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TN स्थानीय चुनाव : विपक्षी दलों का आरोप, ई-वॉलेट के जरिए मतदाताओं को रिश्वत दे रही डीएमके

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Published : Feb 15, 2022, 5:08 PM IST

तमिलनाडु में 19 फरवरी को शहरी इलाकों में स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं. इससे पहले वहां की विपक्षी पार्टियों ने डीएमके पर ई वॉलेट और फोन के माध्यम से मतदाताओं को रिश्वत देने के आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि मतदाता को प्रति व्यक्ति के हिसाब से एक हजार रुपये के कूपन भी दिए जा रहे हैं.

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स्टालिन

चेन्नई : अन्नाद्रमुक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शिकायत की है कि द्रमुक मतदाताओं को ई-वॉलेट और फोन के माध्यम से सीधे ट्रांसफर के जरिए रिश्वत दे रही है. सोमवार को अलग-अलग शिकायतों में दोनों दलों ने आरोप लगाया है कि तमिलनाडु के नमक्कल जिले में प्रत्येक मतदाता को प्रति व्यक्ति 1,000 रुपये दिए जा रहे हैं.

आरोप यह भी है कि रेजिडेंट एसोसिएशनों को टेलीफोन नंबर एकत्र करने और संबंधित राजनीतिक दलों के लिए प्रचार करने के लिए लाखों रुपये का भुगतान किया गया है. हालांकि, अधिकांश धन हस्तांतरण अब यूपीआई के माध्यम से हो रहा है, क्योंकि चुनाव आयोग और पुलिस ने पैसे ले जाने वाले लोगों पर नकेल कसने के लिए सख्त कदम उठाए हैं. तमिलनाडु राज्य चुनाव आयोग (टीएनएसईसी) पहले ही चेन्नई से 11.75 लाख रुपये नकद और कुछ राजनीतिक दलों से 1 करोड़ रुपये के बराबर उपहार जब्त कर चुका है, जो मतदाताओं के बीच वितरण के लिए थे.

चेन्नई के तेयनामपेट के भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता एम. सुंदरराजन ने कहा, 'तमिलनाडु में चुनाव हमेशा से धन उगाहने वाले रहे हैं और अब भी इसमें कोई बदलाव नहीं आया है. राजनीतिक दल अधिक आधुनिक हो गए हैं और उन्होंने अब रेजिडेंट एसोसिएशनों से मतदाताओं के फोन नंबर एकत्र करके यूपीआई सिस्टम के माध्यम से पैसे ट्रांसफर करना शुरू कर दिया है.'

राजनीतिक दलों मतदाताओं को उनके आवासीय पते एकत्र करने के बाद कोरियर के माध्यम से उपहार कूपन भेज रही है. ज्यादातर 500 रुपये और 1000 रुपये मूल्य के उपहार कूपन पास के मॉल और शॉपिंग सेंटर पर इस्तेमाल किये जा सकते हैं.

सुंदरराजन के अनुसार, सत्ताधारी मोर्चे ने चेन्नई में विशिष्ट समय पर बिजली कटौती का सहारा लिया है, ताकि पार्टी के कार्यकर्ता घरों तक पहुंच सकें और उपहार वितरित कर सकें. उपहार महंगे हैं और इसमें मिक्सर, ग्राइंडर और कपड़े शामिल हैं. नहाने के तौलिये और लालटेन आकर्षण हैं और अधिकांश घरों में कैडरों ने उन्हें वितरित किया है.

डीएमके के वरिष्ठ नेता और राज्य के जल संसाधन मंत्री एस. दुरईमुरुगन ने आरोपों से इनकार किया. उन्होंने कहा, 'द्रमुक एक राजनीतिक पार्टी है, जो द्रविड़ विचारधारा और सामाजिक समानता पर आधारित है. हम अपनी विचारधारा को लोगों के सामने रखकर चुनाव लड़ते हैं और वोट के लिए लोगों को रिश्वत देने में नहीं लगे हैं. हम विपक्ष में बैठे हैं. तमिलनाडु में 2011 से दस साल के लिए और 2021 में वापस उछाल दिया है. इसी तरह हम वोट के बदले लोगों को रिश्वत देने या कुछ देने में कभी भी शामिल नहीं हुए. मैं तमिलनाडु राज्य चुनाव आयोग से अनुरोध करता हूं कि चुनाव के दौरान ऐसे मामलों में लिप्त किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.'

तमिलनाडु राज्य चुनाव आयोग ने कहा कि उसने मतदाताओं को रिश्वत देकर लुभाने की कोशिश कर रहे अपराधियों को पकड़ने के लिए 45 उड़न दस्ते का गठन किया है. हालांकि, मक्कल निधि मय्यम और नगन तमिलर कजगम (एनटीके) सहित राजनीतिक दलों ने राज्य चुनाव आयोग पर पूरी तरह से आरोप लगाया है.

एमएनएम के एम. सेंथिल ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग ने चुनावों के बारे में उचित जागरूकता नहीं की है और उन्हें लोगों को स्वच्छ चुनाव की जानकारी साझा करनी चाहिए थी. स्वच्छ चुनाव का मतलब चुनाव है जिसमें रिश्वत नहीं दी जाती है. न ही स्वीकार किया जाए. जब तक ऐसी स्थिति नहीं आती है, राजनीतिक दल लोकतंत्र के सार को दरकिनार करते हुए इस तरह के हथकंडे अपनाकर मतदाताओं को आकर्षित करना जारी रखेंगे. बता दें कि चुनाव 19 फरवरी को होने हैं.

