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WB division of state: पश्चिम बंगाल में टीएमसी राज्य के विभाजन को रोकने के लिए प्रस्ताव लाएगी

पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस विधानसभा में आगामी बजट सत्र में राज्य के विभाजन को रोकने के लिए प्रस्ताव लाएगी.

Etv BharatWest Bengal Assembly will bring a resolution to stop the bifurcation of the state in the upcoming budget session (file photo)
Etvपश्चिम बंगाल विधानसभा आगामी बजट सत्र में राज्य के विभाजन को रोकने के लिए प्रस्ताव लाएगी (फाइल फोटो ) Bharat
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Published : Feb 8, 2023, 8:22 AM IST

कोलकाता: पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने अलगाववादी आंदोलन के खिलाफ हमेशा कड़ा रुख अपनाया है. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी को बार-बार यह कहते सुना गया है कि वे बंगाल के विभाजन के खिलाफ हैं.

उत्तर बंगाल को एक अलग राज्य बनाने की कसम खाने वाले अलगाववादी आंदोलनों को विफल करने के लिए, बंगाल की सत्ताधारी पार्टी आगामी बजट सत्र में ही बंगाल के विभाजन के खिलाफ कड़ा संदेश देने के लिए एक प्रस्ताव ला रही है. संयोग से राज्य सरकार का यह फैसला अहम समय पर आ रहा है.

जिस समय केएलओ प्रमुख जीवन सिंह ने पड़ोसी राज्य असम की मांगों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, गोरखालैंड की मांग पहाड़ियों में जोर से और स्पष्ट रूप से सुनाई दी. कूचबिहार में फिर से अनंत महाराज ग्रेटर कूचबिहार की मांग कर रहे हैं. राज्य का दावा है कि केंद्र सरकार इन सभी मांगों का समर्थन कर रही है.

राज्य विधानसभा में कड़ा संदेश देने के लिए अलगाववादी आंदोलन को विफल करने का प्रस्ताव लाया जा रहा है. सब कुछ ठीक रहा तो 13 फरवरी को राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पर चर्चा होगी. संयोग से यह पहली बार नहीं है कि बंगाल के विभाजन का विरोध करने वाला प्रस्ताव विधानसभा में लाया गया है.

इससे पहले 2017 में राज्य की सत्ताधारी पार्टी बंगाल के विभाजन के विरोध में प्रस्ताव लेकर आई थी. हालांकि, उस समय विपक्षी भाजपा के विधायकों की संख्या केवल तीन थी. इस बार जब राज्य विधानसभा में विपक्षी विधायकों की संख्या 75 है तो राजनीतिक गलियारों में इस तरह के कदम को अहम माना जा रहा है.

ये भी पढ़ें- Mehbooba Mufti Dauther Iltija Mufti: इल्तिजा मुफ्ती को अभी तक नहीं मिला उनका नया पासपोर्ट, एडीजीपी को लिखा पत्र

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रस्ताव पर चर्चा से राज्य की सत्ताधारी पार्टी अलगाववादी आंदोलन के विरोध में आवाज उठाएगी, ठीक वैसे ही जैसे विपक्षी भाजपा विधायक हाल के दिनों में खुले तौर पर अलग उत्तर बंगाल या गोरखालैंड की बात करते रहे हैं.

संसदीय मर्यादाओं के लिहाज से यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है. अब देखना यह है कि बीजेपी इस कदम का समर्थन करती है या नहीं. राज्य के सत्तारूढ़ दल के विधायक निर्मल घोष के अनुसार, भाजपा राज्य नेतृत्व खुले तौर पर अलग राज्य की मांग का समर्थन नहीं करता है, लेकिन अलगाववादी ताकतों का सूक्ष्म रूप से समर्थन करता है.

कोलकाता: पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने अलगाववादी आंदोलन के खिलाफ हमेशा कड़ा रुख अपनाया है. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी को बार-बार यह कहते सुना गया है कि वे बंगाल के विभाजन के खिलाफ हैं.

उत्तर बंगाल को एक अलग राज्य बनाने की कसम खाने वाले अलगाववादी आंदोलनों को विफल करने के लिए, बंगाल की सत्ताधारी पार्टी आगामी बजट सत्र में ही बंगाल के विभाजन के खिलाफ कड़ा संदेश देने के लिए एक प्रस्ताव ला रही है. संयोग से राज्य सरकार का यह फैसला अहम समय पर आ रहा है.

जिस समय केएलओ प्रमुख जीवन सिंह ने पड़ोसी राज्य असम की मांगों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, गोरखालैंड की मांग पहाड़ियों में जोर से और स्पष्ट रूप से सुनाई दी. कूचबिहार में फिर से अनंत महाराज ग्रेटर कूचबिहार की मांग कर रहे हैं. राज्य का दावा है कि केंद्र सरकार इन सभी मांगों का समर्थन कर रही है.

राज्य विधानसभा में कड़ा संदेश देने के लिए अलगाववादी आंदोलन को विफल करने का प्रस्ताव लाया जा रहा है. सब कुछ ठीक रहा तो 13 फरवरी को राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पर चर्चा होगी. संयोग से यह पहली बार नहीं है कि बंगाल के विभाजन का विरोध करने वाला प्रस्ताव विधानसभा में लाया गया है.

इससे पहले 2017 में राज्य की सत्ताधारी पार्टी बंगाल के विभाजन के विरोध में प्रस्ताव लेकर आई थी. हालांकि, उस समय विपक्षी भाजपा के विधायकों की संख्या केवल तीन थी. इस बार जब राज्य विधानसभा में विपक्षी विधायकों की संख्या 75 है तो राजनीतिक गलियारों में इस तरह के कदम को अहम माना जा रहा है.

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इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रस्ताव पर चर्चा से राज्य की सत्ताधारी पार्टी अलगाववादी आंदोलन के विरोध में आवाज उठाएगी, ठीक वैसे ही जैसे विपक्षी भाजपा विधायक हाल के दिनों में खुले तौर पर अलग उत्तर बंगाल या गोरखालैंड की बात करते रहे हैं.

संसदीय मर्यादाओं के लिहाज से यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है. अब देखना यह है कि बीजेपी इस कदम का समर्थन करती है या नहीं. राज्य के सत्तारूढ़ दल के विधायक निर्मल घोष के अनुसार, भाजपा राज्य नेतृत्व खुले तौर पर अलग राज्य की मांग का समर्थन नहीं करता है, लेकिन अलगाववादी ताकतों का सूक्ष्म रूप से समर्थन करता है.

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