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उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भारत-पाक सीमा पर स्थित तनोट माता मंदिर में किए दर्शन

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू (Vice President Venkaiah Naidu) ने जैसलमेर पहुंचे, जहां उन्होंने तनोट माता (Tanot Mata Temple) के मंदिर में पूजा-अर्चना की. जिसके बाद वे लोंगेवाला के युद्ध स्थल का अवलोकन किया. इस दौरान उनके साथ उनकी पत्नी और राज्यपाल कलराज मिश्र मौजूद रहे.

उपराष्ट्रपति
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Published : Sep 26, 2021, 6:57 PM IST

Updated : Sep 26, 2021, 11:01 PM IST

जैसलमेर : उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू रविवार से दो दिवसीय जैसलमेर दौरे पर हैं. उपराष्ट्रपति और राज्यपाल कलराज मिश्र वायुसेना के विशेष विमान से भारत-पाक सीमा पर स्थित तनोट माता मंदिर पहुंचे. तनोट पहुंचने पर हेलीपैड पर सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force) राजस्थान फ्रंटियर के आईजी ने उपराष्ट्रपति का स्वागत किया.

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू

1971 के भारत-पाक युद्ध की 50 में स्वर्ण जयंती (50th Golden Jubilee of Indo-Pak War) के अवसर पर वेंकैया नायडू जैसलमेर पहुंचे हैं. सीमा सुरक्षा बल राजस्थान फ्रंटियर के आईजी पंकज घुमर, बीएसएफ डीआईजी नॉर्थ अरुण कुमार सिंह, जिला प्रमुख प्रताप सिंह ने उप राष्ट्रपति और राज्यपाल का स्वागत किया. इस दौरान जिला कलेक्टर आशीष मोदी और पुलिस अधीक्षक अजय सिंह भी मौजूद रहे.

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू

उपराष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति की पत्नी एम. उषा, राज्यपाल कलराज मिश्र तनोट माता मंदिर पहुंचे, जहां पूजा-अर्चना कर देश में अमन चैन और खुशहाली की कामना की. इस दौरान केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री व बाड़मेर-जैसलमेर सांसद कैलाश चौधरी ने उपराष्ट्रपति को 1965 और 1971 के युद्ध के दौरान तनोट माता के चमत्कारों के बारे में भी जानकारी दी. इसी दौरान उपराष्ट्रपति ने मंदिर परिसर में रखे बम को देखा.

तनोट माता मंदिर में किए दर्शन
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू

1971 के भारत-पाक युद्ध (Indo Pak war) के दौरान पाकिस्तान ने क्षेत्र में सैकड़ों बम बरसाए थे. मान्यता है कि तनोट माता के चमत्कारों के चलते वह बम नहीं फटे, जो आज भी मंदिर परिसर में रखे गए हैं. वेंकैया नायडू ने तनोट माता मंदिर परिसर में 1971 के युद्ध विजय के प्रतीक के रूप में बनाए गए विजय स्तंभ पर पुष्प चक्र अर्पित किया और वीर शहीदों को नमन किया.

बीएसएफ के जवानों ने नायडू को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया. इस दौरान उन्होंने भारत-पाक सीमा की रक्षा में तैनात बीएसएफ के जवानों से चर्चा कर उनकी हौसला अफजाई की. इसके बाद उप राष्ट्रपति और राज्यपाल तनोट से 1971 के भारत-पाक युद्धस्थल लोंगेवाला के लिए रवाना हुए, जहां पर उन्होंने युद्ध स्थल का अवलोकन किया.

साथ ही उस ऐतिहासिक लड़ाई के बारे में जाना. बैटल ऑफ लोंगेवाला (Battle of Longewala) में देश की रक्षा करते हुए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले देश के वीर सपूतों को नमन किया.

