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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ FIR दर्ज कराने की याचिका पर गवाह का बयान दर्ज - दिग्विजय सिंह पक परिवाद दाखिल

वाराणसी एमपी एमएलए कोर्ट में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह (Congress Leader Digvijay Singh) पर गोलवलकर पर की गई ट्वीट के माध्यम से टिप्पणी पर परपरिवाद दाखिल हुआ था. बुधवार को इस मामले में गवाह का कोर्ट में बयान दर्ज हुआ है.जिसकी अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी.

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Published : Jul 26, 2023, 7:39 PM IST

वाराणसी: कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की तरफ से गोलवलकर पर की गई टिप्पणी पर एक वकील की तरफ उनके खिलाफ परिवाद दाखिल किया गया था. इस मामले में बुधवार को वाराणसी एमपी एमएलए कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट में वादी वकील शशांक शेखर त्रिपाठी ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ दाखिल परिवाद में गवाह का बयान दर्ज कराया. गवाह सोनिया जैन ने कहा दिग्विजय सिंह षड्यंत्र कर रहे हैं. उनके द्वारा उज्जवल उपाध्याय की अदालत में बयान दिया गया है. कोर्ट में इस मामले में 31 जुलाई को अगली सुनवाई की तिथि तय की है.

समाज में अंतर धार्मिक और अंतरजातीय विवाद के लिए ट्वीटः सोनिया जैन वाइफ पत्नी रॉबीन जैन निवासी कपूर अपार्टमेंट, वाराणसी ने बयान दिया है कि उन्होंने 9 जुलाई 2023 को ट्विटर पर देखा कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह द्वारा पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोलवलकर के बारे में कूट रचित तथ्यों के साथ एक पोस्ट शेयर की है. पोस्ट को देखने के बाद उन्हें लगा कि यह जानबूझकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा की छवि खराब करने के लिए और समाज में अंतर धार्मिक और अंतरजातीय विवाद पैदा करने के उद्देश्य से की गई है. जबकि वह लोग गोलवलकर की विचारधारा से विगत कई वर्षों से दलितों और अल्पसंख्यकों को जोड़ने का काम कर रहे हैं. दिग्विजय सिंह द्वारा इस षड्यंत्र कारी ट्वीट के माध्यम से सोशल मीडिया पर समाज में सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने का खतरा उत्पन्न हो रहा है.

पुस्तक में है सामाजिक समरसता का बड़ा संदेश: सोनिया जैन ने कहा कि दिग्विजय सिंह द्वारा जानबूझकर भारत सरकार की निर्वाचित सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काया जा रहै है. साथ ही भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए अल्पसंख्यकों और दलितों को भड़काने कार्य दिग्विजय सिंह और राहुल गांधी के षड्यंत्र में कार्य किया जा रहा है. जबकि गोलवलकर उर्फ गुरु जी ने अपनी पुस्तक "वी ओर आवर नेशनहुड डिफाइंड" में सामाजिक समरसता का बड़ा संदेश दिया है और उनके इस कृति को वह अपने जीवन का आदर्श मानती हैं. उनके आदर्श के आधार पर समाज के सभी वर्गों को एक साथ लाकर संपूर्ण भारत राष्ट्र के उत्थान हेतु कार्य कर रही हूं.

ट्वीट के बाद दाखिल हुआ मुकदमा: लेकिन दिग्विजय सिंह के इस ट्वीट से उनकी भावनाएं आहत हुई हैं तथा समाज में लाखों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं. दिग्विजय सिंह द्वारा यह ट्वीट जानबूझकर समाज में अस्थिरता पैदा करने के लिए गया. वह राष्ट्रीय स्वयं सेवकों की मानहानि के लिए किया गया है. इस ट्वीट के देखने के बाद उनके द्वारा अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी के माध्यम से एक मुकदमा दाखिल किया गया था. जिसके के लिए वह एमपी एमएलए कोर्ट वाराणसी में अपना बयान दर्ज कराने आई हैं. वह गोलवलकर की किताब पढ़ी हैं. उसमें इस तरह का कोई भी कथन नहीं है. सोनिया जैन का बयान वरिष्ठ अधिवक्ता राजकुमार तिवारी और शशांक शेखर त्रिपाठी एडवोकेट ने कराया.

कैंट थाने में नहीं हुई कार्रवाईः परिवादी की तरफ से कोर्ट से आईटी एक्ट और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत दिग्विजय सिंह को तलब कर विधिक कार्रवाई का अनुरोध किया गया है. इस मामले को लेकर 10 जुलाई को कैंट थाने की पुलिस को भी आवेदन दिया गया था. लेकिन कार्रवाई ना होने के बाद वादी वकील ने कोर्ट में गुहार लगाई.

