हैदराबाद: बीते दिनों चीन ने चाइल्ड पॉलिसी में बदलाव करते हुए तीन बच्चों की नीति को मंजूरी दे दी है. यानि चीन की शी जिनपिंग सरकार ने अब चीनी दंपतियों को तीन बच्चे पैदा करने की इजाजत दे दी है. चीन दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश है लेकिन अपनी बढ़ती आबादी ब्रेक लगाने के लिए चीन ने एक बच्चे की नीति लागू की थी. लेकिन करीब 4 दशक बाद चीन ने इस नीति को खारिज करते हुए 3 बच्चों की नीति लागू की है. आखिर चीन ने ऐसा क्यों किया ? आखिर क्या है चीन कि चिंता का कारण ?
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चीन में अब 3 बच्चे पैदा करने पर मिलेगा ईनाम
चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने बीती 20 अगस्त को थ्री चाइल्ड पॉलिसी (three child policy) यानि तीन बच्चों की नीति को मंजूरी दे दी. अब चीन में दंपतियों को 3 बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. सरकार के मुताबिक तीन बच्चे पैदा करने वालों को कई तरह के ईनाम दिए जाएंगे. जिसमें टैक्स में छूट से लेकर इंश्योरेंस, हाउसिंग और नौकरी में सरकार आर्थिक व अन्य मदद देगी ताकि अभिभावकों पर बच्चों की परवरिश का आर्थिक बोझ ना पड़े.
पहले एक फिर दो और अब तीन बच्चों की पॉलिसी
दरअसल 1980 के दौरान जब चीन की आबादी एक अरब पहुंची तो चीन को डर था कि बढ़ती आबादी उसके विकास की राह का रोड़ा बन सकती है. बढ़ती आबादी को देखते हुए चीन ने 1980 के दशक में एक बच्चे की पॉलिसी को सख्ती से लागू करवाया था और जो आर्थिक प्रोत्साहन मौजूदा चीनी सरकार 3 बच्चों के पैदा करने पर दे रही है वो उस वक्त एक बच्चे पैदा करने वाले दंपतियों को देने का ऐलान किया गया था.
साल 2009 में चीन ने वन चाइल्ड पॉलिसी में बदलाव करना शुरू किया और साल 2014 तक पूरे देश में दो बच्चों की नीति लागू कर दी गई और अब चीन ने तीन बच्चों की पॉलिसी को मंजूरी दी है.
क्यों लिया चीन ने ये फैसला ?
दरअसल इस साल चीन ने अपनी जनसंख्या के आंकड़े जारी किए थे. जिसके मुताबिक चीन की जनसंख्या लगातार गिर रही है और इसके पीछे चीन की लंबे समय तक एक बच्चे की नीति और फिर दो बच्चों की नीति को वजह माना गया.
1) घटते युवा, बढ़ते बुजुर्ग
ये चीन की चिंता की सबसे बड़ी वजह है. एक बच्चे की नीति के कारण चीन में बुजुर्ग आबादी तेजी से बढ़ रही है. इससे चीन के पास काम करने वाले युवाओं की कमी हो रही है. इस संकट से निपटने के लिए चीन को रिटायरमेंट की उम्र तक बढ़ानी पड़ी, ताकि श्रम शक्ति यानि काम करने वाले लोगों की कामी ना हो.
इस वक्त चीन में 60 साल से अधिक उम्र के लोगों की तादाद 26 करोड़ है जो कुल आबादी का करीब 19 फीसदी है. एक अनुमान के मुताबिक अगले एक दशक में चीन की करीब एक चौथाई यानि 25 फीसदी जनसंख्या 65 साल से अधिक उम्र की होगी. वहीं 2010 में चीन में 15 से 59 साल की उम्र की आबादी 70 फीसदी थी जो साल 2020 में गिरकर 63 फीसदी के करीब रह गई.
