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अनोखा प्यार : 10 साल की सिंहस्थिता का घोड़ों से प्रेम ने जीता सबका दिल - सिंहस्थिता को जानवरों से प्यार

हमने कई बार बच्चों को संकट से घिरे जानवरों के लिए काम करते देखा है. बेंगलुरु की 10 वर्षीय सिंहस्थिता भी उसी रास्ते पर चल रही है, जिस पर बहुत कम लोग ही चलते हैं. कोरोना काल में संकटग्रस्त घोड़ों की मदद करने के लिए सिंहस्थिता ने 80,000 रुपये भी एकत्रित किए. सिंहस्थिता का घोड़ों के प्रति प्यार ने सभी पशु प्रेमियों का दिल जीत लिया है.

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Published : Mar 25, 2021, 8:37 PM IST

बेंगलुरु : यह बेंगलुरु शहर के नम्मा की दस साल की लड़की सिंहस्थिता की कहानी है. संकट में घोड़ों की मदद के लिए लाॅकडाउन के समय डॉक्टरों की सेवा लेने के लिए इन्होंने अपने यूट्यूब वीडियो का सहारा लिया और बीमार व संकटग्रस्त घोड़ों की मदद की.

उनकी उपलब्धि के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है. समभाव नाम का एक गैर सरकारी संगठन है, जो कि संकट में घिरे घोड़ों की मदद के लिए काम करता है. इस एनजीओ को लॉकडाउन के समय वित्तीय संकट का सामना भी करना पड़ा. संस्था करीब 60 घोड़ों की देखभाल कर रहा है. एनजीओ इन घोड़ों के चारे के लिए भी संघर्ष कर रहा था. उस दौरान सिंहस्थिता ने एनजीओ की चुनौती दूर करने में मदद का फैसला किया. उसने अपने वीडियो के माध्यम से एनजीओ की मदद की. वर्तमान में वह चौथी कक्षा में पढ़ रही है.

जानवरों के लिए अनोखा प्यार

सिंहस्थिता को जानवरों से प्यार

सिंहस्थिता कहती हैं कि बचपन के दिनों से ही मैं घोड़ों को देख रही हूं और मुझे घोड़ों से प्यार है. लॉकडाउन के समय मेरे पिता ने मुझसे एनजीओ का दौरा करने और मदद करने के लिए कहा. मैं इन घोड़ों के लिए चारे का इंतजाम करती हूं. मैंने उसी के लिए वीडियो बनाए. मेरे भाई ने भी एक क्रिकेटर की मदद से वित्तीय मदद की. मेरा सपना जॉकी बनने का रहा है. मैं जानवरों को बचाने और संरक्षण के लिए एक एनजीओ शुरू करना चाहती हूं.

ऐसे हुई मदद की शुरुआत

समभाव के संस्थापक राजू कहते हैं कि मैं शहरों में घोड़ों द्वारा सामना की जाने वाली कठिनाइयों से गहराई से जुड़ा रहा. उन्होंने कहा कि समभाव की शुरुआत वर्ष 2010 में हुई थी. पिछले 11 वर्षों में हमने 62 घोड़ों को बचाया है. वर्तमान में हमारे पास 25 घोड़े हैं. उनमें से कई अंधे व अस्वस्थ हैं. जो घोड़े तांगा, जातक के लिए उपयोग किए जाते हैं, वे बुजुर्ग और अस्वस्थ होने के बाद सड़क किनारे छोड़ दिए जाते हैं. हम इन घोड़ों को बचाते हैं.

यह भी पढ़ें-प.बंगाल-ओडिशा-यूपी के बाद अब बिहार में स्पेशल पुलिस विधेयक, बढ़ा विवाद

अब सिंहस्थिता ने इन घोड़े की सुरक्षा के लिए योगदान करके सभी का दिल जीत लिया है. हम सभी पशु कल्याण के प्रति उसकी चिंता की सराहना कर रहे हैं.

बेंगलुरु : यह बेंगलुरु शहर के नम्मा की दस साल की लड़की सिंहस्थिता की कहानी है. संकट में घोड़ों की मदद के लिए लाॅकडाउन के समय डॉक्टरों की सेवा लेने के लिए इन्होंने अपने यूट्यूब वीडियो का सहारा लिया और बीमार व संकटग्रस्त घोड़ों की मदद की.

उनकी उपलब्धि के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है. समभाव नाम का एक गैर सरकारी संगठन है, जो कि संकट में घिरे घोड़ों की मदद के लिए काम करता है. इस एनजीओ को लॉकडाउन के समय वित्तीय संकट का सामना भी करना पड़ा. संस्था करीब 60 घोड़ों की देखभाल कर रहा है. एनजीओ इन घोड़ों के चारे के लिए भी संघर्ष कर रहा था. उस दौरान सिंहस्थिता ने एनजीओ की चुनौती दूर करने में मदद का फैसला किया. उसने अपने वीडियो के माध्यम से एनजीओ की मदद की. वर्तमान में वह चौथी कक्षा में पढ़ रही है.

जानवरों के लिए अनोखा प्यार

सिंहस्थिता को जानवरों से प्यार

सिंहस्थिता कहती हैं कि बचपन के दिनों से ही मैं घोड़ों को देख रही हूं और मुझे घोड़ों से प्यार है. लॉकडाउन के समय मेरे पिता ने मुझसे एनजीओ का दौरा करने और मदद करने के लिए कहा. मैं इन घोड़ों के लिए चारे का इंतजाम करती हूं. मैंने उसी के लिए वीडियो बनाए. मेरे भाई ने भी एक क्रिकेटर की मदद से वित्तीय मदद की. मेरा सपना जॉकी बनने का रहा है. मैं जानवरों को बचाने और संरक्षण के लिए एक एनजीओ शुरू करना चाहती हूं.

ऐसे हुई मदद की शुरुआत

समभाव के संस्थापक राजू कहते हैं कि मैं शहरों में घोड़ों द्वारा सामना की जाने वाली कठिनाइयों से गहराई से जुड़ा रहा. उन्होंने कहा कि समभाव की शुरुआत वर्ष 2010 में हुई थी. पिछले 11 वर्षों में हमने 62 घोड़ों को बचाया है. वर्तमान में हमारे पास 25 घोड़े हैं. उनमें से कई अंधे व अस्वस्थ हैं. जो घोड़े तांगा, जातक के लिए उपयोग किए जाते हैं, वे बुजुर्ग और अस्वस्थ होने के बाद सड़क किनारे छोड़ दिए जाते हैं. हम इन घोड़ों को बचाते हैं.

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अब सिंहस्थिता ने इन घोड़े की सुरक्षा के लिए योगदान करके सभी का दिल जीत लिया है. हम सभी पशु कल्याण के प्रति उसकी चिंता की सराहना कर रहे हैं.

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