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UP Assembly elections 2022: ओबीसी वोट बैंक बचाने को भाजपा का नया दांव - UP elections 2022

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य और दूसरे कई ओबीसी नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद भाजपा ने मर्ज की दवा शुरू कर दी है. सूबे में ओबीसी वोटरों की तादाद खूब है इसलिए पार्टी अभी तक लगभग 30 से ज्यादा ओबीसी नेताओं को पार्टी का उम्मीदवार बना चुकी है. जाहिर है पार्टी को डर है कि कहीं स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान जैसे नेताओं के पार्टी छोड़ने से कहीं ओबीसी का वोट बैंक दरक न जाए. पढ़िए, ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट...

k Laxman
भाजपा ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष के लक्ष्मण
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Published : Jan 25, 2022, 10:27 PM IST

Updated : Jan 26, 2022, 6:25 AM IST

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में ओबीसी वोट बैंक 42 से 45% तक है, जिसमें 9% यादव है, जो समाजवादी पार्टी के खाते में जाते हैं. बाकी बचे 35% में से दूसरी अन्य पिछड़ी जातियां हैं जिनमें कुशवाहा, राजभर, निषाद, जाट, लोध, मौर्य और कुर्मी वर्ग के वोट बैंक है. बीजेपी इसी 35% वोट बैंक को रोकने की कोशिश कर रही है, ताकि इनका बिखराव समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और ओपी राजभर के गठबंधन में न जा सके. इसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने ओबीसी मोर्चा को यह जिम्मेदारी भी दी है कि वह उत्तर प्रदेश में मोर्चा के सदस्यों को अलग-अलग क्षेत्रों में भेज कर ओबीसी वोटरों से डोर टू डोर संपर्क साधे.

बीजेपी के इस डर के बारे में पार्टी के ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष के. लक्ष्मण से ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना ने बातचीत की. बीजेपी के ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष के लक्ष्मण का कहना है कि बीजेपी दूसरे दलों की तरह जाति पर चुनाव नहीं लड़ती, बल्कि विकास और गरीब कल्याण के मुद्दे पर लड़ती है. ओबीसी समाज के कई लोग बसपा से आए और हमारे मंत्रिमंडल में भी शामिल हुए थे. चुनाव के समय उन्हें महसूस हुआ कि हमारी पार्टी पिछड़ी जातियों की विरोधी है, यह बात उन्हें 5 साल तक क्यों नहीं महसूस हुई.

वीडियो देखें-

उन्होंने कहा कि केंद्र में मोदी सरकार ने 7 सालों में पिछड़े वर्ग के लिए जो योजनाएं बनाई हैं, इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ. पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा देना हमारी सरकार में हुआ. इसलिए क्षेत्रीय दलों से हमारा सवाल है कि पिछड़े वर्ग की ठेकेदार पार्टियों ने आज तक इसे लागू क्यों नहीं किया. दस साल सत्ता में रही मनमोहन सरकार ने आयोग को संवैधानिक दर्जा क्यों नहीं दिया. आज 47 ओबीसी समाज के लोगों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है और यह आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है.

बीजेपी ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष लक्ष्मण का दावा है कि पार्टी छोड़ कर गए नेताओं ने अपने स्वार्थ की वजह से ऐसा किया है. सरकार ने नीट की परीक्षा में 47% आरक्षण दिया, केंद्रीय विद्यालय, नवोदय स्कूल और सैनिक स्कूलों में लगभग 4 लाख छात्रों को इस बार इसका लाभ मिला. यूपी में भी गरीब कल्याण और किसानों के लिए 36,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया गया और 50 हजार लोगों को मकान दिया गया. लगभग दो करोड़ लोगों को गैस कनेक्शन बांटे गए. स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे थे और यह, बीजेपी में मुमकिन नहीं है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी परिवारवाद की पार्टी नहीं है.