यह भी पढ़ें- Kargil Vijay Diwas पर CM योगी आदित्यनाथ ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि, कहा, नक्सलवाद और घुसपैठ की कोई जगह नहीं

यह भी पढ़ें- सावन में हिंदू युवक की पनीर पेटीज में निकली हड्डी, दूसरे समुदाय के दुकानदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज

वाराणसी: कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की तरफ से गोलवलकर पर की गई टिप्पणी पर एक वकील की तरफ उनके खिलाफ परिवाद दाखिल किया गया था. इस मामले में बुधवार को वाराणसी एमपी एमएलए कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट में वादी वकील शशांक शेखर त्रिपाठी ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ दाखिल परिवाद में गवाह का बयान दर्ज कराया. गवाह सोनिया जैन ने कहा दिग्विजय सिंह षड्यंत्र कर रहे हैं. उनके द्वारा उज्जवल उपाध्याय की अदालत में बयान दिया गया है. कोर्ट में इस मामले में 31 जुलाई को अगली सुनवाई की तिथि तय की है.

समाज में अंतर धार्मिक और अंतरजातीय विवाद के लिए ट्वीटः सोनिया जैन वाइफ पत्नी रॉबीन जैन निवासी कपूर अपार्टमेंट, वाराणसी ने बयान दिया है कि उन्होंने 9 जुलाई 2023 को ट्विटर पर देखा कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह द्वारा पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोलवलकर के बारे में कूट रचित तथ्यों के साथ एक पोस्ट शेयर की है. पोस्ट को देखने के बाद उन्हें लगा कि यह जानबूझकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा की छवि खराब करने के लिए और समाज में अंतर धार्मिक और अंतरजातीय विवाद पैदा करने के उद्देश्य से की गई है. जबकि वह लोग गोलवलकर की विचारधारा से विगत कई वर्षों से दलितों और अल्पसंख्यकों को जोड़ने का काम कर रहे हैं. दिग्विजय सिंह द्वारा इस षड्यंत्र कारी ट्वीट के माध्यम से सोशल मीडिया पर समाज में सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने का खतरा उत्पन्न हो रहा है.

पुस्तक में है सामाजिक समरसता का बड़ा संदेश: सोनिया जैन ने कहा कि दिग्विजय सिंह द्वारा जानबूझकर भारत सरकार की निर्वाचित सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काया जा रहै है. साथ ही भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए अल्पसंख्यकों और दलितों को भड़काने कार्य दिग्विजय सिंह और राहुल गांधी के षड्यंत्र में कार्य किया जा रहा है. जबकि गोलवलकर उर्फ गुरु जी ने अपनी पुस्तक "वी ओर आवर नेशनहुड डिफाइंड" में सामाजिक समरसता का बड़ा संदेश दिया है और उनके इस कृति को वह अपने जीवन का आदर्श मानती हैं. उनके आदर्श के आधार पर समाज के सभी वर्गों को एक साथ लाकर संपूर्ण भारत राष्ट्र के उत्थान हेतु कार्य कर रही हूं.

ट्वीट के बाद दाखिल हुआ मुकदमा: लेकिन दिग्विजय सिंह के इस ट्वीट से उनकी भावनाएं आहत हुई हैं तथा समाज में लाखों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं. दिग्विजय सिंह द्वारा यह ट्वीट जानबूझकर समाज में अस्थिरता पैदा करने के लिए गया. वह राष्ट्रीय स्वयं सेवकों की मानहानि के लिए किया गया है. इस ट्वीट के देखने के बाद उनके द्वारा अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी के माध्यम से एक मुकदमा दाखिल किया गया था. जिसके के लिए वह एमपी एमएलए कोर्ट वाराणसी में अपना बयान दर्ज कराने आई हैं. वह गोलवलकर की किताब पढ़ी हैं. उसमें इस तरह का कोई भी कथन नहीं है. सोनिया जैन का बयान वरिष्ठ अधिवक्ता राजकुमार तिवारी और शशांक शेखर त्रिपाठी एडवोकेट ने कराया.

कैंट थाने में नहीं हुई कार्रवाईः परिवादी की तरफ से कोर्ट से आईटी एक्ट और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत दिग्विजय सिंह को तलब कर विधिक कार्रवाई का अनुरोध किया गया है. इस मामले को लेकर 10 जुलाई को कैंट थाने की पुलिस को भी आवेदन दिया गया था. लेकिन कार्रवाई ना होने के बाद वादी वकील ने कोर्ट में गुहार लगाई.

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