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भाजपा के 70 फीसदी जिलाध्यक्षों का काम ठीक नहीं, दो से तीन दिन में नए पदाधिकारियों की घोषणा संभव

भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) ने जिलाध्यक्षों के कार्यकलापों को देखने के लिए हर जिले में पर्यवेक्षक भेजे थे. इन पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट काफी खराब आई है. पर्यवेक्षकों ने 35 से 50 जिलाध्यक्षों को हटाने की सिफारिश की है. जिलाध्यक्षों के बदले जाने के संकेत भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी (Bhupendra Chowdhary) भी दे चुके हैं.

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Published : Jul 24, 2023, 7:07 PM IST

लखनऊ: लोकसभा चुनाव में अब काफी कम समय ही बचा है. केवल 6 महीने ही शेष हैं. इस बीच भारतीय जनता पार्टी को उनके अपने पर्यवेक्षकों ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट दी है. इस रिपोर्ट से भाजपा के उत्तर प्रदेश के अधिकारी सकते में हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा के करीब 70 फीसदी जिलाध्यक्षों का कामकाज ठीक नहीं है. इसलिए उनको हटाकर नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति जल्द से जल्द कर देनी चाहिए.

अब भारतीय जनता पार्टी के नए जिलाध्यक्षों की घोषणा सोमवार से लेकर अगले दो से तीन दिन में कभी भी कर सकती है. इसके संकेत भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी कर चुके हैं. वैसे हर जिले से तीन-तीन नेताओं के पैनल को हरी झंडी मिली है. इनमें से किसी एक को जिलाध्यक्ष चुना जाएगा. करीब 35 से 50 जिलों में अध्यक्ष बदले जा सकते हैं. भारतीय जनता पार्टी में हर स्तर से अब बात फाइनल हो चुकी है. अब बस जिलाध्यक्षों की घोषणा होना बाकी है.

भाजपा जिलाध्यक्ष अब तक नहीं चुने गए हैं. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय का फैसला भी नहीं हो पा रहा है. यह बात दीगर है कि उत्तर प्रदेश भाजपा कार्यालय में जिलाध्यक्षों की दौड़ हो रही है. दूसरी ओर जिलाध्यक्ष को लेकर जिलों में जो पर्यवेक्षक भेजे गए हैं उनकी रिपोर्ट बहुत ही खराब है. कुल 98 में से 70 प्रतिशत जिलाध्यक्ष को हटाने की सिफारिश की गई है.

पर्यवेक्षकों ने दी जिलाध्यक्षों की नेगेटिव रिपोर्टः जिलाध्यक्ष बदलाव के संबंध में रिपोर्ट को लेकर जिले-जिले में पर्यवेक्षक भारतीय जनता पार्टी ने भेजे थे. कुल 98 संगठनात्मक जिलों में अधिकांश के जिलाध्यक्षों की रिपोर्ट या तो नेगेटिव है या फिर अपना समय पूरा कर चुके हैं. ऐसे में बदलाव आवश्यक है. माना जा रहा है कि पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर बीजेपी में नए चेहरे दिखेंगे.

दिल्ली से तय होंगे नए जिलाध्यक्षः 98 संगठनात्मक जिलों में पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट भले ही नेगेटिव हो मगर प्रदेश संगठन किसी बड़े बदलाव का इच्छुक नहीं है. लोकसभा चुनाव सिर पर हैं. ऐसे में जिलाध्यक्ष के बदलाव से क्षेत्र में नुकसान होने का खतरा है. जिसको देखते हुए बड़ा बदलाव नहीं किया जाएगा. प्रदेश में संगठन की यही इच्छा है. ऐसे में बदलाव टल रहा है.

हर तीन साल में बदल जाता है जिलाध्यक्षः भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ल ने बताया कि हमारा दल एक लोकतांत्रिक दल है. हर तीन साल में जिलाध्यक्ष में जरूरी बदलाव किए जाते हैं. इस बार पर्यवेक्षक जिलों में गए थे. उन्होंने अपनी रिपोर्ट संगठन को सौप दी है. बहुत जल्द ही रिपोर्ट के संबंध में निर्णय लिया जाएगा.

