पटना : बिहार की राजधानी पटना की कृतिका मुखर्जी ने अनोखी उपलब्धि हासिल किया है. कृतिका मुखर्जी ने अब तक का सबसे बड़ा 'मंडला आर्ट' तैयार किया है. इस अनोखी उपलब्धि के कारण 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' ने अपने लेटेस्ट एडिशन में कृतिका मुखर्जी का नाम शामिल किया है. खास बात यह कि कृतिका ने कभी भी पेंटिंग या आर्ट में किसी भी प्रकार की ट्रेनिंग नहीं लिया है.
ये भी पढ़ें- जानें, पीएम मोदी के नौ साल ने उनके पसंदीदा कारोबार को कितनी दी उड़ान, कारीगरों को फ़ायदा या नुकसान
कृतिका का कमाल: राजधानी के बुद्धा कॉलोनी में रहने वाली कृतिका ने बताया कि उसने कुल 22 घंटे में इस आर्ट को तैयार किया था. मंडला आर्ट को उसने 72 इंच के कार्ड बोर्ड पर बनाया है. इसे बनाने में उसने रंगों और बीजों का इस्तेमाल किया. कृतिका बताती हैं कि जब वह इस आर्ट को तैयार कर रही थीं, उस वक्त रिकॉर्ड ब्रेक करने की कोई योजना उनके दिमाग में नहीं थी. लेकिन, जब यह कलाकृति तैयार हो गई तो शुभचिंतकों के कहने पर उन्होंने 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड' में अप्लाई कर दिया. सुखद संदेश यह रहा कि उनके इस आर्ट को काफी सराहा गया. 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड' में अब तक के सबसे बड़े मंडला आर्ट का हवाला देते हुए इसे अपने लेटेस्ट एडिशन में शामिल कर लिया.
''जब मंडला आर्ट को तैयार कर लिया तो उसे बिहार सरकार के द्वारा काफी पसंद किया गया. आज की तारीख में उनका यह आर्ट पटना के ऊर्जा स्टेडियम में लगाया गया है. यह मेरे जीवन की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि मेरी कृति को बिहार सरकार ने स्थान दिया है. अब मेरा इरादा कुछ और बेहतर करने का है. अब मेरा टारगेट एशिया बुक से होते हुए गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज कराने का है.''- कृतिका मुखर्जी, मंडला आर्ट कलाकार
पटना के केएन कॉलेज की छात्रा हैं कृतिका: ज्ञात हो कि कृतिका मूल रूप से पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी की रहने वाली हैं. वह फिलहाल राजधानी केएन कॉलेज में मास्टर ऑफ जियोग्राफी की छात्रा हैं. कृतिका के पिता उत्तम मुखर्जी अभी भी सिलीगुड़ी में ही रहते हैं. उनका दवा का बिजनस है. जबकि, कृतिका पटना में अपनी मां शरबरी मुखर्जी के साथ रहकर अपनी पढ़ाई पूरी कर रही हैं.
इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल : यह पूछे जाने पर कि मंडला आर्ट में ही उन्होंने अपनी कृति क्यों तैयार की? कृतिका कहती है कि आज की तारीख में बहुत लोग आर्ट 'मंडला आर्ट' को सीख रहे हैं. लेकिन यह कला नई नहीं है. यह कला बहुत ही पुरानी है और सदियों से लोग मंडला को बनाते रहे हैं. मंडला आर्ट कला की सबसे प्राचीन रूपों में से एक है. कृतिका बताती हैं कि मंडला आर्ट जितना हिंदू धर्म में लोकप्रिय है, उतना ही बौद्ध धर्म को मानने वाले भी इसे पसंद करते हैं. इसमें जो सामग्री इस्तेमाल की जाती है, वह रेत, रंग फूल और प्राकृतिक होते हैं. मंडला आर्ट को किसी भी आयु और कौशल के लोग बना सकते हैं. लेकिन इसमें धैर्य की काफी जरूरत होती है.
मंडला आर्ट क्या है? : यह कला का एक रूप है जिसे कलाकार आमतौर पर एक गोलाकार जटिल डिजाइन बनाता है. इसमें एक केंद्र बिंदु होता है. उसी से विभिन्य आकृतिकियों की सरणी निकाली जाती है. इस आर्ट को बनाते समय बारीक पैटर्न को एकसमान बनाया जाता है जो कि फूलों, बीजों या प्राकृतिक तरीके से बनाया जाता है. इसमें सभी पैटर्न एक विशाल चक्र या किसी दूसरे आकार का हिस्सा रहता है. यह मूलत: प्रकृति के संदर्भ में बनाए जाते हैं.