2) बिगड़ता लिंगानुपात
चीन ने आबादी पर नियंत्रण के लिए एक बच्चे की नीति लागू की तो उसका दुष्परिणाम बिगड़ते लिंगानुपात के रूप में सामने आया है. वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू के मुताबिक (world population review) इस वक्त चीन में हर 1000 लड़कियों पर 1200 लड़के हैं. एक अनुमान के मुताबिक 2030 में इस बिगड़ते लिंगानुपात का असर बहुत भयानक रुप से दिखेगा जब चीन में अविवाहित पुरुषों की तादाद पांच गुना हो जाएगी. अविवाहित युवकों की बढ़ती संख्या जनसंख्या वृद्धि पर हानिकारक असर डालेगी.
3) लगातार घटती जन्मदर
आबादी कंट्रोल करने के लिए बनाई गई नीतियों का ही नतीजा रहा कि चीन की जन्म दर लगातार घटती जा रही है. आंकड़ों के मुताबिक साल 2016 में चीन में 1.8 करोड़ बच्चे पैदा हुए जबकि साल 2019 में 1.4 करोड़ बच्चे पैदा हुए और 2020 में ये आंकड़ा 1.2 करोड़ तक पहुंच गया. जो साल 1960 के बाद सबसे कम है. आंकड़ों के मुताबिक
4) घट रही है आबादी
चीन भले अब भी दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश है. लेकिन दुनियाभर की रिपोर्ट्स आने वाले वक्त में चीन की आबादी में गिरावट की ओर इशारा कर रही हैं. वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू के मुताबिक इस वक्त चीन की आबादी 1.44 अरब है जबकि आबादी के लिहाज से दूसरे नंबर पर मौजूद भारत की जनसंख्या 1.39 अरब है. 2026 तक दोनों देशों की आबादी करीब 1.46 अरब होगी, और इस दशक के अंत तक भारत आबादी के मामले में चीन को पछाड़ देगा.
एक अनुमान के मुताबिक भारत की आबादी भी कुछ दशकों के बाद गिरेगी और इस सदी के अंत तक करीब 1 अरब रह जाएगी लेकिन उसमें अभी बहुत वक्त है. पर चीन के लिए चिंता आने वाले कुछ सालों में ही खड़ी है. वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू के मुताबिक साल 2030 के बाद चीन की आबादी अपने चरम के बाद कम होना शुरू होगी जबकि भारत की आबादी करीब 2060 तक बढ़ती रहेगी.
भारत में जनसंख्या नियंत्रण पर हो रही है चर्चा
दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश चीन ने जनसंख्या बढ़ाने को लेकर नीति लागू कर दी है जबकि इस मामले में दूसरी पायदान पर खड़े देश में जनसंख्या नियंत्रण पर चर्चा चल रही है. साल 2000 में एक अरब का आंकड़ा पार करने वाली भारत की जनसंख्या इस वक्त करीब 1.4 अरब के करीब है, जानकार मानते हैं कि 2027-28 तक भारत चीन से आगे निकल जाएगा.
भारत को इस वक्त वही चिंता सता रही है जो आज से 40 साल पहले चीन को सता रही थी. सीमित संसाधनों के बीच बढ़ती आबादी किसी देश के विकास की राह का सबसे बड़ा रोड़ा है. देश की बेरोजगारी बढ़ने से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य समेत तमाम मूलभूत सुविधाओं की कमी के पीछे सबसे बड़ी वजह बढ़ती जनसंख्या है. 2020 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की आबादी साल 2047 में 1.61 अरब के करीब होगी. जिसके बाद भारत की जनसंख्या में गिरावट आएगी और इस सदी के अंत तक यानि साल 2100 तक एक एक अरब के आस-पास पहुंच जाएगी.
भारत के लिए सबक हो सकता है चीन
आबादी के मामले में चीन में जो भी हो रहा है वो एक केस स्टडी यानि भारत के लिए सबक हो सकता है. भारत मे जनसंख्या नियंत्रण को लेकर चर्चा को भले सियासी रंग दिया जा रहा हो लेकिन जनसंख्या नियंत्रण को लेकर एक बेहतर नीति बनानी होगी ताकि भविष्य में चीन जैसे हालात पैदा ना हों. बढ़ती आबादी को देखते हुए सीमित संसाधनों और भविष्य की चुनौतियों के बीच से राह निकालना भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी.
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