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छावला गैंगरेप केसः त्रिवेंद्र सिंह ने अनिल बलूनी को दिया पुनर्विचार याचिका दाखिल कराने का श्रेय - chhawla gangrape

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Former Chief Minister Trivendra Singh Rawat) ने दिल्ली छावला गैंगरेप मामले में पुनर्विचार याचिका का श्रेय राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी को दिया है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि अनिल बलूनी ने इस पूरे मामले में ठोस पहल की है और पुनर्विचार याचिका के लिए सराहनीय प्रयास किया है.

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Published : Nov 21, 2022, 12:56 PM IST

Updated : Nov 21, 2022, 1:15 PM IST

देहरादूनः दिल्ली छावला गैंगरेप केस (delhi chhawla gangrape case) में उत्तराखंड की बेटी को न्याय दिलाने के लिए देशभर से तमाम प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. उधर दिल्ली के उपराज्यपाल ने अब पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मंजूरी (Reconsideration petition in Chhawla gangrape case) दे दी है. ऐसे में दिल्ली पीड़ित परिवार से मिलकर देहरादून पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस पुनर्विचार याचिका को लेकर उम्मीद जगाने के लिए राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी (Rajya Sabha MP Anil Baluni) को श्रेय दिया है. खास बात यह है कि पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए सीएम धामी की भूमिका पर बोलने से त्रिवेंद्र सिंह रावत बचते नजर आए.

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच की लड़ाई अब सार्वजनिक हो चुकी है. इस मामले पर ना तो पार्टी संगठन कुछ बोल रहा है और ना ही सरकार की तरफ से कोई खुले रूप में बयान सामने आया है. ऐसे में अब त्रिवेंद्र सिंह रावत के एक नए बयान ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है. दरअसल, इन दिनों सरकार के साथ ही विपक्षी दल और प्रदेश से लेकर देशभर के लोग दिल्ली में छावला गैंगरेप केस को लेकर अपनी तमाम प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. यही नहीं, दिल्ली से लेकर देहरादून तक सड़कों पर पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए विपक्षी दल और आम लोग भी सड़क पर नजर आ रहे हैं.

त्रिवेंद्र सिंह ने अनिल बलूनी को दिया पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का श्रेय.
ये भी पढ़ेंः
छावला गैंगरेप मामला: आरोपियों को बरी करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देगी दिल्ली सरकार, LG ने दी मंजूरी

उधर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिल्ली में पीड़ित परिवार से मुलाकात की. इसके अलावा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने भी परिवार से बात की है. इन तमाम प्रयासों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत नई दिल्ली से देहरादून पहुंचते ही पुनर्विचार याचिका के दाखिल होने की उम्मीद जगाने के लिए अनिल बलूनी को श्रेय दे दिया. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पीड़िता के मामले में पूरा देश कोर्ट के निर्णय से हदप्रद है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से अनिल बलूनी ने इस मामले में प्रयास किए हैं, उसके लिए वह उन्हें धन्यवाद देना चाहते हैं.

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि अनिल बलूनी ने इस पूरे मामले में ठोस पहल की है और पुनर्विचार याचिका के लिए सराहनीय प्रयास किया है. उन्होंने इस पूरे प्रकरण में लोगों के और भी ज्यादा आवाज बुलंद करने के लिए गुजारिश की. इस पूरे बयान के दौरान उन्होंने राज्य सरकार या मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों पर कोई बात नहीं कही. जाहिर है जिस तरह सीएम धामी और त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच की दूरियां दिखाई दी है उनके इस बयान को इसी रूप में देखा जा रहा है और अपनी ही सरकार के प्रयासों को नजरअंदाज करने से जोड़ा जा रहा है.

बता दें कि राजधानी में छावला दुष्कर्म व हत्या के मामले में उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने तीन आरोपियों को बरी करने के खिलाफ दिल्ली सरकार द्वारा एक पुनर्विचार याचिका दायर (review petition in Chhawla case) करने की मंजूरी दे दी है. अब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता इस सनसनीखेज मामले में सरकार का पक्ष रखेंगे. फरवरी 2012 में दिल्ली के छावला में हुए दुष्कर्म व हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बीते 7 नवंबर को इस गैंगरेप के 3 दोषियों को बरी कर दिया था, जबकि पहले हाईकोर्ट और निचली अदालत ने इन्हें फांसी की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाया.

