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उपराष्ट्रपति धनखड़ बोले- भजनलाल का सीएम पद तक पहुंचना बदलते भारत का इशारा, ममता बनर्जी-गहलोत पर कही ये बड़ी बात

राजस्थान विधानसभा में सत्र के आगाज से पहले सदन की ओर से विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम का मंगलवार को उद्घाटन हुआ. इस दौरान मुख्य वक्ता के रूप में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नए और पुराने विधायकों को अपने तजुर्बे के साथ कई किस्से बताए. उन्होंने बताया कि कैसे सदन की कार्यवाही के जरिए लोकतंत्र को मजबूत बनाया जा सकता है. मंगलवार शाम को प्रबोधन के समापन कार्यक्रम के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला मुख्य वक्ता रहेंगे.

Vice President Dhankar in the enlightenment program
प्रबोधन कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति धनखड़
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 16, 2024, 2:31 PM IST

प्रबोधन कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति धनखड़

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में विधायकों की प्रबोधन कार्यशाला के दौरान उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सदन के समक्ष अपना संबोधन रखा. इस दौरान धनखड़ ने पक्ष-विपक्ष के विधायकों को नसीहत देकर दायित्वों से रूबरू करवाया. उपराष्ट्रपति ने अपने वक्तव्य की शुरुआत में सदन से अपनी राजनीतिक शुरुआत का जिक्र किया और अजमेर में मौजूदा स्पीकर वासुदेव देवनानी के साथ सियासी तकरार वाले रिश्तों का जिक्र करते हुए संबंधों की मर्यादा बताई.

उन्होंने कहा कि मर्यादा में रहकर कटाक्ष और विरोध करना कोई देवनानी से सीखे. उन्होंने सीएम भजनलाल शर्मा को लेकर कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य जिस तरीके से मिला है, उससे यह इशारा मिलता है कि भारत बदल गया है, अब सब कुछ मुमकिन है. उपराष्ट्रपति धनखड़ ने साथ ही मुख्यमंत्री शर्मा के लिए कम वक्त में हासिल लोकप्रियता को आगे बढ़ाने और कायम रख पाने की चुनौती भी बताई.

भारत प्रजातंत्र की दृष्टि से आदर्शवादी : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विधानसभा में प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन पर कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत डेमोक्रेसी है. उन्होंने देश के लोकतंत्र को सबसे पुराना और प्रभावी बताया. उपराष्ट्रपति ने अपने भाषण में प्रजातंत्र के साथ-साथ देश की मजबूती के लिए कार्यपालिका को भी भागीदार बताया . उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की ब्यूरोक्रेसी में पहुंचने वाले अफसर दुनिया की सबसे मुश्किल परीक्षा पास कर इस मुकाम को हासिल करते हैं. जगदीप धनखड़ ने कहा कि मैं 1989 में लोकसभा का सदस्य बना और केंद्र में मंत्री रहा, उस वक्त को याद करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए सोने को गिरवी भी रखना पड़ा था. आज भारत दुनिया की 5वीं आर्थिक महाशक्ति बन चुका है. हमने कनाडा और फ्रांस को पीछे छोड़ा, आने वाले समय में भारत जापान को पीछे छोड़ देगा.

Vice President Dhankar in the enlightenment program
विधानसभा में उपराष्ट्रपति ने सुनाए अपने तजुर्बे के किस्से

धनखड़ ने कहा कि जिस रफ्तार से देश आगे बढ़ रहा है, दुनिया भी हैरान है. यह नेतृत्व और नीति बनाने वाले के लिए अहम है. अपनी नसीहत में धनखड़ ने कहा कि हम विकास को राजनीतिक चश्मे से नहीं देख सकते हैं, साथ ही राज्यसभा के सभापति के नाते अनुभवों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी सदन में सदस्य का निलंबन करना सबसे बड़ी पीड़ा होती है. उप राष्ट्रपति ने राजनीतिक दलों से आग्रह करते हुए कहा कि आसन पर संदेह करना कभी ठीक नहीं रहेगा और हल्की फुल्की बातों को दिल पर नहीं लेना चाहिए, ऐसा होने पर ही सदस्य अपनी प्रतिभा को दिखा पाएंगे.

