देहरादून: अगले साल की शुरुआत में जिन 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें उत्तराखंड भी शामिल है. उत्तराखंड में भी हर दल चुनाव की तैयारियों में जुटा हुआ है, नेताओं की बयानबाजी भी चौथे गियर में पहुंच गई है. इसी कड़ी में पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता विजय बहुगुणा ने एक बयान दिया है. विजय बहुगुणा का बयान इशारा करता है कि उत्तराखंड में एक बार फिर मुख्यमंत्री बदलने वाला है. वैसे भी 2021 को उत्तराखंड के इतिहास में मुख्यमंत्री बदलने को लेकर याद किया जाएगा.
विजय बहुगुणा ने क्या कहा ?
दरअसल उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में सत्ताधारी दल भाजपा अपने मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर युवा मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी को प्रोजेक्ट कर रहा है. मौजूदा मुख्यमंत्री के होते हुए ये वाजिब भी लगता है. लेकिन यह बात कई वरिष्ठ नेताओं के गले नहीं उतर रही है. इस मुद्दे पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजय बहुगुणा का मन टटोला गया तो उन्होंने अपनी बेबाक राय मीडिया के सामने रखी.
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि राजनीति अनिश्चितताओं का खेल है और भाजपा ने यह सिद्ध कर दिया है. उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं कि मुख्यमंत्री को यहां पर रिपीट किया जाए. उन्होंने गुजरात का उदाहरण देते हुए कहा कि भाजपा में रिपीट नहीं किया जाता है, यह साबित हो चुका है. बहुगुणा ने अपने बयान में यह भी बताने की कोशिश की है कि अभी उत्तराखंड में टॉप लीडरशिप बाकी है. वहीं, बहुगुणा ने बीते रोज नाराज पूर्व विधायकों और सरकार दायित्वधारी रहे वरिष्ठ नेताओं को मनाने के लिए बुलाई गई बैठक के सवाल पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है. बैठक में कौन आया कौन नहीं आया, ये देखा जाएगा लेकिन आगामी चुनाव के लिए पार्टी कार्यकर्ता उत्साहित हैं और अनुशासन में हैं.
विजय बहुगुणा की 'जजमेंट' क्या हैं ?
विजय बहुगुणा इलाहबाद हाइकोर्ट से लेकर बॉम्बे हाइकोर्ट के जज रह चुके हैं और अब बीते करीब एक दशक से वो सियासत की नब्ज टटोल रहे हैं. चुनाव दहलीज पर हैं तो सवाल है कि चुनाव से पहले विजय बहुगुणा की 'जजमेंट' क्या कहती है. दरअसल विजय बहुगुणा बीते महीनों में गुजरात से लेकर कर्नाटक जैसे राज्यों का उदाहरण दे रहे हैं जहां बीजेपी ने मुख्यमंत्री बदले हैं. गुजरात में तो अगले साल के आखिर में चुनाव भी होने हैं. चुनाव प्रबंधन समिति की बैठक में शामिल होने पहुंचे विजय बहुगुणा बीजेपी की इस रोटेशन पॉलिसी को अच्छा मानते हैं. वैसे बीजेपी ऐसा असम में भी कर चुकी है जहां 2016 के विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार कमल खिला तो बीजेपी ने सर्बानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री बनाया था, जबकि इस साल हुए विधानसभा चुनाव में जीत के बाद बीजेपी ने सर्बानंद सोनोवाल को रिपीट ना करके हेमंत विस्वा सरमा को मुख्यमंत्री बना दिया. विजय बहुगुणा के मुताबिक बीजेपी में मुख्यमंत्री को लेकर रोटेशन पॉलिसी है यानि जो एक बार मुख्यमंत्री बन जाए जरूरी नहीं कि वो बार-बार मुख्यमंत्री बने, उसे संगठन के काम से लेकर अन्य जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं.
लेकिन विजय बहुगुणा मध्य प्रदेश का उदाहरण भूल गए जहां लगातार तीन कार्यकाल के बाद शिवराज चौहान चौथी बार भी मुख्यमंत्री बने हैं, रमन सिंह भी लगातार 15 साल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे और देश के प्रधानमंत्री खुद लगातार 13 साल से ज्यादा गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उत्तराखंड में ही भुवन चंद खंडूड़ी को बीजेपी ने रिपीट किया था जो पहले साल 2007 से 2009 तक और फिर 2011 से 2012 तक मुख्यमंत्री रहे.
