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उत्तराखंड के हितेश ने फिर से रच दिया इतिहास, दूसरी बार जीता 'खारदुंगला चैलेंज', देवभूमि का नाम किया रोशन

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 14, 2023, 11:16 AM IST

World Highest Himalayan Khardungla Challenge उत्तराखंड के लाल ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है. चमोली के रहने वाले हितेश ने वर्ल्ड हाईएस्ट हिमालयन खारदुंगला चैलेंज को दूसरी बार जीता है. हितेश ने दुनिया की सबसे ऊंची अल्ट्रा मैराथन रेस खारदुंगला को 10 घंटे 40 मिनट में पूरा किया है.

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चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले के रहने वाले हितेश ने 'खारदुंगला चैलेंज' पार कर अपनी कामयाबी का लोहा देश और दुनिया में मनवाया है. चमोली जिले के दूरस्थ क्षेत्र देवाल के देवस्थली गांव के हितेश ने लगातार दूसरे साल भी दुनिया की सबसे ऊंची अल्ट्रा मैराथन रेस खारदुंगला 10 घंटे 40 मिनट में पूरी कर ली, जबकि दौड़ के लिए सभी प्रतिभागियों को 12 से 13 घंटे लगे.

हितेश बताते हैं कि दौड़ सुबह 3 बजे शुरू हुई, जिस समय तापमान एक डिग्री था. जैसे-जैसे धावक ऊपर चढ़ाई पर चढ़ते गए तापमान शून्य से भी नीचे गिरता रहा. साथ ही बताते हैं कि इतनी ऊंचाई में सांस लेने में बहुत दिक्कत होती है, क्योंकि यहां ऑक्सीजन लेवल बहुत कम होता है. जिससे कई प्रतिभागी दौड़ पूरी न कर सके.

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उत्तराखंड के हितेश ने दूसरी बार जीता 'खारदुंगला चैलेंज'.
पढ़ें- Tehri Water Sports: टिहरी बांध की झील में आज से वाटर स्पोर्ट्स प्रतियोगिता, 28 राज्यों के 400 खिलाड़ी दिखाएंगे दम

बता दें कि हितेश कुनियाल इवान टेक्नोलॉजी देहरादून में कार्यरत हैं, जो धावक होने के साथ साथ समाजसेवी भी हैं. वे बताते हैं कि पिछले दो सालों से उनकी द पीपल्स ग्रुप विभिन्न सामाजिक कार्यों जैसे पशु चिकित्सा, पौधरोपण, स्वच्छता अभियान, गरीब बच्चों की शिक्षा एवं पहाड़ के विद्यालयों में पुस्तकालय पर काम कर रही है.

खारदुंगला चैलेंज 72 किमी दुनिया की सबसे ऊंची अल्ट्रा मैराथन है. यह दौड़ उन धावकों के लिए सबसे कठिन और अंतिम चुनौतीपूर्ण दौड़ में से एक है, जो अपनी सीमाओं को चरम तक ले जाना चाहते हैं. रेस की कठोर परिस्थितियां इसे बेहद कठिन बनाती हैं. क्योंकि लगभग 60 किमी की दौड़ 4000 मीटर (14,000 फीट) से ऊपर दौड़ी जाती है. जिस कारण इस दौड़ में भाग लेने वाले अधिकतम प्रतिभागियों की संख्या 200 तक ही सीमित है.

चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले के रहने वाले हितेश ने 'खारदुंगला चैलेंज' पार कर अपनी कामयाबी का लोहा देश और दुनिया में मनवाया है. चमोली जिले के दूरस्थ क्षेत्र देवाल के देवस्थली गांव के हितेश ने लगातार दूसरे साल भी दुनिया की सबसे ऊंची अल्ट्रा मैराथन रेस खारदुंगला 10 घंटे 40 मिनट में पूरी कर ली, जबकि दौड़ के लिए सभी प्रतिभागियों को 12 से 13 घंटे लगे.

हितेश बताते हैं कि दौड़ सुबह 3 बजे शुरू हुई, जिस समय तापमान एक डिग्री था. जैसे-जैसे धावक ऊपर चढ़ाई पर चढ़ते गए तापमान शून्य से भी नीचे गिरता रहा. साथ ही बताते हैं कि इतनी ऊंचाई में सांस लेने में बहुत दिक्कत होती है, क्योंकि यहां ऑक्सीजन लेवल बहुत कम होता है. जिससे कई प्रतिभागी दौड़ पूरी न कर सके.

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उत्तराखंड के हितेश ने दूसरी बार जीता 'खारदुंगला चैलेंज'.
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बता दें कि हितेश कुनियाल इवान टेक्नोलॉजी देहरादून में कार्यरत हैं, जो धावक होने के साथ साथ समाजसेवी भी हैं. वे बताते हैं कि पिछले दो सालों से उनकी द पीपल्स ग्रुप विभिन्न सामाजिक कार्यों जैसे पशु चिकित्सा, पौधरोपण, स्वच्छता अभियान, गरीब बच्चों की शिक्षा एवं पहाड़ के विद्यालयों में पुस्तकालय पर काम कर रही है.

खारदुंगला चैलेंज 72 किमी दुनिया की सबसे ऊंची अल्ट्रा मैराथन है. यह दौड़ उन धावकों के लिए सबसे कठिन और अंतिम चुनौतीपूर्ण दौड़ में से एक है, जो अपनी सीमाओं को चरम तक ले जाना चाहते हैं. रेस की कठोर परिस्थितियां इसे बेहद कठिन बनाती हैं. क्योंकि लगभग 60 किमी की दौड़ 4000 मीटर (14,000 फीट) से ऊपर दौड़ी जाती है. जिस कारण इस दौड़ में भाग लेने वाले अधिकतम प्रतिभागियों की संख्या 200 तक ही सीमित है.

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