नई दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दार्जिलिंग जिले के सिलीगुड़ी इलाके में तीन नदियों महानंदा, जोरापानी और फुलेश्वरी के पानी की गुणवत्ता बहाल नहीं रखने पर पश्चिम बंगाल सरकार पर अंतरिम मुआवजे के रूप में दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया है.
एनजीटी ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को सुनवाई की अगली तिथि 17 जनवरी 2022 को पेश होने का भी निर्देश दिया. याचिका जॉयदीप मुखर्जी ने दायर की है, जो 2016 में एनजीटी के पूर्वी जोन बेंच में दायर की गई थी. इसमें तीनों नदियों में प्रदूषण की शिकायत की गई थी. एनजीटी ने नोट किया कि उसने इस मामले पर कई आदेश पारित किए थे, लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई है.
एनजीटी ने कहा कि मुआवजे की राशि दार्जिलिंग के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के कार्यालय में जमा की जाएगी. इस राशि का उपयोग नदियों के पानी की गुणवत्ता बहाली के लिए किया जाएगा. तीनों नदियों के तट पर 88 जगह अतिक्रमण किए गए हैं. एनजीटी ने सिलीगुड़ी नगर निगम को निर्देश दिया कि अतिक्रमणकारियों और अनाधिकृत निर्माणों को 31 मार्च 2022 से पहले हटाएं.
एनजीटी ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2005 में सीवेज ट्रीटमेंट और तीनों नदियों के प्रदूषण को रोकने के लिए महानंदा एक्शन प्लान को लागू करने के लिए 54 करोड़ 28 लाख रुपये मंजूर किए थे. इसके बावजूद सिलीगुड़ी नगर निगम पर्यावरण को साफ करने और प्रदूषण को रोकने के उपाय करने के अपने संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने में विफल रहा.
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