तो क्या धामी सीएम नहीं बनेंगे ?
विजय बहुगुणा तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं. क्योंकि अगर बहुगुणा के बयान के मुताबिक रोटेशन पॉलिसी के तहत चेहरा बदला गया तो पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगे. हालांकि इस सवाल के जवाब से पहले बीजेपी को उत्तराखंड के सियासी रण में जीत हासिल करनी पड़ेगी. लेकिन जिस तरह से बीजेपी धामी को एक युवा चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट कर रही है और विजय बहुगुणा रोटेशन की बात कर रहे हैं तो राहें नेताओं की राहें मुख्यमंत्री के नाम पर जुदा हो रही हैं. विजय बहुगुणा का ये बयान ये भी सवाल उठाता है कि क्या बीजेपी के कुछ नेता मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से खुश नहीं हैं ? क्योंकि विजय बहुगुणा का बयान तो एक तरह से पार्टी लाइन के खिलाफ भी जाता है, भले उन्होंने नाम नहीं लिया हो लेकिन रोटेशन का मतलब तो सब जानते ही हैं और गुजरात का उदाहरण देकर उनका बयान मुख्यमंत्री बदलने की ओर इशारा करता है.
तो एक साल में उत्तराखंड का चौथा मुख्यमंत्री होगा ?
2021 का साल उत्तराखंड में कोरोना की दूसरी लहर के अलावा मुख्यमंत्रियों की लहर के लिए भी जाना जाएगा. जहां मुख्यमंत्रियों की ऐसी लहर चली कि चार महीने में प्रदेश की जनता को 3 मुख्यमंत्रियों के दर्शन हुए. 2017 में बंपर जीत के साथ उत्तराखंड में कमल खिला तो बीजेपी ने तीरथ सिंह रावत को राज्य की कमान सौंपी, लेकिन चुनाव से ठीक पहले उनका इस्तीफा हो गया और 10 मार्च को तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया और फिर जुलाई 2021 में उनका भी इस्तीफा हो गया. 4 जुलाई को पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बने और प्रदेश की कमान फिलहाल संभाल रहे हैं. ऐसे में अगर विजय बहुगुणा की मुख्यमंत्री रोटेशन की बात को मानें तो अगले साल मार्च में आने वाले चुनावी नतीजों के बाद अगर बीजेपी जीतती है तो एक साल के भीतर चौथा मुख्यमंत्री प्रदेश की कमान संभालने के लिए देहरादून में शपथ लेगा.
किसकी ओर इशारा है ?, बहुगुणा भी तो सीएम रह चुके हैं
अब सवाल है कि विजय बहुगुणा किसे मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं क्योंकि अगर वो अपनी बात कर रहे हैं तो वो भी सूबे के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. भले तब वो कांग्रेस में थे लेकिन वो प्रदेश के छठे मुख्यमंत्री के रूप में 13 मार्च 2012 से 31 जनवरी 2014 तक प्रदेश की कमान संभाल चुके हैं. लंबे वक्त के बाद कांग्रेस से उनका मोह भंग हुआ और 2017 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के बागियों के साथ कमल थाम लिया. क्या बहुगुणा खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं ? क्या वो इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने वाले हैं ? अगर नहीं तो फिर इस रोटेशन पॉलिसी के तहत किसको मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. साथ ही सवाल ये भी उठता है कि वो आगामी चुनाव में धामी को क्यों मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाना चाहते या रोटेशन का राग क्यों अलाप रहे हैं ?
किसी और दल की सरकार बनने पर भी मिलेगा चौथा सीएम
बीजेपी इस बार उत्तराखंड में फिर से सत्ता पर काबिज होने का दावा कर रही है. लेकिन उत्तराखंड में सत्ता पर दोबारा काबिज होना तो छोड़िये राज्य के गठन के बाद से एनडी तिवारी को छोड़कर कोई भी सीएम अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. सरकारें हर बार बदलती है, ऐसे में अगर उत्तराखंड में बीजेपी अपनी जीत रिपीट करके करिश्मा ना कर पाई तो भी उत्तराखंड को एक साल में चौथा मुख्यमंत्री मिलेगा.
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