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू

फेसबुक पोस्ट कर साझा किया अनुभव

इस दौरान उपराष्ट्रपति ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में लोंगेवाला युद्ध स्थल की अपनी यात्रा को जीवन का अविस्मरणीय अवसर बताया. उन्होंने लिखा कि भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट, धूल भरे थार रेगिस्तान में रेत के टीले पर खड़े हो कर उस भीषण युद्ध की गाथा सुनना और हमारे वीर सैनिकों के पराक्रम की कहानियां सुनना, मेरी स्मृति में हमेशा के लिए अंकित रह गया है.

उप राष्ट्रपति ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा कि लोंगेवाला युद्ध में मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी और 23 पंजाब की A कंपनी के उनके साथी सैनिकों के शौर्य की सराहना की. उप राष्ट्रपति ने लिखा लोंगेवाला का युद्ध देश के सामरिक इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है, जिसमें देश के फौलादी इरादों को उजागर किया गया.

भारतीय सैनिकों के जज्बे को सलाम

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू

उपराष्ट्रपति नायडु ने भारतीय सैनिकों के कभी हार न मानने के जज्बे को सलाम किया है. लोंगेवाला युद्ध को साहस और शौर्य की अद्भुत गाथा बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोंगेवाला युद्ध की कहानियां आज भी जीवित हैं और सैनिकों की पीढ़ियों को प्रेरणा दे रही हैं.

क्षेत्र की संरक्षक देवी के रूप में तनोट माता पर सैनिकों और स्थानीय समुदाय की अगाध आस्था के बारे लिखते हुए उपराष्ट्रपति ने लिखा कि लोंगेवाला युद्ध में विपरीत परिस्थितियों में भी विजय और वीरगति की गाथाओं से सैनिकों की देवी मां में आस्था और दृढ़ हुई है.

विज़िटर बुक में बीएसएफ जवानों की सराहना

तनोट माता मंदिर की विजिटर बुक में उप राष्ट्रपति ने सीमा सुरक्षा बल के सैनिकों के संकल्प और समर्पण की सराहना की, जो थार रेगिस्तान की कठिन परिस्थितियों में भी सीमाओं की रक्षा में तत्पर रहते हैं.

रेतीले टीलों पर लोक कला का उठाया लुफ्त

उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शाम को जैसलमेर के विश्व प्रसिद्ध मखमली रेतीले टीलों को देखने के लिए सम इलाके का रुख किया. वहां स्थानीय लोक कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये.

इसे भी पढ़ें : उपराष्ट्रपति बोले, दूरदर्शी और समाज सुधारक थे सावरकर

जैसलमेर : उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू रविवार से दो दिवसीय जैसलमेर दौरे पर हैं. उपराष्ट्रपति और राज्यपाल कलराज मिश्र वायुसेना के विशेष विमान से भारत-पाक सीमा पर स्थित तनोट माता मंदिर पहुंचे. तनोट पहुंचने पर हेलीपैड पर सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force) राजस्थान फ्रंटियर के आईजी ने उपराष्ट्रपति का स्वागत किया.

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू

1971 के भारत-पाक युद्ध की 50 में स्वर्ण जयंती (50th Golden Jubilee of Indo-Pak War) के अवसर पर वेंकैया नायडू जैसलमेर पहुंचे हैं. सीमा सुरक्षा बल राजस्थान फ्रंटियर के आईजी पंकज घुमर, बीएसएफ डीआईजी नॉर्थ अरुण कुमार सिंह, जिला प्रमुख प्रताप सिंह ने उप राष्ट्रपति और राज्यपाल का स्वागत किया. इस दौरान जिला कलेक्टर आशीष मोदी और पुलिस अधीक्षक अजय सिंह भी मौजूद रहे.

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू

उपराष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति की पत्नी एम. उषा, राज्यपाल कलराज मिश्र तनोट माता मंदिर पहुंचे, जहां पूजा-अर्चना कर देश में अमन चैन और खुशहाली की कामना की. इस दौरान केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री व बाड़मेर-जैसलमेर सांसद कैलाश चौधरी ने उपराष्ट्रपति को 1965 और 1971 के युद्ध के दौरान तनोट माता के चमत्कारों के बारे में भी जानकारी दी. इसी दौरान उपराष्ट्रपति ने मंदिर परिसर में रखे बम को देखा.

