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जानिए अतीक अहमद और अशरफ की हत्या का सरकार को लाभ होगा या नुकसान - अतीक अहमद की हत्या से बीजेपी सरकार को फायदा या लाभ

माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और शूटर गुलाम का झांसी में एनकाउंटर हुआ था. इसके बाद रविवार को प्रयागराज में अतीक अहमद और अशरफ की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई. वहीं, अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या इससे योगी सरकार को लाभ मिलेगा या विपक्षियों मजबूत होंगे. पढ़िए यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का विश्लेषण.

यूपी की बात
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Published : Apr 17, 2023, 10:26 AM IST

लखनऊ: प्रयागराज के बहुचर्चित उमेश पाल हत्याकांड में वांछित पांच लाख के इनामी माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और शूटर गुलाम को गुरुवार को एक मुठभेड़ में एसटीएफ ने मार गिराया था. अगले दिन जब असद को सुपुर्द ए खाक किया गया, तब अतीक अहमद पुलिस हिरासत में प्रयागराज में ही था. हालांकि, उसे बेटे के अंतिम संस्कार में शामिल होने की इजाजत नहीं मिली. वहीं, शनिवार को माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में ही पुलिस हिरासत के दौरान ताबड़तोड़ फायरिंग कर हत्याकर दी गई.

विपक्षी दल लगातार आरोप लगा रहे हैं कि इन दोनों वारदातों के पीछे सरकार की लाभ लेने की मंशा जुड़ी हुई है. असद और गुलाम के एनकाउंटर को भी विपक्षी दलों ने फर्जी करार दिया और सरकार पर तमाम आरोप लगाए. अपराधों को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलने का दावा करने वाली भाजपा सरकार ने निश्चितरूप से पिछले कुछ वर्षों में अपराधियों के खिलाफ बेहद सख्त रुख अपनाया है और पार्टी को इसका लाभ भी मिला है. ताजा मामले में कहा जा रहा है कि अतीक अहमद के बेटे और शूटर के एनकाउंटर का जो लाभ भाजपा सरकार को मिलना था, वह अतीक और उसके भाई की पुलिस हिरासत में हत्या से धुल गया. हालांकि, यह कहना अभी जल्दबाजी ही होगा.

यदि योगी सरकार के एनकाउंटर्स की बात करें तो मार्च 2017 में जब पहली बार योगी की सरकार बनी थी, तब से लेकर 12 अप्रैल 2023 तक लगभग छह वर्ष में प्रदेश में 183 इनामी अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया गया है. इस संख्या में अतीक अहमद के पुत्र असद और शूटर गुलाम भी शामिल हैं. यह संख्या बताती है कि सरकार अपराधियों से सख्ती से निपट रही है और कानून व्यवस्था से खिलवाड़ की इजाजत किसी को नहीं दी जा रही है. अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान सरकार ने पिछले छह वर्ष में 90 अरब से भी ज्यादा की चल अचल संपत्ति जब्त की है. यही नहीं इन 6 वर्षों में सात हजार से ज्यादा अपराधियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत और साढ़े छह सौ अपराधियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही की गई है.

सरकार दावा करती रही है कि अच्छी कानून व्यवस्था के दम पर ही प्रदेश में पैंतीस हजार करोड़ का निवेश हो रहा है. इसके तहत पच्चीस हजार से ज्यादा निवेश समझौते हुए हैं. योगी सरकार का दोबारा चुनकर सत्ता में आना यह दर्शाता है कि कानून व्यवस्था को लेकर सरकार के दावे कोरे नहीं हैं. यही नहीं पिछले छह साल में कानून व्यवस्था के मद्देनजर प्रदेश की स्थिति में काफी बदलाव आया है. ऐसे में हालिया घटनाक्रमों का सरकार को नुकसान होगा, ऐसा नहीं लगता. हां, भाजपा को इसका लाभ जरूर मिल सकता है.

इस विषय में राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर आलोक राय कहते हैं, 'प्रयागराज में दिनदहाड़े जिस तरह से उमेश पाल की हत्या की गई थी और विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बयान दिया था कि अपराधियों को मिट्टी में मिला देंगे, उससे लोगों को अंदाजा हो गया था कि इस हत्याकांड में शामिल लोगों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई जरूर होगी. लोग भी ऐसा ही चाहते थे. आखिर दिनदहाड़े व्यस्ततम सड़क पर जिस तरह से उमेश पाल की हत्या हुई थी, उससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अपराधी कितने बेखौफ थे. अपराधियों में सरकार का खौफ तो होना ही चाहिए. इस हत्याकांड में कुछ लोग अब भी फरार हैं, बावजूद इसके तमाम आरोपियों के घर गिराए जा चुके हैं, संपत्तियां जब्त की गई हैं और पुलिस उन्हें तलाशने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.'

डॉ आलोक राय कहते हैं, 'पुलिस हिरासत में अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या का सरकार को कोई नुकसान नहीं होगा, बल्कि उसे लाभ ही मिलेगा. यह दोनों ही नामी अपराधी थे और इनका गिरोह प्रदेश भर में पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ था. यही कारण है कि धर्म विशेष के चंद लोगों की सहानुभूति को छोड़ दें, तो पूरे प्रदेश में किसी को भी इन दोनों के मारे जाने का कोई मलाल नहीं होगा. लोगों को यह भी पता है कि जिन लोगों ने अतीक अहमद और उसके भाई की पुलिस हिरासत में हत्या की है, उन्हें भी सरकार बक्शेगी नहीं, बल्कि उन्हें भी कड़ी से कड़ी सजा जरूर मिलेगी. ऐसे में इस पूरे घटनाक्रम का भाजपा को कोई नुकसान नहीं होगा, बल्कि लाभ होने की उम्मीद ज्यादा है. शायद विपक्षी दल इसी कारण ज्यादा विरोध जता रहे हैं.'

