अमरावती : आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष किंजरापु अत्चन्नायडू (Kinjarapu Atchannaidu) ने आंध्र प्रदेश आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) के दावों को खारिज किया है कि पार्टी को चुनावी बांड के रूप में कौशल विकास परियोजना से धन प्राप्त हुआ है.
कोर्ट में आज सुनवाई के दौरान राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता, पोन्नावोलु सुधाकर रेड्डी ने कहा कि लगभग 27 करोड़ रुपये कौशल विकास परियोजना के सिलसिले में तेलुगु देशम पार्टी के खाते में भेजे गए थे. उन्होंने आरोप लगाया कि यह पैसा चुनावी बांड के माध्यम से पार्टी को दिया गया था.
इन आरोपों के जवाब में अत्चन्नायडू ने बताया कि यदि किसी राजनीतिक दल को नकद में 20,000 रुपये से अधिक का चंदा मिलता है तो उन्हें ऐसे सभी विवरण केंद्रीय चुनाव आयोग और आयकर विभाग को रिपोर्ट करने होंगे. ये रिकॉर्ड चुनाव आयोग की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं.
उन्होंने कहा कि 'अप्रैल 2023 में सीआईडी ने आधिकारिक तौर पर चुनाव आयोग की वेबसाइट से तेलुगु देशम पार्टी के फंडिंग विवरण को एक्सेस किया, जिसमें स्पष्ट रूप से दानदाताओं, राशि और दान की तारीखों का संकेत मिलता है. छह महीने की जांच के बाद सीआईडी को इन रिकॉर्डों में कोई अनियमितता नहीं मिली. हालांकि, जांच एजेंसी एन चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) की छवि खराब करने के लिए जगन सरकार के निर्देशों के तहत निराधार दावे कर रही है.'
आरोप है कि 2018-19 में टीडीपी के खाते में चुनावी बॉन्ड के तौर पर 27 करोड़ रुपये आए. अत्चन्नायडू ने खुलासा किया कि 'इसी अवधि के दौरान, वाईएसआरसीपी को चुनावी बांड में 99.84 करोड़ रु. बाद के वर्षों में 2019-20 में 74.35 करोड़ रु. 2020-21 में 96.25 करोड़ और 2021-22 में 60 करोड़ रुपये मिले.' अत्चन्नायडू ने सवाल किया कि 'क्या जगन रेड्डी में साक्षी अखबार में इन दानदाताओं और संगठनों के नाम का खुलासा करने का साहस है.'
छह महीने की जांच में कोई सबूत नहीं मिलने के बावजूद सरकार के वकील अदालत में निराधार आरोप लगा रहे हैं. अत्चन्नायडू ने सवाल उठाया कि छह महीने की जांच के बाद उन्होंने अदालत में कोई सबूत क्यों नहीं पेश किया.
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह एन चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) को जमानत लेने से रोकने और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए जांच एजेंसियों द्वारा एक जानबूझकर की गई साजिश है. उन्होंने याद दिलाया कि केंद्र सरकार ने राजनीतिक दलों को चुनावी बांड एकत्र करने की अनुमति देने वाला एक कानून बनाया है, लेकिन जगन रेड्डी इन कानूनों की अवहेलना कर रहे हैं और इसे घोटाला करार दे रहे हैं, जिससे लोगों के अधिकार और संविधान की भावना कमजोर हो रही हैं.
उन्होंने कहा कि एएजी पोन्नवोलु सुधाकर रेड्डी द्वारा प्रतिनिधित्व की गई जगन सरकार चुनावी बांड को एक घोटाला बता रही है. ऐसे में चुनावी बांड को लेकर सभी पार्टियों की जांच होनी चाहिए.
19 जनवरी 2023 के एक समाचार लेख से लिए गए आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च 2022 तक भाजपा को चुनावी बांड के माध्यम से 1,033 करोड़ रुपये मिले, जबकि टीएमसी को 528 करोड़ रुपये. कांग्रेस को 253 करोड़ रुपये मिले. विशेष रूप से भाजपा को वित्तीय वर्ष 2021 में 22.38 करोड़ रु., 2020 में 2555 करोड़, 2019 में 1,450 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2018 में 210 करोड़ रुपये, यानि कुल 5,270 करोड़ रुपये मिले.
राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए राजनीतिक दलों को नकद दान के विकल्प के रूप में चुनावी बांड पेश किए गए थे. चुनावी बांड योजना 2017 में प्रस्तावित की गई थी और 2018 में लागू की गई थी. चुनावी बांड के माध्यम से दान प्राप्त करने के लिए एक राजनीतिक दल के पास हालिया आम या विधानसभा चुनाव में कम से कम 1% वोट शेयर होना चाहिए.