लक्ष्मण का दावा है कि राज्य में अपराध पर नियंत्रण हुआ है, जो पहले की सरकार में था ही नहीं. मुफ्त में लड़कियों को ग्रेजुएशन तक की शिक्षा दी जा रही है, छात्रों को एक करोड़ टेबलेट बांटे गए हैं, अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है, काशी कॉरिडोर बन रहा है. इन्हीं मुद्दों पर बीजेपी दोबारा चुनाव जीत कर सत्ता में आएगी.

के. लक्ष्मण को भाजपा ने उत्तराखंड में भी सौ क्षेत्रों के इंडोर मीटिंग का इंचार्ज बनाया है. इस सवाल पर कि उत्तराखंड में पार्टी ओबीसी वोटरों को कैसे लुभा रही है, उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कई हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की गई है. हरिद्वार, रुड़की, देहरादून तमाम जगहों का काफी विकास हुआ है, वहां भी पचास फीसदी ओबीसी समुदाय है और उनके बीच नरेंद्र मोदी काफी लोकप्रिय हैं. पार्टी की जो योजनाएं हैं, उन्हें ओबीसी मोर्चा, मंडल स्तर से लेकर जिला स्तर तक लोगों को बता रहा है.

यह भी पढ़ें- आरपीएन सिंह भाजपा में शामिल, तिलमिलाई कांग्रेस ने बताया 'कायर'

हरक सिंह रावत के कांग्रेस में जाने पर लक्ष्मण ने कहा कि कोई व्यक्ति यदि अपने पर्सनल एजेंडे पर पार्टी छोड़कर जा रहा है तो पार्टी उसे कोई महत्व नहीं देती. रिश्तेदारों के लिए अगर टिकट मांग रहे हैं तो हमारी पार्टी टिकट नहीं देती. ऐसे में वह पार्टी छोड़ कर जाते हैं तो हमारी पार्टी पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ता.

इस सवाल पर कि इन पांचों राज्यों के चुनाव में ओबीसी वोट बैंक का टर्नआउट भाजपा की तरफ कितना होगा, भाजपा ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष का कहना है कि 90 फीसदी ओबीसी समुदाय इस बार बीजेपी को वोट करेगा. पहली बार देश का प्रधानमंत्री एक ओबीसी है और उसने अपने मंत्रिमंडल में 47 ओबीसी नेताओं को शामिल किया. उम्मीदवारों की जो 107 लोगों की लिस्ट है, उसमें भी लगभग 44 लोगों को ओबीसी समुदाय से टिकट दिया गया और इसका असर चुनावी नतीजों पर पड़ेगा.

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में ओबीसी वोट बैंक 42 से 45% तक है, जिसमें 9% यादव है, जो समाजवादी पार्टी के खाते में जाते हैं. बाकी बचे 35% में से दूसरी अन्य पिछड़ी जातियां हैं जिनमें कुशवाहा, राजभर, निषाद, जाट, लोध, मौर्य और कुर्मी वर्ग के वोट बैंक है. बीजेपी इसी 35% वोट बैंक को रोकने की कोशिश कर रही है, ताकि इनका बिखराव समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और ओपी राजभर के गठबंधन में न जा सके. इसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने ओबीसी मोर्चा को यह जिम्मेदारी भी दी है कि वह उत्तर प्रदेश में मोर्चा के सदस्यों को अलग-अलग क्षेत्रों में भेज कर ओबीसी वोटरों से डोर टू डोर संपर्क साधे.

बीजेपी के इस डर के बारे में पार्टी के ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष के. लक्ष्मण से ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना ने बातचीत की. बीजेपी के ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष के लक्ष्मण का कहना है कि बीजेपी दूसरे दलों की तरह जाति पर चुनाव नहीं लड़ती, बल्कि विकास और गरीब कल्याण के मुद्दे पर लड़ती है. ओबीसी समाज के कई लोग बसपा से आए और हमारे मंत्रिमंडल में भी शामिल हुए थे. चुनाव के समय उन्हें महसूस हुआ कि हमारी पार्टी पिछड़ी जातियों की विरोधी है, यह बात उन्हें 5 साल तक क्यों नहीं महसूस हुई.

