ETV Bharat / bharat

भारत ने वैश्विक कार्बन बजट में अपने हिस्से से बहुत कम इस्तेमाल किया: सरकार - अश्विनी कुमार चौबे न्यूज़

केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा को बताया, "हमारा प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 1.96 टन है जो दुनिया के प्रति व्यक्ति जीएचजी (ग्रीनहाउस गैस) उत्सर्जन के एक तिहाई से भी कम है और 2016 में हमारा वार्षिक उत्सर्जन वैश्विक उत्सर्जन का केवल पांच प्रतिशत रहा. भारत ने 1850 से 2019 तक वैश्विक संचयी उत्सर्जन में केवल चार प्रतिशत का योगदान दिया है, जबकि यहां मानव जाति का करीब छठा हिस्सा निवास करता है."

अश्विनी कुमार चौबे
अश्विनी कुमार चौबे
author img

By

Published : Jul 30, 2022, 12:52 PM IST

Updated : Jul 30, 2022, 1:17 PM IST

नई दिल्ली : भारत सरकार ने कहा है कि सरकार ने वैश्विक कार्बन बजट में अपने हिस्से से काफी कम उपयोग किया है और उसका कार्बन उत्सर्जन बढ़ सकता है. क्योंकि यह एक विकासशील देश है, जहां सतत विकास और गरीबी उन्मूलन इसकी प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल हैं. वैश्विक कार्बन बजट, एक निश्चित अवधि में अनुमत कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की कुल मात्रा है. फरवरी 2021 में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) को सौंपी गई भारत की तीसरी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में देश का शुद्ध ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 2.5 अरब टन था.

केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा को बताया, "हमारा प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 1.96 टन है जो दुनिया के प्रति व्यक्ति जीएचजी (ग्रीनहाउस गैस) उत्सर्जन के एक तिहाई से भी कम है और 2016 में हमारा वार्षिक उत्सर्जन वैश्विक उत्सर्जन का केवल पांच प्रतिशत रहा." उन्होंने कहा कि भारत ने 1850 से 2019 तक वैश्विक संचयी उत्सर्जन में केवल चार प्रतिशत का योगदान दिया है, जबकि यहां मानव जाति का करीब छठा हिस्सा निवास करता है.

भारत ने दोहराया कि विकसित देशों द्वारा पूर्व में किए गए और वर्तमान ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार हैं. इसलिए इन देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों का नेतृत्व करना चाहिए. मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है, जिससे मिलकर निपटा जाना चाहिए और राष्ट्रों को वैश्विक कार्बन बजट के अपने संबंधित हिस्से का ही उपयोग करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि इस मानदंड के हिसाब से भारत ने वैश्विक कार्बन बजट के अपने हिस्से से बहुत कम उपयोग किया है. चौबे ने कहा कि उत्सर्जन में वृद्धि की वैश्विक दर की तुलना भारत की विकास दर से नहीं की जा सकती.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : भारत सरकार ने कहा है कि सरकार ने वैश्विक कार्बन बजट में अपने हिस्से से काफी कम उपयोग किया है और उसका कार्बन उत्सर्जन बढ़ सकता है. क्योंकि यह एक विकासशील देश है, जहां सतत विकास और गरीबी उन्मूलन इसकी प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल हैं. वैश्विक कार्बन बजट, एक निश्चित अवधि में अनुमत कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की कुल मात्रा है. फरवरी 2021 में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) को सौंपी गई भारत की तीसरी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में देश का शुद्ध ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 2.5 अरब टन था.

केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा को बताया, "हमारा प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 1.96 टन है जो दुनिया के प्रति व्यक्ति जीएचजी (ग्रीनहाउस गैस) उत्सर्जन के एक तिहाई से भी कम है और 2016 में हमारा वार्षिक उत्सर्जन वैश्विक उत्सर्जन का केवल पांच प्रतिशत रहा." उन्होंने कहा कि भारत ने 1850 से 2019 तक वैश्विक संचयी उत्सर्जन में केवल चार प्रतिशत का योगदान दिया है, जबकि यहां मानव जाति का करीब छठा हिस्सा निवास करता है.

भारत ने दोहराया कि विकसित देशों द्वारा पूर्व में किए गए और वर्तमान ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार हैं. इसलिए इन देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों का नेतृत्व करना चाहिए. मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है, जिससे मिलकर निपटा जाना चाहिए और राष्ट्रों को वैश्विक कार्बन बजट के अपने संबंधित हिस्से का ही उपयोग करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि इस मानदंड के हिसाब से भारत ने वैश्विक कार्बन बजट के अपने हिस्से से बहुत कम उपयोग किया है. चौबे ने कहा कि उत्सर्जन में वृद्धि की वैश्विक दर की तुलना भारत की विकास दर से नहीं की जा सकती.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jul 30, 2022, 1:17 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.