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केरल में पीड़ित संरक्षण योजना नहीं होने पर अदालत ने चिंता जताई - Kerala High Court

केरल हाई कोर्ट ने एक पीड़ित लड़की द्वारा पुलिस सुरक्षा के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कोच्चि में पीड़ित संरक्षण योजना नहीं होने पर चिंता जताई. अदालत ने कहा कि राज्य में पीड़ित संरक्षण योजना लागू करने का यह सही समय है.

पीड़ित संरक्षण योजना
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Published : Oct 13, 2021, 7:24 AM IST

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण संबंधी पॉक्सो कानून के तहत दर्ज होने वाले मामलों की बढ़ती संख्या और बच्चों को इस तरह के अपराधों या खतरों से बचाने के लिए कोई प्रणाली नहीं होने पर मंगलवार को चिंता व्यक्त की. अदालत ने कहा कि राज्य में पीड़ित संरक्षण योजना लागू करने का यह सही समय है.

न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन की एकल पीठ ने एक पीड़ित लड़की द्वारा पुलिस सुरक्षा के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कोच्चि में पीड़ित संरक्षण योजना नहीं होने पर चिंता जताई. मामला पॉक्सो कानून के तहत दर्ज किया गया है जिसमें लड़की की मां ने आरोपी और उसके परिजनों पर उन्हें धमकियां दिये जाने का आरोप लगाया है.

अदालत ने कहा, समय आ गया है कि हमारे पास पीड़ित संरक्षण योजना हो. यह केवल कागज पर है. इसे लागू नहीं किया गया है. अन्य देशों में उन्हें (पीड़ितों को)बचाया जाता.

अदालत ने पुलिस को भी अंतरिम निर्देश जारी कर पीड़िता और उसके परिवार को किसी भी स्रोत से जान के खतरे से बचाने का आदेश दिया.

(पीटीआई-भाषा)

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण संबंधी पॉक्सो कानून के तहत दर्ज होने वाले मामलों की बढ़ती संख्या और बच्चों को इस तरह के अपराधों या खतरों से बचाने के लिए कोई प्रणाली नहीं होने पर मंगलवार को चिंता व्यक्त की. अदालत ने कहा कि राज्य में पीड़ित संरक्षण योजना लागू करने का यह सही समय है.

न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन की एकल पीठ ने एक पीड़ित लड़की द्वारा पुलिस सुरक्षा के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कोच्चि में पीड़ित संरक्षण योजना नहीं होने पर चिंता जताई. मामला पॉक्सो कानून के तहत दर्ज किया गया है जिसमें लड़की की मां ने आरोपी और उसके परिजनों पर उन्हें धमकियां दिये जाने का आरोप लगाया है.

अदालत ने कहा, समय आ गया है कि हमारे पास पीड़ित संरक्षण योजना हो. यह केवल कागज पर है. इसे लागू नहीं किया गया है. अन्य देशों में उन्हें (पीड़ितों को)बचाया जाता.

अदालत ने पुलिस को भी अंतरिम निर्देश जारी कर पीड़िता और उसके परिवार को किसी भी स्रोत से जान के खतरे से बचाने का आदेश दिया.

(पीटीआई-भाषा)

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