वीडियो देखें-

उन्होंने कहा कि केंद्र में मोदी सरकार ने 7 सालों में पिछड़े वर्ग के लिए जो योजनाएं बनाई हैं, इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ. पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा देना हमारी सरकार में हुआ. इसलिए क्षेत्रीय दलों से हमारा सवाल है कि पिछड़े वर्ग की ठेकेदार पार्टियों ने आज तक इसे लागू क्यों नहीं किया. दस साल सत्ता में रही मनमोहन सरकार ने आयोग को संवैधानिक दर्जा क्यों नहीं दिया. आज 47 ओबीसी समाज के लोगों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है और यह आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है.

बीजेपी ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष लक्ष्मण का दावा है कि पार्टी छोड़ कर गए नेताओं ने अपने स्वार्थ की वजह से ऐसा किया है. सरकार ने नीट की परीक्षा में 47% आरक्षण दिया, केंद्रीय विद्यालय, नवोदय स्कूल और सैनिक स्कूलों में लगभग 4 लाख छात्रों को इस बार इसका लाभ मिला. यूपी में भी गरीब कल्याण और किसानों के लिए 36,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया गया और 50 हजार लोगों को मकान दिया गया. लगभग दो करोड़ लोगों को गैस कनेक्शन बांटे गए. स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे थे और यह, बीजेपी में मुमकिन नहीं है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी परिवारवाद की पार्टी नहीं है.

लक्ष्मण का दावा है कि राज्य में अपराध पर नियंत्रण हुआ है, जो पहले की सरकार में था ही नहीं. मुफ्त में लड़कियों को ग्रेजुएशन तक की शिक्षा दी जा रही है, छात्रों को एक करोड़ टेबलेट बांटे गए हैं, अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है, काशी कॉरिडोर बन रहा है. इन्हीं मुद्दों पर बीजेपी दोबारा चुनाव जीत कर सत्ता में आएगी.

के. लक्ष्मण को भाजपा ने उत्तराखंड में भी सौ क्षेत्रों के इंडोर मीटिंग का इंचार्ज बनाया है. इस सवाल पर कि उत्तराखंड में पार्टी ओबीसी वोटरों को कैसे लुभा रही है, उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कई हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की गई है. हरिद्वार, रुड़की, देहरादून तमाम जगहों का काफी विकास हुआ है, वहां भी पचास फीसदी ओबीसी समुदाय है और उनके बीच नरेंद्र मोदी काफी लोकप्रिय हैं. पार्टी की जो योजनाएं हैं, उन्हें ओबीसी मोर्चा, मंडल स्तर से लेकर जिला स्तर तक लोगों को बता रहा है.

यह भी पढ़ें- आरपीएन सिंह भाजपा में शामिल, तिलमिलाई कांग्रेस ने बताया 'कायर'

हरक सिंह रावत के कांग्रेस में जाने पर लक्ष्मण ने कहा कि कोई व्यक्ति यदि अपने पर्सनल एजेंडे पर पार्टी छोड़कर जा रहा है तो पार्टी उसे कोई महत्व नहीं देती. रिश्तेदारों के लिए अगर टिकट मांग रहे हैं तो हमारी पार्टी टिकट नहीं देती. ऐसे में वह पार्टी छोड़ कर जाते हैं तो हमारी पार्टी पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ता.

इस सवाल पर कि इन पांचों राज्यों के चुनाव में ओबीसी वोट बैंक का टर्नआउट भाजपा की तरफ कितना होगा, भाजपा ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष का कहना है कि 90 फीसदी ओबीसी समुदाय इस बार बीजेपी को वोट करेगा. पहली बार देश का प्रधानमंत्री एक ओबीसी है और उसने अपने मंत्रिमंडल में 47 ओबीसी नेताओं को शामिल किया. उम्मीदवारों की जो 107 लोगों की लिस्ट है, उसमें भी लगभग 44 लोगों को ओबीसी समुदाय से टिकट दिया गया और इसका असर चुनावी नतीजों पर पड़ेगा.

Last Updated : Jan 26, 2022, 6:25 AM IST
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