ये भी पढे़ं : उत्तराखंड में 48 सीटें जीतेंगे और बनेगी कांग्रेस की सरकार : हरीश रावत

चेन्नई : अन्नाद्रमुक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शिकायत की है कि द्रमुक मतदाताओं को ई-वॉलेट और फोन के माध्यम से सीधे ट्रांसफर के जरिए रिश्वत दे रही है. सोमवार को अलग-अलग शिकायतों में दोनों दलों ने आरोप लगाया है कि तमिलनाडु के नमक्कल जिले में प्रत्येक मतदाता को प्रति व्यक्ति 1,000 रुपये दिए जा रहे हैं.

आरोप यह भी है कि रेजिडेंट एसोसिएशनों को टेलीफोन नंबर एकत्र करने और संबंधित राजनीतिक दलों के लिए प्रचार करने के लिए लाखों रुपये का भुगतान किया गया है. हालांकि, अधिकांश धन हस्तांतरण अब यूपीआई के माध्यम से हो रहा है, क्योंकि चुनाव आयोग और पुलिस ने पैसे ले जाने वाले लोगों पर नकेल कसने के लिए सख्त कदम उठाए हैं. तमिलनाडु राज्य चुनाव आयोग (टीएनएसईसी) पहले ही चेन्नई से 11.75 लाख रुपये नकद और कुछ राजनीतिक दलों से 1 करोड़ रुपये के बराबर उपहार जब्त कर चुका है, जो मतदाताओं के बीच वितरण के लिए थे.

चेन्नई के तेयनामपेट के भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता एम. सुंदरराजन ने कहा, 'तमिलनाडु में चुनाव हमेशा से धन उगाहने वाले रहे हैं और अब भी इसमें कोई बदलाव नहीं आया है. राजनीतिक दल अधिक आधुनिक हो गए हैं और उन्होंने अब रेजिडेंट एसोसिएशनों से मतदाताओं के फोन नंबर एकत्र करके यूपीआई सिस्टम के माध्यम से पैसे ट्रांसफर करना शुरू कर दिया है.'

राजनीतिक दलों मतदाताओं को उनके आवासीय पते एकत्र करने के बाद कोरियर के माध्यम से उपहार कूपन भेज रही है. ज्यादातर 500 रुपये और 1000 रुपये मूल्य के उपहार कूपन पास के मॉल और शॉपिंग सेंटर पर इस्तेमाल किये जा सकते हैं.

सुंदरराजन के अनुसार, सत्ताधारी मोर्चे ने चेन्नई में विशिष्ट समय पर बिजली कटौती का सहारा लिया है, ताकि पार्टी के कार्यकर्ता घरों तक पहुंच सकें और उपहार वितरित कर सकें. उपहार महंगे हैं और इसमें मिक्सर, ग्राइंडर और कपड़े शामिल हैं. नहाने के तौलिये और लालटेन आकर्षण हैं और अधिकांश घरों में कैडरों ने उन्हें वितरित किया है.

डीएमके के वरिष्ठ नेता और राज्य के जल संसाधन मंत्री एस. दुरईमुरुगन ने आरोपों से इनकार किया. उन्होंने कहा, 'द्रमुक एक राजनीतिक पार्टी है, जो द्रविड़ विचारधारा और सामाजिक समानता पर आधारित है. हम अपनी विचारधारा को लोगों के सामने रखकर चुनाव लड़ते हैं और वोट के लिए लोगों को रिश्वत देने में नहीं लगे हैं. हम विपक्ष में बैठे हैं. तमिलनाडु में 2011 से दस साल के लिए और 2021 में वापस उछाल दिया है. इसी तरह हम वोट के बदले लोगों को रिश्वत देने या कुछ देने में कभी भी शामिल नहीं हुए. मैं तमिलनाडु राज्य चुनाव आयोग से अनुरोध करता हूं कि चुनाव के दौरान ऐसे मामलों में लिप्त किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.'

तमिलनाडु राज्य चुनाव आयोग ने कहा कि उसने मतदाताओं को रिश्वत देकर लुभाने की कोशिश कर रहे अपराधियों को पकड़ने के लिए 45 उड़न दस्ते का गठन किया है. हालांकि, मक्कल निधि मय्यम और नगन तमिलर कजगम (एनटीके) सहित राजनीतिक दलों ने राज्य चुनाव आयोग पर पूरी तरह से आरोप लगाया है.

एमएनएम के एम. सेंथिल ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग ने चुनावों के बारे में उचित जागरूकता नहीं की है और उन्हें लोगों को स्वच्छ चुनाव की जानकारी साझा करनी चाहिए थी. स्वच्छ चुनाव का मतलब चुनाव है जिसमें रिश्वत नहीं दी जाती है. न ही स्वीकार किया जाए. जब तक ऐसी स्थिति नहीं आती है, राजनीतिक दल लोकतंत्र के सार को दरकिनार करते हुए इस तरह के हथकंडे अपनाकर मतदाताओं को आकर्षित करना जारी रखेंगे. बता दें कि चुनाव 19 फरवरी को होने हैं.

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