तनोट माता मंदिर में किए दर्शन
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू

1971 के भारत-पाक युद्ध (Indo Pak war) के दौरान पाकिस्तान ने क्षेत्र में सैकड़ों बम बरसाए थे. मान्यता है कि तनोट माता के चमत्कारों के चलते वह बम नहीं फटे, जो आज भी मंदिर परिसर में रखे गए हैं. वेंकैया नायडू ने तनोट माता मंदिर परिसर में 1971 के युद्ध विजय के प्रतीक के रूप में बनाए गए विजय स्तंभ पर पुष्प चक्र अर्पित किया और वीर शहीदों को नमन किया.

बीएसएफ के जवानों ने नायडू को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया. इस दौरान उन्होंने भारत-पाक सीमा की रक्षा में तैनात बीएसएफ के जवानों से चर्चा कर उनकी हौसला अफजाई की. इसके बाद उप राष्ट्रपति और राज्यपाल तनोट से 1971 के भारत-पाक युद्धस्थल लोंगेवाला के लिए रवाना हुए, जहां पर उन्होंने युद्ध स्थल का अवलोकन किया.

साथ ही उस ऐतिहासिक लड़ाई के बारे में जाना. बैटल ऑफ लोंगेवाला (Battle of Longewala) में देश की रक्षा करते हुए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले देश के वीर सपूतों को नमन किया.

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू

फेसबुक पोस्ट कर साझा किया अनुभव

इस दौरान उपराष्ट्रपति ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में लोंगेवाला युद्ध स्थल की अपनी यात्रा को जीवन का अविस्मरणीय अवसर बताया. उन्होंने लिखा कि भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट, धूल भरे थार रेगिस्तान में रेत के टीले पर खड़े हो कर उस भीषण युद्ध की गाथा सुनना और हमारे वीर सैनिकों के पराक्रम की कहानियां सुनना, मेरी स्मृति में हमेशा के लिए अंकित रह गया है.

उप राष्ट्रपति ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा कि लोंगेवाला युद्ध में मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी और 23 पंजाब की A कंपनी के उनके साथी सैनिकों के शौर्य की सराहना की. उप राष्ट्रपति ने लिखा लोंगेवाला का युद्ध देश के सामरिक इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है, जिसमें देश के फौलादी इरादों को उजागर किया गया.

भारतीय सैनिकों के जज्बे को सलाम

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू

उपराष्ट्रपति नायडु ने भारतीय सैनिकों के कभी हार न मानने के जज्बे को सलाम किया है. लोंगेवाला युद्ध को साहस और शौर्य की अद्भुत गाथा बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोंगेवाला युद्ध की कहानियां आज भी जीवित हैं और सैनिकों की पीढ़ियों को प्रेरणा दे रही हैं.

क्षेत्र की संरक्षक देवी के रूप में तनोट माता पर सैनिकों और स्थानीय समुदाय की अगाध आस्था के बारे लिखते हुए उपराष्ट्रपति ने लिखा कि लोंगेवाला युद्ध में विपरीत परिस्थितियों में भी विजय और वीरगति की गाथाओं से सैनिकों की देवी मां में आस्था और दृढ़ हुई है.

विज़िटर बुक में बीएसएफ जवानों की सराहना

तनोट माता मंदिर की विजिटर बुक में उप राष्ट्रपति ने सीमा सुरक्षा बल के सैनिकों के संकल्प और समर्पण की सराहना की, जो थार रेगिस्तान की कठिन परिस्थितियों में भी सीमाओं की रक्षा में तत्पर रहते हैं.

रेतीले टीलों पर लोक कला का उठाया लुफ्त

उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शाम को जैसलमेर के विश्व प्रसिद्ध मखमली रेतीले टीलों को देखने के लिए सम इलाके का रुख किया. वहां स्थानीय लोक कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये.

इसे भी पढ़ें : उपराष्ट्रपति बोले, दूरदर्शी और समाज सुधारक थे सावरकर

Last Updated : Sep 26, 2021, 11:01 PM IST
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