देहरादून (उत्तराखंड): उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने की तैयारी अब अंतिम चरण में है. इसका मसौदा तैयार हो चुका है. आज उत्तराखंड यूसीसी कमेटी की अध्यक्ष जस्टिस रंजना देसाई ने ड्राफ्ट तैयार होने की जानकारी दी. जिसे जल्द ही उत्तराखंड सरकार को सौंपा जाएगा. इसके साथ ही देशभर में समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग जोर पकड़ रही है. ऐसे में जानते हैं आखिर समान नागरिक संहिता क्या है और क्या-क्या प्रावधान रखे गए हैं.
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दरअसल, भारत में सबसे पहले समान नागरिक संहिता लागू करने वाला राज्य उत्तराखंड बनने जा रहा है. अब पूरे देश में यूसीसी लागू करने की कवायद चल रही है. उत्तराखंड में यूसीसी का मसौदा तैयार हो चुका है. माना जा रहा है कि उत्तराखंड के इसी मसौदे के जरिए केंद्र सरकार देश भर में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में बढ़ सकती है.
समान नागरिक संहिता क्या है? समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) का अर्थ हर नागरिक के लिए एक समान कानून है. चाहे वो किसी भी संप्रदाय, धर्म या जाति का क्यों न हो, सभी पर एक ही तरह कानून लागू होगा. यानी शादी, तलाक और जमीन जायदाद आदि के बंटवारे से जुड़े मामलों में सभी धर्मों के लिए एक ही तरह का कानून लागू होगा. यह एक निष्पक्ष कानून होगा, जिसका किसी धर्म और जाति से ताल्लुक नहीं रहेगा.
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समान नागरिक संहिता से क्या-क्या बदलाव होंगे? यूसीसी लागू होने से पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी. बहुविवाह पूरी तरह बैन होगी. अभी भी कई जगहों पर बहुविवाह की प्रथा चल रही है. अब यूसीसी के तहत केवल एक शादी मान्य होगी. इसके अलावा लड़कियों के शादी की उम्र भी बढ़ाई जा सकती है. लड़कियों के शादी की उम्र 21 साल निर्धारित की जा सकती है. ताकि, शादी से पहले लड़की ग्रेजुएट हो सकें.
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लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए देने होगी जानकारीः आज कल लिव इन रिलेशनशिप आम हो गई है. ऐसे में अगर यूसीसी लागू होता है तो लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए डिक्लेरेशन जरूरी होगा. इतना ही नहीं लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों के माता पिता को भी इसकी जानकारी दी जाएगी. साथ ही पुलिस के पास लिव इन रिलेशनशिप का रिकॉर्ड रहेगा. यानी लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए पुलिस के पास रजिस्टर करना जरूरी होगा.
लड़कियों को मिलेगा बराबरी का हिस्सा, गोद लेने की प्रक्रिया होगी आसानः अभी तक जमीन, जायदाद या हिस्सेदारी में लड़कों को वर्चस्व होता था, लेकिन यूसीसी के तहत उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर हिस्सा मिलेगा. इसके अलावा एडॉप्शन सभी के लिए मान्य होगा. इतना ही नहीं मुस्लिम महिलाओं भी गोद ले सकेंगे. साथ ही गोद लेने की प्रक्रिया को सरल किया जाएगा.
हर शादी का पंजीकरण होगा अनिवार्य, हलाला पर होगी रोकः वहीं, मुस्लिम समुदाय में होने वाले हलाला और इद्दत पर रोक होगी. शादी के बाद विवाह पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. गांव में ही हर शादी का रजिस्ट्रेशन होगा. बिना पंजीकरण के शादी मान्य नहीं होगा. इतना ही नहीं शादी का रजिस्ट्रेशन न होने पर किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा. पति और पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार मिलेंगे. तलाक का जो ग्राउंड पति पर लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा.
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नौकरी शुदा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में बुजुर्ग माता पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी. अगर पत्नी पुनर्विवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले मुआवजे में माता पिता का भी हिस्सा होगा. वहीं, अगर किसी की पत्नी की मौत हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी पति की होगी.
जनसंख्या नियंत्रण का प्रावधान भी हो सकता है शामिलः बच्चे के अनाथ होने पर गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा. पति और पत्नी की बीच झगड़ा होने पर बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पेरेंट्स को दी जा सकती है. वहीं, भारत जनसंख्या की लिहाज से दुनिया में पहले नंबर पर पहुंच गया है. ऐसे में यूसीसी में जनसंख्या नियंत्रण का प्रावधान भी हो सकता है. इतना ही नहीं जनसंख्या नियंत्रण के लिए बच्चों की संख्या भी तय की जा सकती है.
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