नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि कोर्ट ने तहसीन पूनावाला दिशानिर्देशों का अध्ययन किया है और आशा की है कि उनका अनुपालन किया जा रहा है. साथ ही इस बात पर जोर दिया कि एक वकील के दावे पर अदालत बहुत स्पष्ट है कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) की रैली में घृणास्पद भाषण दिया गया था. कोर्ट ने कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषण से जुड़े किसी मामले की सुनवाई करते समय दोनों पक्षों के साथ एक जैसा व्यवहार किया जाए.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने मामले की शुरुआत में कहा कि उन्होंने तहसीन पूनावाला फैसले (2018) में पारित दिशानिर्देशों का अध्ययन किया है. केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज की उपस्थिति में कोर्ट ने कहा कि अदालत को उम्मीद है कि उनका अनुपालन किया जा रहा है. घृणास्पद भाषण मामले के संबंध में, एक वकील ने कहा कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) द्वारा आयोजित एक रैली थी, जहां हिंदुओं की मौत का नारा लगाया गया था.
न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि हम बहुत स्पष्ट हैं, चाहे एक पक्ष हो या दूसरा पक्ष, सभी के साथ एक जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए. यदि कोई ऐसी किसी भी चीज़ में लिप्त होता है, जिसके बारे में हम जानते हैं कि वह घृणास्पद भाषण है तो उससे कानून के अनुसार निपटा जाएगा. यह कुछ ऐसा है जिस पर हम पहले ही अपनी राय व्यक्त कर चुके हैं. मुझे नहीं लगता कि हमें दोहराना होगा.
इस मौके पर वकील निज़ाम पाशा ने कहा कि उम्मीद है कि इसका कोई पक्ष नहीं है और हम सभी एक ही पक्ष में हैं. आईयूएमएल रैली में नफरत फैलाने वाले भाषण का दावा करने वाले वकील ने कहा कि पाशा शीर्ष अदालत के सामने पूरे तथ्य नहीं ला रहे हैं. संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद पीठ ने मामले की सुनवाई अगले शुक्रवार के लिए निर्धारित की है.