हैदराबाद : हाथी मेरे साथी फिल्म याद है...जिसमें हाथी और इंसान की दोस्ती देखने लायक ही बनती है. यह फिल्म दिखाती है कि कैसे इंसान और हाथी के बीच भावनात्मक रिश्ता बनता है. World Elephant Day के मौके पर हम आपको कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हाथी और इंसान की खूबसूरत दोस्ती को दिखाती है.
हाथी मेरे साथी : साल 1971 में रिलीज हुई राजेश खन्ना की फिल्म 'हाथी मेरे साथी' में हाथी और इंसान की दोस्ती को दर्शाती है.इस फिल्म का निर्देशन एम ए तिरुमुगम ने किया है. पटकथा सलीम-जावेद ने लिखी और संवाद इंदर राज आनंद ने लिखें है. यह फिल्म 1971 की सबसे ज्यादा व्यापार और सफलता हासिल करने वाली फिल्म थी. इसमें राजेश खन्ना और तनुजा मुख्य भूमिकाओं में थे.
मैं और मेरा हाथी : साल 1981 मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म 'मैं और मेरा हाथी' रिलीज हुई थी. फिल्म में बचपन का किरदार निभा रहे मिथुन का नाम राम होता है जा एक हाथी पालता है. हाथी का नाम राम लक्ष्मण रखता है. दोनों एक दूसरे को भाईयों की तरह प्यार करते है. फिल्म में गुंडे राम के पिता की हत्या कर देते हैं.जिसका बदला लेने के लिए राम और लक्ष्मण गुंडों के पीछे लग जाते है.
सफेद हाथी : साल 1977 रिलीज हुई इस फिल्म में अनाथ बच्चा अपने चाचा-चाची के साथ रहते हैं जिसपर वो अत्याचार करते हैं. वहीं उसके बाद बच्चों की दोस्ती एक हाथी से हो जाती है, जो उसे सोने का सिक्का देता है. लेकिन जब ये बात उस इलाके के राजा को पता चलती तो वो लालच में उस हाथी को पकड़ने के लिए जाल बिछाता है. इस फिल्म में जानवर और इंसान के बीच एक अटूट रिश्ते को दिखाया गया है.
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जंगली : साल 2019 में आई विद्युत जामवाल की फिल्म 'जंगली' में इंसान और हाथी के बीच उस रिश्ते को दिखाती है जिसमें एक पशु चिकित्सक जो अपने पिता के हाथी रिजर्व में वापस लौटता है. विद्युत को इस दौरान शिकारियों के रैकेट का सामना करना पड़ता है और वह आखिरकार अपने हाथियों को बचा लेता है.
क्यों मनाया जाता है हाथी दिवस
विश्व हाथी दिवस का उद्देश्य अफ्रीकन और एशियाई हाथियों की तत्काल दुर्दशा के बारे में लोगों को जागरूक करना और जंगली और बंदी बनाये गए हाथियों के बेहतर ख्याल रखने और उनके बेहतर प्रबंधन के बारे में लोगों को जागरुक करना है.
देश में हाथियों की संख्या
देश में 2017 हुई हाथियों की गिनती के अनुसार भारत में 30 हजार हाथी हैं, लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती जा रही है.हाथियों के कम होने का कारण उनकी तस्करी खासकर हाथी के दांतो की तस्करी है.सबसे से ज्यादा हाथियों की मौत केरल में होती है.
क्या है कानून
वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत जानवरों को मारने पर तीन साल तक की सजा और 25 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। दोबारा ऐसा करने पर सात साल तक की सजा हो सकती है.