लखनऊ: सेंट्रल विस्टा की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी विधान भवन को विस्तार दिया जाएगा. इसमें विधान भवन के आसपास सभी प्रमुख सचिवालय भवनों को एक साथ जोड़ा जाएगा. आने वाले समय में महिला आरक्षण बिल लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा में भी विधायकों की संख्या बढ़ सकती है. ऐसे में अधिक जगह की जरूरत को देखते हुए विधान भवन को विस्तार देना आवश्यक है. साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से सभी सचिवालय भवन एक-दूसरे से जुड़ेंगे तो लाभ होगा. कामकाज भी अधिक सुविधाजनक हो जाएगा. कहा जा रहा है कि 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर इस बड़ी परियोजना का शिलान्यास किया जाएगा.
लखनऊ में आने वाले समय में यूपी विधानसभा की तस्वीर बदली हुई होगी. दिल्ली में बने नवनिर्मित संसद भवन की तर्ज पर अब उत्तर प्रदेश में भी विस्तारित विधान भवन बनाने की योजना पर विचार चल रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की जयंती पर 25 दिसंबर को नए विधानसभा की आधारशिला रखी जा सकती है. दारुलशफा और आस-पास के क्षेत्रों को मिलाकर नए भवन का निर्माण सेंट्रल विस्टा के तर्ज पर किया जाएगा.
नया विधान भवन बनाने के लिए करीब 3 हजार करोड़ रुपये की लागत आएग. वर्ष 2023-24 के बजट में टोकन के तौर पर 50 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया जा चुका है. योगी सरकार का लक्ष्य 18वीं विधानसभा का कम से कम एक सत्र का आयोजन नए भवन में हो सके, जिसको लेकर तमाम तैयारियां की जा रही हैं.
विस्तारित विधानसभा कई आधुनिक सुविधाओं से लैस रहेगी. इसकी बिल्डिंग भूकंप रोधी और इकोफ्रेंडली बनाई जाएगी. नए विधान भवन की डिजाइन बेहद खास होगी. इसे इस तर्ज पर बनाया जाएगा कि पूरे देश में इसकी मिसाल दी जा सके. विधानसभा का विस्तार करने के लिए लोग भवन के पीछे दारुलशफा के पुराने भवन को ढहाया जाएगा और आसपास की जमीनों को शामिल किया जाएगा.
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