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कश्मीरी भाषा गूगल अनुवाद में शामिल नहीं, विशेषज्ञों ने जतायी चिंता

कश्मीरी भाषा गूगल ट्रांसलेट(Google Translate) में शामिल नहीं है. विशेषज्ञों ने इसपर जतायी चिंता जताते हुए कहा कश्मीरी भाषा 5,000 साल पुरानी है.

Why Kashmiri language is is not included in Google Translate
गूगल अनुवाद में कश्मीरी भाषा क्यों शामिल नहीं है
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Published : Jul 2, 2022, 7:26 AM IST

Updated : Jul 2, 2022, 1:16 PM IST

श्रीनगर: हम सभी जानते हैं कि आज सूचना प्रौद्योगिकी का युग है. तकनीकी क्रांति ने न केवल दुनिया की विभिन्न भाषाओं को पढ़ने का सबसे अच्छा अवसर प्रदान किया है बल्कि इसे समझना और भी आसान बना दिया है. इसका सबसे अच्छा उदाहरण गूगल ट्रांसलेट(Google Translate) है.

गूगल अनुवाद के माध्यम से दुनिया की 130 से अधिक भाषाओं का अनुवाद किया जा सकता है लेकिन दुर्भाग्य से 5,000 साल पुरानी कश्मीर भाषा को अभी तक गूगल(Google) अनुवाद में शामिल नहीं किया गया है. कश्मीरी भाषा भारत-पाक उपमहाद्वीप की महत्वपूर्ण भाषाओं में से एक है. ऐतिहासिक रूप से कश्मीरी अंग्रेजी जितनी पुरानी भाषा है, लेकिन आधुनिक समय में जिस तरह से अंग्रेजी और अन्य भाषाओं का विकास हुआ है, उसमें कश्मीरी भाषा की उपेक्षा की गई है. विशेषज्ञों के लिए यह चिंता का विषय है.

कश्मीरी भाषा के बारे में जॉर्ज अब्राहम ग्रीनसन ने लिखा है कि कश्मीरी ही एकमात्र ऐसी भाषा है जिसका साहित्य उपलब्ध है. हालांकि, एक प्राचीन और साहित्यिक भाषा होने के बावजूद, कश्मीरी अभी भी प्रौद्योगिकी के इस युग में गूगल अनुवाद से दूर है जो चिंता का विषय है.

डॉ. जवाहर कुदुसी का कहना है कि कश्मीरी भाषा प्रकाशन सॉफ्टवेयर उनकी देखरेख में विकसित किया गया था. इसके बाद सरकार ने संस्थानों को कश्मीरी भाषा के विकास और प्रचार के लिए काम करने का काम सौंपा. डॉ. जवाहर कुदुसी के व्यक्तिगत प्रयासों से पहले कश्मीर भाषा प्रकाशन सॉफ्टवेयर का विकास हुआ.

ये भी पढ़ें- सरकार अमरनाथ यात्रा को बेहद सफल बनाने में जुटी, बालटाल एवं चंदनवाड़ी में अस्पताल बनाये जा रहे

कुदुसी ने कहा कि इन संस्थानों ने इस संबंध में कुछ नहीं किया. नतीजतन, भाषा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत पीछे है और इसका कारण यह है कि कश्मीरी भाषा को अभी तक Google अनुवाद में शामिल नहीं किया गया है. विशेषज्ञों ने भाषा के विकास और प्रचार के लिए कश्मीरी अनुवाद के लिए एक उपयुक्त तकनीकी उपकरण का सुझाव दिया ताकि यह भाषा अन्य भाषाओं की बराबरी कर सके.

श्रीनगर: हम सभी जानते हैं कि आज सूचना प्रौद्योगिकी का युग है. तकनीकी क्रांति ने न केवल दुनिया की विभिन्न भाषाओं को पढ़ने का सबसे अच्छा अवसर प्रदान किया है बल्कि इसे समझना और भी आसान बना दिया है. इसका सबसे अच्छा उदाहरण गूगल ट्रांसलेट(Google Translate) है.

गूगल अनुवाद के माध्यम से दुनिया की 130 से अधिक भाषाओं का अनुवाद किया जा सकता है लेकिन दुर्भाग्य से 5,000 साल पुरानी कश्मीर भाषा को अभी तक गूगल(Google) अनुवाद में शामिल नहीं किया गया है. कश्मीरी भाषा भारत-पाक उपमहाद्वीप की महत्वपूर्ण भाषाओं में से एक है. ऐतिहासिक रूप से कश्मीरी अंग्रेजी जितनी पुरानी भाषा है, लेकिन आधुनिक समय में जिस तरह से अंग्रेजी और अन्य भाषाओं का विकास हुआ है, उसमें कश्मीरी भाषा की उपेक्षा की गई है. विशेषज्ञों के लिए यह चिंता का विषय है.

कश्मीरी भाषा के बारे में जॉर्ज अब्राहम ग्रीनसन ने लिखा है कि कश्मीरी ही एकमात्र ऐसी भाषा है जिसका साहित्य उपलब्ध है. हालांकि, एक प्राचीन और साहित्यिक भाषा होने के बावजूद, कश्मीरी अभी भी प्रौद्योगिकी के इस युग में गूगल अनुवाद से दूर है जो चिंता का विषय है.

डॉ. जवाहर कुदुसी का कहना है कि कश्मीरी भाषा प्रकाशन सॉफ्टवेयर उनकी देखरेख में विकसित किया गया था. इसके बाद सरकार ने संस्थानों को कश्मीरी भाषा के विकास और प्रचार के लिए काम करने का काम सौंपा. डॉ. जवाहर कुदुसी के व्यक्तिगत प्रयासों से पहले कश्मीर भाषा प्रकाशन सॉफ्टवेयर का विकास हुआ.

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कुदुसी ने कहा कि इन संस्थानों ने इस संबंध में कुछ नहीं किया. नतीजतन, भाषा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत पीछे है और इसका कारण यह है कि कश्मीरी भाषा को अभी तक Google अनुवाद में शामिल नहीं किया गया है. विशेषज्ञों ने भाषा के विकास और प्रचार के लिए कश्मीरी अनुवाद के लिए एक उपयुक्त तकनीकी उपकरण का सुझाव दिया ताकि यह भाषा अन्य भाषाओं की बराबरी कर सके.

Last Updated : Jul 2, 2022, 1:16 PM IST
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