विपक्ष की गैरमौजूदगी पर जताई हैरत : प्रबोधन कार्यक्रम के दौरान विपक्ष के सदस्यों की कम संख्या को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हैरान जताया. प्रतिपक्ष के दायित्वों का जिक्र करते हुए धनखड़ ने कहा कि सरकार को आईना दिखाया जाएगा , तो यह बहुत लाभकारी होगा. सबसे पहले तो यह विधायकों को ध्यान रखना चाहिए कि विधानसभा की कार्यवाही कैसे होती है. उन्होंने कहा कि सरकार को चलाना और सत्ता पक्ष को राह दिखाना, पक्ष और विपक्ष दोनों का काम है. उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर चिंता और चिंतन का है.

इसे भी पढ़ें : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बोले- तात्कालिक राजनीतिक फायदे के लिए समाज को बांटने वालों से रहे सावधान

ममता बनर्जी और गहलोत को लेकर कही यह बात : उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक कहावत का जिक्र किया और कहा कि कहते हैं खीर कितनी अच्छी है, खाने से पता चलती है, यही वजह है कि ममता ने उप राष्ट्रपति चुनाव में मेरा विरोध नहीं किया, पूर्व सीएम अशोक गहलोत से जुड़े किस्से को साझा करते हुए धनखड़ बोले कि उन्होंने तब इसी विधानसभा में कहा था कि जादूगर तो मैं हूं, लेकिन आपने यह कैसे जादूगीरी की. उप राष्ट्रपति ने कहा कि ओम बिरला जी से मैंने ज्ञान प्राप्त किया, बिरला जी ने मुझे कहा कि कुर्सी पर जब बैठो, तो पहले बांई तरफ देखो. बाईं और विपक्ष बैठता है और दाहिने ओर सत्ता पक्ष. कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की बात का भी जिक्र किया और बोले कि खड़गे जी ने मुझसे कहा था, मोहब्बत हमसे और शादी उनसे. सांसद घनश्याम तिवाड़ी की सराहना करते हुए धनखड़ बोले कि बहुत कम वक्त में तिवाड़ी ने राज्यसभा में छाप छोड़ी है.

विधायकों को भी दिया न्योता : विधानसभा में आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के दौरान जगदीप धनखड़ ने कहा कि हर विधायक को संविधान की फोटो वाली पहली कॉपी मिलनी चाहिए. धनखड़ ने कहा कि जो भारत का संविधान उपलब्ध है, वह पूरा नहीं है. इसलिए हर विधायक को संविधान की फोटो वाली पहली कॉपी उपलब्ध करवाई जानी चाहिए, उन्होंने बताया कि संविधान की मूल प्रति में हमारे देश की पांच हजार साल पुरानी संस्कृति के फोटो है. इसमें श्री राम सीता और लक्ष्मण के अलावा पुष्पक विमान का चित्र हैं. संविधान के इस चौथे भाग में गीता का ज्ञान देते भगवान कृष्ण का चित्र हैं. जो सीख देंगे. धनखड़ बोले कि मैं हर विधायक को नए संसद भवन में आने का आमंत्रण दूंगा, वे मेरा आतिथ्य स्वीकार कर परिवार सहित संसद आए.

इसे भी पढ़ें : शासन के तीनों अंगों ने सर्वसम्मति से अनुच्छेद 370 हटाया: उपराष्ट्रपति धनखड़

बार-बार अंबेडकर की बातों का जिक्र : प्रबोधन कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन के बीच उपराष्ट्रपति ने कई बार संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर की बातों का जिक्र किया. उन्होंने डॉक्टर अंबेडकर का हवाला देकर कहा कि लोग सड़क पर कई मुद्दों की चर्चा करते हैं, लेकिन सदन में उन मुद्दों की चर्चा नहीं होती है. सदन में चर्चा का मतलब है कि पूरे देश में उसका असर पड़ता है. धनखड़ ने बताया कि अंबेडकर ने चिंता जताई थी कि ऐसा नहीं है कि भारत आजाद नहीं था, उन्हें सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात यह लगती है कि अपने ही लोगों की बेवफाई की वजह से भारत ने आजादी खोई थी. इसके साथ ही राज्यसभा के सदस्यों के रूप में निर्वाचित अधिवक्ताओं की भूमिका को लेकर उन्होंने कहा कि हाल ही में अंग्रेजों के समय के कानून बदले गए, लेकिन संसद में वकील वर्ग से आने वाले सांसदों ने इसमें भाग नहीं लिया, जबकि वे इस पर बेहतर सुझाव दे सकते थे .