यह भी पढ़ें: अतीक अहमद के जिस पुश्तैनी घर में सजता था दरबार वहां पसरा रहा सन्नाटा, मददगारों ने किया किनारा

लखनऊ: प्रयागराज के बहुचर्चित उमेश पाल हत्याकांड में वांछित पांच लाख के इनामी माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और शूटर गुलाम को गुरुवार को एक मुठभेड़ में एसटीएफ ने मार गिराया था. अगले दिन जब असद को सुपुर्द ए खाक किया गया, तब अतीक अहमद पुलिस हिरासत में प्रयागराज में ही था. हालांकि, उसे बेटे के अंतिम संस्कार में शामिल होने की इजाजत नहीं मिली. वहीं, शनिवार को माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में ही पुलिस हिरासत के दौरान ताबड़तोड़ फायरिंग कर हत्याकर दी गई.

विपक्षी दल लगातार आरोप लगा रहे हैं कि इन दोनों वारदातों के पीछे सरकार की लाभ लेने की मंशा जुड़ी हुई है. असद और गुलाम के एनकाउंटर को भी विपक्षी दलों ने फर्जी करार दिया और सरकार पर तमाम आरोप लगाए. अपराधों को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलने का दावा करने वाली भाजपा सरकार ने निश्चितरूप से पिछले कुछ वर्षों में अपराधियों के खिलाफ बेहद सख्त रुख अपनाया है और पार्टी को इसका लाभ भी मिला है. ताजा मामले में कहा जा रहा है कि अतीक अहमद के बेटे और शूटर के एनकाउंटर का जो लाभ भाजपा सरकार को मिलना था, वह अतीक और उसके भाई की पुलिस हिरासत में हत्या से धुल गया. हालांकि, यह कहना अभी जल्दबाजी ही होगा.

यदि योगी सरकार के एनकाउंटर्स की बात करें तो मार्च 2017 में जब पहली बार योगी की सरकार बनी थी, तब से लेकर 12 अप्रैल 2023 तक लगभग छह वर्ष में प्रदेश में 183 इनामी अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया गया है. इस संख्या में अतीक अहमद के पुत्र असद और शूटर गुलाम भी शामिल हैं. यह संख्या बताती है कि सरकार अपराधियों से सख्ती से निपट रही है और कानून व्यवस्था से खिलवाड़ की इजाजत किसी को नहीं दी जा रही है. अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान सरकार ने पिछले छह वर्ष में 90 अरब से भी ज्यादा की चल अचल संपत्ति जब्त की है. यही नहीं इन 6 वर्षों में सात हजार से ज्यादा अपराधियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत और साढ़े छह सौ अपराधियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही की गई है.

सरकार दावा करती रही है कि अच्छी कानून व्यवस्था के दम पर ही प्रदेश में पैंतीस हजार करोड़ का निवेश हो रहा है. इसके तहत पच्चीस हजार से ज्यादा निवेश समझौते हुए हैं. योगी सरकार का दोबारा चुनकर सत्ता में आना यह दर्शाता है कि कानून व्यवस्था को लेकर सरकार के दावे कोरे नहीं हैं. यही नहीं पिछले छह साल में कानून व्यवस्था के मद्देनजर प्रदेश की स्थिति में काफी बदलाव आया है. ऐसे में हालिया घटनाक्रमों का सरकार को नुकसान होगा, ऐसा नहीं लगता. हां, भाजपा को इसका लाभ जरूर मिल सकता है.

इस विषय में राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर आलोक राय कहते हैं, 'प्रयागराज में दिनदहाड़े जिस तरह से उमेश पाल की हत्या की गई थी और विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बयान दिया था कि अपराधियों को मिट्टी में मिला देंगे, उससे लोगों को अंदाजा हो गया था कि इस हत्याकांड में शामिल लोगों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई जरूर होगी. लोग भी ऐसा ही चाहते थे. आखिर दिनदहाड़े व्यस्ततम सड़क पर जिस तरह से उमेश पाल की हत्या हुई थी, उससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अपराधी कितने बेखौफ थे. अपराधियों में सरकार का खौफ तो होना ही चाहिए. इस हत्याकांड में कुछ लोग अब भी फरार हैं, बावजूद इसके तमाम आरोपियों के घर गिराए जा चुके हैं, संपत्तियां जब्त की गई हैं और पुलिस उन्हें तलाशने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.'

डॉ आलोक राय कहते हैं, 'पुलिस हिरासत में अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या का सरकार को कोई नुकसान नहीं होगा, बल्कि उसे लाभ ही मिलेगा. यह दोनों ही नामी अपराधी थे और इनका गिरोह प्रदेश भर में पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ था. यही कारण है कि धर्म विशेष के चंद लोगों की सहानुभूति को छोड़ दें, तो पूरे प्रदेश में किसी को भी इन दोनों के मारे जाने का कोई मलाल नहीं होगा. लोगों को यह भी पता है कि जिन लोगों ने अतीक अहमद और उसके भाई की पुलिस हिरासत में हत्या की है, उन्हें भी सरकार बक्शेगी नहीं, बल्कि उन्हें भी कड़ी से कड़ी सजा जरूर मिलेगी. ऐसे में इस पूरे घटनाक्रम का भाजपा को कोई नुकसान नहीं होगा, बल्कि लाभ होने की उम्मीद ज्यादा है. शायद विपक्षी दल इसी कारण ज्यादा विरोध जता रहे हैं.'

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