ये है छावला गैंगरेप केसः निर्भया की ही तरह इस मासूम का नाम भी बदलकर अनामिका रखा गया था. वह मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली थी. दिल्ली में छावला इलाके में रहती थी. रोजाना की तरह 14 फरवरी 2012 को भी 'निर्भया' अपने काम पर जाने के लिए घर से निकली थी, लेकिन उस दिन वो देर शाम तक घर नहीं लौटी. परिजनों ने उसकी काफी तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं लगा. बहुत खोजने के बाद इतनी सूचना जरूर मिली कि कुछ लोग एक लड़की को गाड़ी में डालकर दिल्ली से बाहर ले जाते हुए दिखाई दिए हैं.
ये भी पढ़ेंः Chhawla Gangrape Case: पीड़िता के पिता से उत्तराखंड सीएम ने की बात, हर संभव मदद का दिया आश्वासन

पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू की तो दो दिन बाद यानी 16 फरवरी को लड़की का शव हरियाणा में गन्ने के एक खेत में मिला था. उसके साथ जो क्रूरता की गई थी वो दिल्ली की निर्भया से भी भयावह थी. परिजनों की मानें तो उत्तराखंड की निर्भया को आरोपियों ने किसी जानवर की तरह नोंचा था. उसे न सिर्फ मारा पीटा गया था, बल्कि दो दिनों तक लगातार उसके साथ गैंगरेप हुआ था. यही नहीं, उसकी आंखों में तेजाब डाल दिया गया था, उसके नाजुक अंगों से शराब की बोतल मिली थी. पानी गरम करके उसके शरीर को झुलसा दिया गया था.

छावला गैंगरेप और हत्याकांड के आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने किया बरीः बीती 7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में दिल्ली के छावला गैंगरेप मामले में अपना फैसला सुनाया था. शीर्ष अदालत ने तीनों आरोपी रवि, राहुल और विनोद को बरी कर दिया. अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट और निचली अदालत के उस फैसले को भी पलट दिया, जिसमें दोषियों के लिए फांसी की सजा सुनाई गई थी. साल 2012 में दिल्ली में उत्तराखंड की 19 वर्षीय लड़की के साथ आरोपियों पर दरिंदगी की सारी हदें पार कर उसकी हत्या करने का आरोप था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहले अपना फैसला सुरक्षित रखा था.

देहरादूनः दिल्ली छावला गैंगरेप केस (delhi chhawla gangrape case) में उत्तराखंड की बेटी को न्याय दिलाने के लिए देशभर से तमाम प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. उधर दिल्ली के उपराज्यपाल ने अब पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मंजूरी (Reconsideration petition in Chhawla gangrape case) दे दी है. ऐसे में दिल्ली पीड़ित परिवार से मिलकर देहरादून पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस पुनर्विचार याचिका को लेकर उम्मीद जगाने के लिए राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी (Rajya Sabha MP Anil Baluni) को श्रेय दिया है. खास बात यह है कि पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए सीएम धामी की भूमिका पर बोलने से त्रिवेंद्र सिंह रावत बचते नजर आए.

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच की लड़ाई अब सार्वजनिक हो चुकी है. इस मामले पर ना तो पार्टी संगठन कुछ बोल रहा है और ना ही सरकार की तरफ से कोई खुले रूप में बयान सामने आया है. ऐसे में अब त्रिवेंद्र सिंह रावत के एक नए बयान ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है. दरअसल, इन दिनों सरकार के साथ ही विपक्षी दल और प्रदेश से लेकर देशभर के लोग दिल्ली में छावला गैंगरेप केस को लेकर अपनी तमाम प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. यही नहीं, दिल्ली से लेकर देहरादून तक सड़कों पर पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए विपक्षी दल और आम लोग भी सड़क पर नजर आ रहे हैं.

