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Rajasthan ACB Order: एसीबी का नया फरमान, अब कार्रवाई की नहीं देगी जानकारी - Acting DG instructions created panic

राजस्थान एसीबी के कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शी ने एक मौखिक आदेश जारी किया है. जिसके बाद एक बार फिर असमंजस की स्थिति बन गई है.

Rajasthan ACB Order
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Published : Jan 18, 2023, 11:34 AM IST

जयपुर. घूस मामले में गिरफ्तार एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल के अजमेर व जयपुर स्थित विभिन्न ठिकानों पर एसीबी ने सर्च कार्रवाई की. लेकिन इस दौरान मौके से क्या कुछ बरामद किए गए इसकी जानकारी नहीं दी गई. इस पूरे मामले को लेकर एसीबी के सभी अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है. हालांकि इसके पीछे का जो कारण बताया जा रहा है वह वाकई चौंकाने वाला है.

डीजी का मौखिक फरमान: वहीं, रंगे हाथ रिश्वत लेने वाले अधिकारी और कार्मिकों के नाम व फोटो उजागर नहीं करने के मामले में पहले ही एसीबी की काफी किरकिरी हो चुकी है. जिसके बाद एसीबी को अपना फरमान वापस भी लेना पड़ा था, लेकिन अब एसीबी के कार्यवाहक डीजी ने एक मौखिक निर्देश जारी कर फिर से असमंजस की स्थिति उत्पन्न कर दी है.

इसे भी पढ़ें - Corrupt SOG ASP Divya Mittal : दो करोड़ की रिश्वत मांगने वाली दिव्या कोर्ट में पेश, ACB को मिला 20 जनवरी तक रिमांड

लगाई ये नई पाबंदी: एसीबी के कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शी ने एसीबी के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को मौखिक निर्देश दिए हैं कि एसीबी में एफआईआर दर्ज होने के बाद भ्रष्टाचारी के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई चार्जशीट पेश होने तक सार्वजनिक नहीं की जाए. इसमें भ्रष्टचारी के ठिकानों पर सर्च में क्या-क्याा काली संपत्ति मिली है, इसका भी खुलासा नहीं किया जाएगा. वहीं, कोर्ट में चार्जशीट पेश करने के बाद ही अब इसका खुलासा होगा.

पढ़ें- ACB का U-turn: भ्रष्टाचार के आरोपी की पहचान छुपाने वाला आदेश लिया वापस

भ्रष्टाचार पनपने की बढ़ी आशंका: हालांकि, एफआइआर दर्ज होने के बाद भ्रष्टाचारी की संपत्ति चार्जशीट पेश करने की अवधि तक उजागर नहीं करने से भी भ्रष्टाचार पनपने की आशंका है. भ्रष्टाचारी अपनी संपत्ति के दस्तावेजों को खुर्द बुर्द करवा सकता है, क्योंकि एसीबी का एक आरपीएस अधिकारी खुद भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार हो चुका है.

जयपुर. घूस मामले में गिरफ्तार एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल के अजमेर व जयपुर स्थित विभिन्न ठिकानों पर एसीबी ने सर्च कार्रवाई की. लेकिन इस दौरान मौके से क्या कुछ बरामद किए गए इसकी जानकारी नहीं दी गई. इस पूरे मामले को लेकर एसीबी के सभी अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है. हालांकि इसके पीछे का जो कारण बताया जा रहा है वह वाकई चौंकाने वाला है.

डीजी का मौखिक फरमान: वहीं, रंगे हाथ रिश्वत लेने वाले अधिकारी और कार्मिकों के नाम व फोटो उजागर नहीं करने के मामले में पहले ही एसीबी की काफी किरकिरी हो चुकी है. जिसके बाद एसीबी को अपना फरमान वापस भी लेना पड़ा था, लेकिन अब एसीबी के कार्यवाहक डीजी ने एक मौखिक निर्देश जारी कर फिर से असमंजस की स्थिति उत्पन्न कर दी है.

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भ्रष्टाचार पनपने की बढ़ी आशंका: हालांकि, एफआइआर दर्ज होने के बाद भ्रष्टाचारी की संपत्ति चार्जशीट पेश करने की अवधि तक उजागर नहीं करने से भी भ्रष्टाचार पनपने की आशंका है. भ्रष्टाचारी अपनी संपत्ति के दस्तावेजों को खुर्द बुर्द करवा सकता है, क्योंकि एसीबी का एक आरपीएस अधिकारी खुद भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार हो चुका है.

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