प्रबोधन कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति धनखड़

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में विधायकों की प्रबोधन कार्यशाला के दौरान उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सदन के समक्ष अपना संबोधन रखा. इस दौरान धनखड़ ने पक्ष-विपक्ष के विधायकों को नसीहत देकर दायित्वों से रूबरू करवाया. उपराष्ट्रपति ने अपने वक्तव्य की शुरुआत में सदन से अपनी राजनीतिक शुरुआत का जिक्र किया और अजमेर में मौजूदा स्पीकर वासुदेव देवनानी के साथ सियासी तकरार वाले रिश्तों का जिक्र करते हुए संबंधों की मर्यादा बताई.

उन्होंने कहा कि मर्यादा में रहकर कटाक्ष और विरोध करना कोई देवनानी से सीखे. उन्होंने सीएम भजनलाल शर्मा को लेकर कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य जिस तरीके से मिला है, उससे यह इशारा मिलता है कि भारत बदल गया है, अब सब कुछ मुमकिन है. उपराष्ट्रपति धनखड़ ने साथ ही मुख्यमंत्री शर्मा के लिए कम वक्त में हासिल लोकप्रियता को आगे बढ़ाने और कायम रख पाने की चुनौती भी बताई.

भारत प्रजातंत्र की दृष्टि से आदर्शवादी : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विधानसभा में प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन पर कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत डेमोक्रेसी है. उन्होंने देश के लोकतंत्र को सबसे पुराना और प्रभावी बताया. उपराष्ट्रपति ने अपने भाषण में प्रजातंत्र के साथ-साथ देश की मजबूती के लिए कार्यपालिका को भी भागीदार बताया . उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की ब्यूरोक्रेसी में पहुंचने वाले अफसर दुनिया की सबसे मुश्किल परीक्षा पास कर इस मुकाम को हासिल करते हैं. जगदीप धनखड़ ने कहा कि मैं 1989 में लोकसभा का सदस्य बना और केंद्र में मंत्री रहा, उस वक्त को याद करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए सोने को गिरवी भी रखना पड़ा था. आज भारत दुनिया की 5वीं आर्थिक महाशक्ति बन चुका है. हमने कनाडा और फ्रांस को पीछे छोड़ा, आने वाले समय में भारत जापान को पीछे छोड़ देगा.

Vice President Dhankar in the enlightenment program
विधानसभा में उपराष्ट्रपति ने सुनाए अपने तजुर्बे के किस्से

धनखड़ ने कहा कि जिस रफ्तार से देश आगे बढ़ रहा है, दुनिया भी हैरान है. यह नेतृत्व और नीति बनाने वाले के लिए अहम है. अपनी नसीहत में धनखड़ ने कहा कि हम विकास को राजनीतिक चश्मे से नहीं देख सकते हैं, साथ ही राज्यसभा के सभापति के नाते अनुभवों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी सदन में सदस्य का निलंबन करना सबसे बड़ी पीड़ा होती है. उप राष्ट्रपति ने राजनीतिक दलों से आग्रह करते हुए कहा कि आसन पर संदेह करना कभी ठीक नहीं रहेगा और हल्की फुल्की बातों को दिल पर नहीं लेना चाहिए, ऐसा होने पर ही सदस्य अपनी प्रतिभा को दिखा पाएंगे.

