नई दिल्ली : देशभर में संचालित किए जा रहे सेंट्रल स्कूलों में सांसदों को निश्चित कोटा दिया गया है. सांसदों की अनुशंसा पर आम नागरिकों और केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चों को नामांकन मिलता है. पंजाब से निर्वाचित कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने अभी मिल रहे कोटा को अपर्याप्त बताया और कहा कि इसे बढ़ाना चाहिए. बढ़ाना संभव नहीं होने पर कोटा को खत्म कर देना चाहिए. इस पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोक सभा में जवाब दिया.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि शिक्षा राज्यों का विषय है. उन्होंने कहा कि देशभर में सेंट्रल स्कूल और नवोदय विद्यालय अच्छा काम कर रहे हैं. मनीष तिवारी के सवाल के संबंध में उन्होंने कहा कि देश की आबादी बड़ी है, इसे सभी लोग स्वीकार करते हैं, लेकिन जन प्रतिनिधि किसी खास वर्ग के लिए नहीं होता. उन्होंने कहा कि एमपी कोटा के कारण बड़ी संख्या में लोगों को लाभ मिल रहा है.
केंद्रीय विद्यालयों में एमपी कोटा को लेकर तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि सांसदों का कोटा खत्म नहीं किया जाना चाहिए. महुआ मोइत्रा ने कहा कि अगर कोटा समाप्त कर दिया जायेगा तो स्थिति कठिन होगी. उन्होंने कोटा बढ़ाने का सुझाव दिया. इस पर लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि सभी दल के नेताओं से बात कर केंद्र सरकार सांसदों के विशेषाधिकार समाप्त करने के संबंध में अंतिम फैसला करेगी.
अध्यक्ष बिरला ने सदस्यों से पूछा कि अगर सभी इस बारे में सहमत हों तब क्या इसे (कोटे) समाप्त कर दिया जाए ? उन्होंने कहा कि सरकार ने विशेषाधिकार समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू की है तब सभी इस पर सहमत हो जाएं. लोक सभा अध्यक्ष ने कहा, 'इस विषय पर सभी दलों के नेताओं से मंत्रीजी बात करेंगे.' बिरला ने कहा कि सभी दलों के नेताओं से बात करके कोई निर्णय किया जायेगा.
दरअसल, सोमवार को संसद के बजट सत्र के चौथे दिन (दूसरे चरण में) कई सदस्यों ने केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश के संबंध में प्रत्येक सांसद को दिये गए 10 सीटों के कोटे का विषय उठाया और कुछ सांसदों ने मांग की कि कोटे की संख्या को बढ़ाया जाए अन्यथा इसे पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए. प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस के मनीष तिवारी, के सुरेश, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा सहित कुछ अन्य सदस्यों ने इस विषय को उठाया. बता दें कि प्रत्येक सांसद को उसके निर्वाचन क्षेत्र में स्थित केंद्रीय विद्यालय में प्रवेश के लिए 10 सीटों का कोटा मिलता है जिसमें उसकी सिफारिश पर क्षेत्र के किसी विद्यार्थी का इन विद्यालय में दाखिल हो सकता है.
शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि वह समझते हैं कि इस विषय को लेकर जन प्रतिनिधियों पर दबाव है, लेकिन यह कोई अधिकार का विषय नहीं है . उन्होंने कहा कि कभी यह (कोटा) दो सीट का था, जो बाद में पांच सीट का हुआ और अब 10 है. उन्होंने कहा कि शिक्षा मूल रूप से राज्यों का विषय है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों की दृष्टि से प्रारंभ में केंद्रीय विद्यालय खोलने की बात आई क्योंकि उन कर्मचारियों का तबादला होता रहता है.
प्रधान ने कहा कि धीरे धीरे इनका विस्तार हुआ और पिछले 50-60 साल में देश में केंद्रीय विद्यालय और जवाहर नवोदय विद्यालयों ने प्रतिष्ठा हासिल की. ग्रामीण क्षेत्रों तथा टीयर-2 और टीयर-3 शहरों में ये अच्छा काम कर रहे हैं और इसलिये उनका आकर्षण भी है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर जनप्रतिनिधियों पर दबाव भी है लेकिन यह समझना होगा कि जन प्रतिनिधि के रूप में सांसद चुनिंदा लोगों के लिये काम नहीं कर सकते .
उन्होंने कहा कि जो बच्चे सांसदों निर्वाचन क्षेत्र में पढ़ रहे हैं, वे सामान्य वर्ग की प्रक्रिया के तहत पढ़ रहे हैं. शिक्षा मंत्री ने कहा, 'क्या इस बड़ी पंचायत में बैठकर हमें तय करना है कि क्या हम अपने अधिकार का प्रयोग कुछ चंद लोगों के लिये काम करेंगे अथवा सभी के लिये काम करेंगे. इस बारे में अध्यक्ष जी के मार्गदर्शन चाहिए.'
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इससे पहले सोमवार को कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यहां पर बैठे लोग 15 से 20 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनके संसदीय क्षेत्र में 35 से 40 लाख लोग रहते हैं. तिवारी ने कहा कि सांसदों को केंद्रीय विद्यालयों में दाखिले के संबंध में 10 सीटों की सिफारिश करने का कोटा दिया गया है, इससे उन्हें काफी तकलीफ हो रही है. उन्होंने कहा कि इससे क्षेत्र के लोग, विधायक सभी नाराज हो जाते है, ऐसे में उनका आग्रह है कि या तो इसे 10 से बढ़ाकर 50 सीट कर दिया जाए अथवा इस कोटे को समाप्त कर दिया जाए.