हैदराबाद : 29 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है. इस सत्र में सरकार 26 नए विधेयकों को विचार के लिए संसद में पेश करेगी. इन नए विधेयकों में 'द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021' भी शामिल है. अभी इस बिल का मसौदा सार्वजनिक नहीं किया गया है, मगर यह माना जा रहा है कि इस बिल को संसद से मंजूरी मिल जाती है, तो भारत में क्रिप्टो करेंसी की खरीद बिक्री पर प्रतिबंध लग सकता है. इसके बाद इथेरियम और बिटकॉइन जैसी करेंसी में निवेश करना गैर-कानूनी हो जाएगा.
सरकार के फैसले से लुढ़क गई क्रिप्टो करेंसी : लोकसभा की बुलेटिन में 'द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021' की लिस्टिंग होने की खबर से क्रिप्टो या डिजिटल करेंसी की बिकवाली शुरू हो गई. बाद डॉगकॉइन, शीबा इनू, इथेरियम और बिटकॉइन जैसे क्रिप्टोकरेंसी के रेट में जबर्दस्त गिरावट हुई. Bitcoin की कीमत 9 नवंबर को 68,327.99 डॉलर थी. बुधवार को इसकी वैल्यू वजीरएक्स पर 25.51 प्रतिशत घटकर 46,601 डॉलर (लगभग 34 लाख रुपये) हो गई. दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी इथेरियम भी आज 22.86 फीसदी गिर गई थी. इसके अलावा अन्य क्रिप्टोकरेंसी रिप्पल, डोगेक्वाइन, कारडानो और शीबा इनू में भी 25 से 30 फीसदी की गिरावट आई है.
अब सरकार ने यह फैसला क्यों किया ? : सरकार ने दो नवंबर, 2017 को आर्थिक मामलों के सचिव की अगुवाई में एक समिति गठित की थी. समिति ने वर्चुअल करेंसी से संबंधित मुद्दों पर अध्ययन करने के बाद सरकार को जुलाई 2021 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. समिति के अन्य सदस्यों में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव, सेबी के चेयरमैन और रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर शामिल थे. समिति ने निजी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े जोखिमों, उनके मूल्य में उतार-चढ़ाव के मद्देनजर इन पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी. साथ ही देश में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित किसी भी तरह की गतिविधि के लिए जुर्माना लगाने का भी सुझाव दिया था.
भारत सरकार लाएगी अपनी वर्चुअल करेंसी ? : आरबीआई (RBI) चरणबद्ध तरीके से भारत में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लॉन्च करेगा. यह करेंसी रिटेल और होलसेल दो तरीके से उपलब्ध होगी. रिटेल डिजिटल करेंसी का उपयोग आम जनता और कंपनियां करेंगी जबकि होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाओं द्वारा किया जाएगा. भारत सरकार और रिजर्व बैंक क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री पर लगाम लगाने जा रहा है ताकि डिजिटल करेंसी को सही तरीके से लॉन्च किया जा सके और बाजार में इसकी प्रमाणिकता बनी रहे. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देश में 70 लाख भारतीयों के पास करीब एक अरब डॉलर मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी है. पिछले साल 2020 के मुकाबले इसमें सात गुना उछाल आया है.
इससे पहले रिजर्व बैंक ने 2018 में क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) की लेनदेन पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च, 2020 को यह पाबंदी हटा दी थी.
किन देशों में क्रिप्टो करेंसी को मान्यता मिली है : अभी मध्य अमेरिका के देश अल सल्वाडोर बिटकॉइन को लेकर सुर्खियों में हैं. अल सल्वाडोर ने दुनिया की पहली 'बिटकॉइन सिटी' बनाने की घोषणा की है. राष्ट्रपति नायब बुकेले ने कहा कि इस शहर के निवासियों को कोई आय, संपत्ति, पूंजीगत लाभ या पेरोल कर भी नहीं देना होगा. वहां की सरकार 'बिटकॉइन सिटी' के लिए 1 बिलियन डॉलर के बिटकॉइन बॉन्ड जारी करेगी. हालांकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने बिटक्वाइन से जुड़े जोखिमों को देखते हुए अल सल्वाडोर को बिटकॉइन को वैध मुद्रा के तौर पर इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी है.
इससे पहले कनाडा ने फरवरी 2021 में बिटकॉइन-ट्रेडेड फंड को मंजूरी दी थी. ब्रिटेन में क्रिप्टोकरेंसी को संपत्ति का दर्जा प्राप्थ है और निवेशक क्रिप्टो मुनाफे पर इनकम टैक्स भरते हैं. अधिकतर यूरोपीय संघ (ईयू) देशों में क्रिप्टोकरेंसी भी कानूनी है. नेपाल में बिटकॉइन पर बैन है. वियतनाम में इसकी खरीद-बिक्री पर भारी जुर्माना लगता है. चीन में भी क्रिप्टोकरेंसी की लेन-देन पर प्रतिबंध लगाया गया है.
क्रिप्टोकरेंसी या बिटकॉइन कैसे बनता है : क्रिप्टो करेंसी का वर्चुअल सिक्का माइनिंग के जरिये बनता है. इसके लिए माइनर को जटिल क्रिप्टोग्राफिक मैथमेटिकल पहेली सुलझानी होती है. बिटकॉइन ऑनलाइन माइनिंग पूल का मेंबर को मैथ्स से जुड़े समीकरण सुलझाने की इजाजत दी जाती है. क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग के लिए स्पेशल सॉफ्टवेयर वाले कम्प्यूटर की जरूरत होती है. जब माइनर एक इक्वेशन सुलझा लेता है, तो एक क्रिप्टोकरेंसी का जारी किया जाता है. बदले में माइनर को क्रिप्टोकरेंसी ही दी जाती है. बिटकॉइन के डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर में केवल मान्यता प्राप्त माइनर्स को ही डिजिटल लेजर में ट्रांजैक्शंस अपडेट करने की अनुमति है.
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