विपक्ष की गैरमौजूदगी पर जताई हैरत : प्रबोधन कार्यक्रम के दौरान विपक्ष के सदस्यों की कम संख्या को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हैरान जताया. प्रतिपक्ष के दायित्वों का जिक्र करते हुए धनखड़ ने कहा कि सरकार को आईना दिखाया जाएगा , तो यह बहुत लाभकारी होगा. सबसे पहले तो यह विधायकों को ध्यान रखना चाहिए कि विधानसभा की कार्यवाही कैसे होती है. उन्होंने कहा कि सरकार को चलाना और सत्ता पक्ष को राह दिखाना, पक्ष और विपक्ष दोनों का काम है. उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर चिंता और चिंतन का है.

इसे भी पढ़ें : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बोले- तात्कालिक राजनीतिक फायदे के लिए समाज को बांटने वालों से रहे सावधान

ममता बनर्जी और गहलोत को लेकर कही यह बात : उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक कहावत का जिक्र किया और कहा कि कहते हैं खीर कितनी अच्छी है, खाने से पता चलती है, यही वजह है कि ममता ने उप राष्ट्रपति चुनाव में मेरा विरोध नहीं किया, पूर्व सीएम अशोक गहलोत से जुड़े किस्से को साझा करते हुए धनखड़ बोले कि उन्होंने तब इसी विधानसभा में कहा था कि जादूगर तो मैं हूं, लेकिन आपने यह कैसे जादूगीरी की. उप राष्ट्रपति ने कहा कि ओम बिरला जी से मैंने ज्ञान प्राप्त किया, बिरला जी ने मुझे कहा कि कुर्सी पर जब बैठो, तो पहले बांई तरफ देखो. बाईं और विपक्ष बैठता है और दाहिने ओर सत्ता पक्ष. कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की बात का भी जिक्र किया और बोले कि खड़गे जी ने मुझसे कहा था, मोहब्बत हमसे और शादी उनसे. सांसद घनश्याम तिवाड़ी की सराहना करते हुए धनखड़ बोले कि बहुत कम वक्त में तिवाड़ी ने राज्यसभा में छाप छोड़ी है.

विधायकों को भी दिया न्योता : विधानसभा में आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के दौरान जगदीप धनखड़ ने कहा कि हर विधायक को संविधान की फोटो वाली पहली कॉपी मिलनी चाहिए. धनखड़ ने कहा कि जो भारत का संविधान उपलब्ध है, वह पूरा नहीं है. इसलिए हर विधायक को संविधान की फोटो वाली पहली कॉपी उपलब्ध करवाई जानी चाहिए, उन्होंने बताया कि संविधान की मूल प्रति में हमारे देश की पांच हजार साल पुरानी संस्कृति के फोटो है. इसमें श्री राम सीता और लक्ष्मण के अलावा पुष्पक विमान का चित्र हैं. संविधान के इस चौथे भाग में गीता का ज्ञान देते भगवान कृष्ण का चित्र हैं. जो सीख देंगे. धनखड़ बोले कि मैं हर विधायक को नए संसद भवन में आने का आमंत्रण दूंगा, वे मेरा आतिथ्य स्वीकार कर परिवार सहित संसद आए.

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बार-बार अंबेडकर की बातों का जिक्र : प्रबोधन कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन के बीच उपराष्ट्रपति ने कई बार संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर की बातों का जिक्र किया. उन्होंने डॉक्टर अंबेडकर का हवाला देकर कहा कि लोग सड़क पर कई मुद्दों की चर्चा करते हैं, लेकिन सदन में उन मुद्दों की चर्चा नहीं होती है. सदन में चर्चा का मतलब है कि पूरे देश में उसका असर पड़ता है. धनखड़ ने बताया कि अंबेडकर ने चिंता जताई थी कि ऐसा नहीं है कि भारत आजाद नहीं था, उन्हें सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात यह लगती है कि अपने ही लोगों की बेवफाई की वजह से भारत ने आजादी खोई थी. इसके साथ ही राज्यसभा के सदस्यों के रूप में निर्वाचित अधिवक्ताओं की भूमिका को लेकर उन्होंने कहा कि हाल ही में अंग्रेजों के समय के कानून बदले गए, लेकिन संसद में वकील वर्ग से आने वाले सांसदों ने इसमें भाग नहीं लिया, जबकि वे इस पर बेहतर सुझाव दे सकते थे .

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