ये भी पढ़ेंः मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु बोले, अब्बास अंसारी एनडीए का हिस्सा नहीं, ओपी राजभर होंगे मंत्रिमंडल में शामिल

लखनऊ: लोकसभा चुनाव में अब काफी कम समय ही बचा है. केवल 6 महीने ही शेष हैं. इस बीच भारतीय जनता पार्टी को उनके अपने पर्यवेक्षकों ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट दी है. इस रिपोर्ट से भाजपा के उत्तर प्रदेश के अधिकारी सकते में हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा के करीब 70 फीसदी जिलाध्यक्षों का कामकाज ठीक नहीं है. इसलिए उनको हटाकर नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति जल्द से जल्द कर देनी चाहिए.

अब भारतीय जनता पार्टी के नए जिलाध्यक्षों की घोषणा सोमवार से लेकर अगले दो से तीन दिन में कभी भी कर सकती है. इसके संकेत भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी कर चुके हैं. वैसे हर जिले से तीन-तीन नेताओं के पैनल को हरी झंडी मिली है. इनमें से किसी एक को जिलाध्यक्ष चुना जाएगा. करीब 35 से 50 जिलों में अध्यक्ष बदले जा सकते हैं. भारतीय जनता पार्टी में हर स्तर से अब बात फाइनल हो चुकी है. अब बस जिलाध्यक्षों की घोषणा होना बाकी है.

भाजपा जिलाध्यक्ष अब तक नहीं चुने गए हैं. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय का फैसला भी नहीं हो पा रहा है. यह बात दीगर है कि उत्तर प्रदेश भाजपा कार्यालय में जिलाध्यक्षों की दौड़ हो रही है. दूसरी ओर जिलाध्यक्ष को लेकर जिलों में जो पर्यवेक्षक भेजे गए हैं उनकी रिपोर्ट बहुत ही खराब है. कुल 98 में से 70 प्रतिशत जिलाध्यक्ष को हटाने की सिफारिश की गई है.

पर्यवेक्षकों ने दी जिलाध्यक्षों की नेगेटिव रिपोर्टः जिलाध्यक्ष बदलाव के संबंध में रिपोर्ट को लेकर जिले-जिले में पर्यवेक्षक भारतीय जनता पार्टी ने भेजे थे. कुल 98 संगठनात्मक जिलों में अधिकांश के जिलाध्यक्षों की रिपोर्ट या तो नेगेटिव है या फिर अपना समय पूरा कर चुके हैं. ऐसे में बदलाव आवश्यक है. माना जा रहा है कि पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर बीजेपी में नए चेहरे दिखेंगे.

दिल्ली से तय होंगे नए जिलाध्यक्षः 98 संगठनात्मक जिलों में पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट भले ही नेगेटिव हो मगर प्रदेश संगठन किसी बड़े बदलाव का इच्छुक नहीं है. लोकसभा चुनाव सिर पर हैं. ऐसे में जिलाध्यक्ष के बदलाव से क्षेत्र में नुकसान होने का खतरा है. जिसको देखते हुए बड़ा बदलाव नहीं किया जाएगा. प्रदेश में संगठन की यही इच्छा है. ऐसे में बदलाव टल रहा है.

हर तीन साल में बदल जाता है जिलाध्यक्षः भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ल ने बताया कि हमारा दल एक लोकतांत्रिक दल है. हर तीन साल में जिलाध्यक्ष में जरूरी बदलाव किए जाते हैं. इस बार पर्यवेक्षक जिलों में गए थे. उन्होंने अपनी रिपोर्ट संगठन को सौप दी है. बहुत जल्द ही रिपोर्ट के संबंध में निर्णय लिया जाएगा.

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