट से निकलने वाले धुएं से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. घोड़ा संचालकों का कहना है कि घोड़े तो राजाओं के समय से चल रहे हैं. घोड़ा संचालक खुद भी नियमित अंतराल पर पौधे लगाते हैं. सैलानियों को घोड़ों की सैर करवाने से यहां हजारों लोगों का रोजगार चल रहा है. सरकार को उनकी परेशानी का हल निकालना चाहिए. यदि घोड़ों की संख्या सीमित ही करनी है तो उसे 750 तक किया जा सकता है. उसके लिए घोड़ा संचालक यूनियन भी सहमत हो जाएगी, लेकिन 217 की संख्या करने से यहां अराजकता फैलेगी. ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह का कहना है कि वो इस समस्या के समाधान के लिए सरकार से बात करेंगे. मामले का सर्वमान्य हल निकाला जाएगा, ताकि किसी का रोजगार प्रभावित न हो.

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