त्रिवेंद्र सिंह ने अनिल बलूनी को दिया पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का श्रेय.
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उधर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिल्ली में पीड़ित परिवार से मुलाकात की. इसके अलावा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने भी परिवार से बात की है. इन तमाम प्रयासों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत नई दिल्ली से देहरादून पहुंचते ही पुनर्विचार याचिका के दाखिल होने की उम्मीद जगाने के लिए अनिल बलूनी को श्रेय दे दिया. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पीड़िता के मामले में पूरा देश कोर्ट के निर्णय से हदप्रद है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से अनिल बलूनी ने इस मामले में प्रयास किए हैं, उसके लिए वह उन्हें धन्यवाद देना चाहते हैं.

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि अनिल बलूनी ने इस पूरे मामले में ठोस पहल की है और पुनर्विचार याचिका के लिए सराहनीय प्रयास किया है. उन्होंने इस पूरे प्रकरण में लोगों के और भी ज्यादा आवाज बुलंद करने के लिए गुजारिश की. इस पूरे बयान के दौरान उन्होंने राज्य सरकार या मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों पर कोई बात नहीं कही. जाहिर है जिस तरह सीएम धामी और त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच की दूरियां दिखाई दी है उनके इस बयान को इसी रूप में देखा जा रहा है और अपनी ही सरकार के प्रयासों को नजरअंदाज करने से जोड़ा जा रहा है.

बता दें कि राजधानी में छावला दुष्कर्म व हत्या के मामले में उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने तीन आरोपियों को बरी करने के खिलाफ दिल्ली सरकार द्वारा एक पुनर्विचार याचिका दायर (review petition in Chhawla case) करने की मंजूरी दे दी है. अब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता इस सनसनीखेज मामले में सरकार का पक्ष रखेंगे. फरवरी 2012 में दिल्ली के छावला में हुए दुष्कर्म व हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बीते 7 नवंबर को इस गैंगरेप के 3 दोषियों को बरी कर दिया था, जबकि पहले हाईकोर्ट और निचली अदालत ने इन्हें फांसी की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाया.

ये है छावला गैंगरेप केसः निर्भया की ही तरह इस मासूम का नाम भी बदलकर अनामिका रखा गया था. वह मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली थी. दिल्ली में छावला इलाके में रहती थी. रोजाना की तरह 14 फरवरी 2012 को भी 'निर्भया' अपने काम पर जाने के लिए घर से निकली थी, लेकिन उस दिन वो देर शाम तक घर नहीं लौटी. परिजनों ने उसकी काफी तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं लगा. बहुत खोजने के बाद इतनी सूचना जरूर मिली कि कुछ लोग एक लड़की को गाड़ी में डालकर दिल्ली से बाहर ले जाते हुए दिखाई दिए हैं.
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पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू की तो दो दिन बाद यानी 16 फरवरी को लड़की का शव हरियाणा में गन्ने के एक खेत में मिला था. उसके साथ जो क्रूरता की गई थी वो दिल्ली की निर्भया से भी भयावह थी. परिजनों की मानें तो उत्तराखंड की निर्भया को आरोपियों ने किसी जानवर की तरह नोंचा था. उसे न सिर्फ मारा पीटा गया था, बल्कि दो दिनों तक लगातार उसके साथ गैंगरेप हुआ था. यही नहीं, उसकी आंखों में तेजाब डाल दिया गया था, उसके नाजुक अंगों से शराब की बोतल मिली थी. पानी गरम करके उसके शरीर को झुलसा दिया गया था.

छावला गैंगरेप और हत्याकांड के आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने किया बरीः बीती 7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में दिल्ली के छावला गैंगरेप मामले में अपना फैसला सुनाया था. शीर्ष अदालत ने तीनों आरोपी रवि, राहुल और विनोद को बरी कर दिया. अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट और निचली अदालत के उस फैसले को भी पलट दिया, जिसमें दोषियों के लिए फांसी की सजा सुनाई गई थी. साल 2012 में दिल्ली में उत्तराखंड की 19 वर्षीय लड़की के साथ आरोपियों पर दरिंदगी की सारी हदें पार कर उसकी हत्या करने का आरोप था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहले अपना फैसला सुरक्षित रखा था.

Last Updated : Nov 21, 2022, 1:15 PM IST
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