नारायणपुर: रविवार को बस्तर संभाग के इंद्रावती, बीजापुर, ओरछा सहित लगभग 90 गांवों के लगभग 7 हजार ग्रामीणों ने चक्काजाम कर दिया है. राशनपानी के साथ प्रदर्शनकारी ग्रामीण ओरछा मंडाली पारा के मुख्य मार्ग में बैठे हुए हैं. जिससे रविवार सुबह से ही ओरछा मार्ग में वाहनों के पहिए थम गए है. ओरछा से मुख्यालय की जाने वाली यात्री बस भी ओरछा में ही फंसी रही. हजारों की संख्या में शामिल प्रदर्शनकारियों में दुधमुंहे बच्चों को लेकर भी महिलाएं शामिल हुई है. ग्रामीणों का कहना है कि "जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा". ग्रामीणों के ओरछा मुख्य मार्ग में चक्काजाम करने से ओरछा का मुख्यालय से सम्पर्क टूट गया है. इससे आम लोगों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है.
चक्काजाम से छोटेडोंगर ओरछा मार्ग में पसरा सन्नाटा: ओरछा मार्ग के मंडालीपारा मुख्य मार्ग में बैनर पोस्टर लेकर हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए अपना विरोध जता रहे हैं. ओरछा मंडाली के पास मुख्य मार्ग में आंदोलन में बैठे ग्रामीणों ने बांलेगा से ओरछा ले जा रही 3 टिप्पर गाड़ी को मंडाली में ही रोक दिया. इससे वाहन चालक घंटों सड़क खुल्लने का इंतजार करता रहा. गरियाबंद जिले से अपने स्वास्थ्य कर्मी बेटे से मिलने जा रहे पिता को भी ग्रामीणों ने रोक दिया.
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आमदई खदान और रावघाट परियोजना बंद करने का लगाया नारा: आंदोलन रत ग्रामीण धरना स्थल पर अपने पारंपरिक हथियार तीर धनुष कुल्हाड़ी लेकर आमदई लौह अयस्क खनन और रावघाट परियोजना बंद करने का नारा लगा रहे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि यहां नए कैंप खोलने से उन्हें दिक्कत है. इसलिए नारायणपुर और उससे सटे बस्तर के इलाकों में नए कैंप नहीं खोले जाने चाहिए. विरोध प्रदर्शन में बैठे ग्रामीणों ने नए रोड निर्माण का भी विरोध किया है.
नारायणपुर जिले के अबुझमाड़ इलाके के तोयामेटा में 1 नवबंर से एवं ढोंढ़रिबेड़ा, इरकभट्टी में 18 अक्टूबर से ग्रामीण 3 अपनी सूत्रीय मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे है. इसमें वन अधिनियम 2022 रद्द करने, नए प्रस्तावित कैम्प नहीं खोलने, पेसा कानून का पालन करने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे है.