नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में शनिवार को बताया कि पुलिस की आत्मरक्षा कार्रवाई की नियमित निगरानी की जा रही है, जिसमें आरोपी व्यक्तियों की मौत हो गई थी. साथ ही बताया गया कि 2017 के बाद हुई सभी मुठभेड़ों में मारे गए अपराधियों और जांच के परिणामों का विवरण एकत्र किया जाता है और हर महीने पुलिस मुख्यालय स्तर पर इसकी जांच की जाती है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को उत्तर प्रदेश सरकार से 2017 के बाद राज्य में 183 मुठभेड़ों की जांच की प्रगति पर एक व्यापक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था. इस संबंध में न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद और उसके भाई की पुलिस हिरासत में हत्या की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिका का दायरा बढ़ा दिया. बता दें कि इस मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक वकील विशाल तिवारी ने 2017 से उत्तर प्रदेश में 183 मुठभेड़ों का मुद्दा उठाया था.
इस संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार ने स्थिति रिपोर्ट में कहा कि पुलिस की आत्मरक्षा कार्रवाई की नियमित निगरानी की जा रही है, जिसमें आरोपी व्यक्तियों की मौत हो गई है. 2017 के बाद से अब तक हुई सभी पुलिस मुठभेड़ की घटनाओं में मारे गए अपराधियों से संबंधित विवरण और जांच/पूछताछ के परिणामों का विवरण पुलिस मुख्यालय स्तर पर हर महीने एकत्र किया जाता है और जांच की जाती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस मुठभेड़ की घटनाओं के संबंध में दर्ज मुकदमों की जांच के विधिक निस्तारण एवं मजिस्ट्रेटी जांच के निस्तारण के संबंध में समय-समय पर संबंधित जोनल अपर पुलिस महानिदेशक को उचित निर्देश जारी कर उचित निगरानी सुनिश्चित की जाती है.
इतना ही नहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस मुठभेड़ों में मौत की घटनाओं की मजिस्ट्रेटी जांच के शीघ्र निस्तारण के संबंध में मुख्यालय स्तर से समय-समय पर उत्तर प्रदेश सरकार से अनुरोध भी किया जाता रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पुलिस द्वारा आत्मरक्षा में की गई कार्रवाई में मारे गए अपराधियों के संबंध में दर्ज मामलों की जांच/मजिस्ट्रियल पूछताछ और चल रही पूछताछ के संबंध में सभी जोन/कमिश्नरेट से जानकारी प्राप्त करने के बाद पुलिस मुख्यालय स्तर पर नियमित समीक्षा की जाती है. साथ ही राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो, उत्तर प्रदेश लखनऊ का कार्यालय पुलिस मुठभेड़ों में होने वाली मौतों से संबंधित घटनाओं की निगरानी करते हुए हर छह महीने में सभी घटनाओं की जानकारी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजता है.
इसी कड़ी में अंतिम अर्धवार्षिक रिपोर्ट 11 जुलाई, 2023 को राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा एनएचआरसी को प्रस्तुत की गई. इसमें अतीक के बेटे गुलाम के द्वारा 13 अप्रैल 2023 को अशरफ और अतीक अहमद के कथित एनकाउंटर के संबंध में सवाल उठाए जाने पर यूपी सरकार ने कहा कि पुलिस के कार्य में कोई खामियां नहीं पाई गईं. कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया कि मजिस्ट्रेट जांच में भी किसी पुलिसकर्मी को दोषी नहीं पाया गया है. वहीं अतीक और उसके भाई की हत्या के संबंध में, रिपोर्ट में कहा गया है कि 16 अप्रैल 2023 को मामले की जांच के लिए पुलिस आयुक्त, प्रयागराज द्वारा अतिरिक्त डीसीपी अपराध (अपर पुलिस अधीक्षक) की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था.
वहीं एसआईटी द्वारा जांच 17 अप्रैल को शुरू हो गई थी. जांच के दौरान आरोपी व्यक्तियों सनी सिंह उर्फ पूरन सिंह उर्फ मोहित, लवलेश तिवारी और अरुण कुमार मौर्य को गिरफ्तार किया गया और उनसे पूछताछ की गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि आरोपी व्यक्तियों ने सामान्य इरादे से अपराध किया और घटना से पहले वे जाली आधार कार्ड के आधार पर एक होटल में रुके थे. राज्य सरकार ने कहा कि वह उन घटनाओं की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है, जिसमें अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या भी शामिल है और उसके खिलाफ लगाए गए व्यापक आरोप पूरी तरह से झूठे और अनुचित हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि विशिष्ट मामलों की सक्रिय जांच के अलावा राज्य ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) दिलीप बाबासाहेब भोंसले के नेतृत्व में 5 सदस्यीय न्यायिक आयोग भी स्थापित किया है. आयोग की जांच प्रगति पर है, सदस्यों की 8 अक्टूबर, 2023 को फिर से बैठक होने वाली है. एक अन्य याचिका अतीक अहमद और अशरफ अहमद की बहन द्वारा दायर की गई है, जिसमें सरकार द्वारा की गई कथित न्यायेतर हत्याओं की एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश या एक स्वतंत्र एजेंसी की अध्यक्षता में व्यापक जांच की मांग की गई है. आयशा नूरी द्वारा दायर याचिका में उनके भतीजे और अतीक अहमद के बेटे की मुठभेड़ में हत्या की जांच की भी मांग की गई है.
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