तेजपुर : मणिपुर में हिंसा को करीब तीन महीने हो गये हैं. इस दौरान राज्य में कई अप्रिय घटनाएं घटीं हैं. राज्य में हिंसा के कारण न केवल लोगों की हत्याएं हुई हैं और वे बेघर होने पर मजबूर हुए हैं बल्कि हिंसा के बाद कई लोग लापता भी हैं. अस्पतालों के मुर्दाघर में कई अज्ञात शव पड़े हुए हैं जिनकी पहचान नहीं हो पायी है.
हिंसा प्रभावित मणिपुर में दो पत्रकार, दो नाबालिग और दो महिलाओं सहित कम से कम 30 गैर-आदिवासी व्यक्ति लापता हैं. स्थानीय मीडिया के दो लापता पत्रकारों में एटम समरेंद्र सिंह (47) और युमखैबम किरणकुमार सिंह (48) शामिल है. ये 27 व्यक्ति, उनमें से कुछ मई से, कुछ जून से और शेष जुलाई से लापता हैं. लापता लोग इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, टेंग्नौपाल, बिष्णुपुर, कांगपोकपी, थौबल और काकचिंग जिलों के निवासी हैं. विभिन्न थानों में गुमशुदगी के मामले दर्ज कराए गए. लापता लोगों की उम्र 17 साल से 47 साल के बीच है.
समरेंद्र सिंह के चाचा एटम मेघजीत सिंह ने ईटीवी भारत के वरिष्ठ पत्रकार प्रणब कुमार दास को बताया कि वह थाने में अपने भतीजे और उनके दोस्त की खबर ले-लेकर थक चुके हैं. दो बच्चों के पिता समरेंद्र सिंह पहले मणिपुर शंघाई एक्सप्रेस के लिए बतौर पत्रकार करते थे. वर्तमान में वह केंद्र सरकार की एक एजेंसी में सहायक अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं. युमखैबम किरण कुमार सिंह भी एक पत्रकार हैं. दोनों के परिवारों की तलाश कर रहे हैं.
ये दोनों पत्रकार मणिपुर के पहले लापता व्यक्ति हैं. दोनों ही व्यक्ति अपने-अपने परिवार के एकमात्र व्यक्ति थे. परिवार ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को घटना की जानकारी दे दी है. दोनों परिवार जल्द ही दोबारा राज्यपाल से मिलने की योजना बना रहे हैं. मेघजीत सिंह ने बताया कि शुरुआती शिकायत के समय पुलिस और सेना की एक टीम ने इलाके में तलाशी अभियान चलाया था. लेकिन उनका कोई पता नहीं चल सका.
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उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि पत्रकार, शोधकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता समरेंद्र सिंह और उनके दोस्त मणिपुर में हिंसा फैलने के तीन दिन बाद 6 मई को लापता हो गए. उसके बाद से उनका कुछ पता नहीं चला. कांगपोकपी जिले के पिस्ताई पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी सोनिल कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि दोनों लोग कांगपोकपी जिले से लापता हो गए. थाने के अंतर्गत यह एकमात्र गुमशुदगी का मामला है. दोनों व्यक्तियों के मोबाइल फोन बंद हैं. बहरहाल, ये तो सिर्फ थाने का मामला है मणिपुर में ऐसी कई चौंकाने वाली घटनाएं हुईं हैं.