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पुणे की प्रेरणा बनीं गुलनार, कभी माली हालत के चलते छोड़ी थी पढ़ाई - gulnar teaches in slums

शिवाजीनगर की रहने वाली गुलनार ईरानी ने कभी आर्थिक तंगी के चलते स्कूल नहीं जा पाई थीं. लेकिन आज वह एक शिक्षिका की भूमिका निभा रही है. 36 वर्षीय गुलनार स्कूल में पढ़ाने के साथ साथ, झुग्गी झोपड़ी के बच्चों को भी पढ़ाती हैं. हाल ही में उन्होंने ईटीवी से बातचीत की..

uneducated Muslim girl becomes a teacher in pune
पुणे की शिक्षिका गुलनार
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Published : Feb 11, 2022, 12:13 PM IST

Updated : Feb 11, 2022, 2:42 PM IST

पुणे: शिक्षा हो या फिर कोई अन्य क्षेत्र, दृढ़ता, लगन, और मेहनत की जाए को नींव बनाकर कई लोगों ने सफलता हासिल की है. इस बात की जीती जागती मिसाल हैं शिवाजीनगर की रहने वाली गुलनार ईरानी. कभी आर्थिक तंगी के चलते स्कूल ना जा पाने वाली गुलनार, आज एक शिक्षिका की भूमिका निभा रही है. 36 वर्षीय गुलनार स्कूल में पढ़ाने के साथ साथ, झुग्गी झोपड़ी के बच्चों को भी पढ़ाती हैं.

36 वर्षीय गुलनार खुद के दम पर बनी शिक्षिका

गुलनार बाताती हैं की घर की माली हालत ठीक न होने के चलते वो स्कूल नहीं जा पाईं. हालांकि उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझा और मदरसे में ही उर्दू और अरबी का अध्ययन किया. अब उन्होंने दसवीं पास कर ली है. शुरुआती दिनों में उन्हें कई तरह की कठिनीईयों का सामना करना पड़ा क्योंकि उन्हें अंग्रेजी या मराठी नहीं आती थी जो हर फॉर्म भरने के लिए जरूरी हुआ करता था. इसके बाद उन्होंने मदरसे में आए शिक्षकों की मदद से अंग्रेजी की मूल बातें सीखीं और बाद में घर पर ही सेल्फ स्टडी करने लगीं.

uneducated Muslim girl becomes a teacher in pune
पुणे की शिक्षिका गुलनार

इसी क्रम में कुछ समय पूर्व वह पुणे में पन्हा समुदाय से मिलीं और इस संस्था की मदद से उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा शुरू की और इस साल जनवरी में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) से मैट्रिक की परीक्षा पास की. लेकिन गुलनार अभी हार नहीं मानना ​​चाहती. वह आगे बढ़कर 12वीं की परीक्षा देना चाहती है और अच्छे स्कूल में शिक्षिका के रूप में काम करना चाहती है. उन्होंने कहा कि, मैं इन बच्चों को शिक्षा के लिए झेली गई कठिनाइयों से सीखना और ईरानी समाज के लिए एक उदाहरण स्थापित करना चाहती हूं जिससे उनमें भी सीखने की वही लगन आए जो मुझमें है.

यह भी पढ़ें- मास्कमैन दिल्ली मेट्रो के यात्रियाें काे मास्क बांटकर करेगा जागरूक

पुणे: शिक्षा हो या फिर कोई अन्य क्षेत्र, दृढ़ता, लगन, और मेहनत की जाए को नींव बनाकर कई लोगों ने सफलता हासिल की है. इस बात की जीती जागती मिसाल हैं शिवाजीनगर की रहने वाली गुलनार ईरानी. कभी आर्थिक तंगी के चलते स्कूल ना जा पाने वाली गुलनार, आज एक शिक्षिका की भूमिका निभा रही है. 36 वर्षीय गुलनार स्कूल में पढ़ाने के साथ साथ, झुग्गी झोपड़ी के बच्चों को भी पढ़ाती हैं.

36 वर्षीय गुलनार खुद के दम पर बनी शिक्षिका

गुलनार बाताती हैं की घर की माली हालत ठीक न होने के चलते वो स्कूल नहीं जा पाईं. हालांकि उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझा और मदरसे में ही उर्दू और अरबी का अध्ययन किया. अब उन्होंने दसवीं पास कर ली है. शुरुआती दिनों में उन्हें कई तरह की कठिनीईयों का सामना करना पड़ा क्योंकि उन्हें अंग्रेजी या मराठी नहीं आती थी जो हर फॉर्म भरने के लिए जरूरी हुआ करता था. इसके बाद उन्होंने मदरसे में आए शिक्षकों की मदद से अंग्रेजी की मूल बातें सीखीं और बाद में घर पर ही सेल्फ स्टडी करने लगीं.

uneducated Muslim girl becomes a teacher in pune
पुणे की शिक्षिका गुलनार

इसी क्रम में कुछ समय पूर्व वह पुणे में पन्हा समुदाय से मिलीं और इस संस्था की मदद से उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा शुरू की और इस साल जनवरी में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) से मैट्रिक की परीक्षा पास की. लेकिन गुलनार अभी हार नहीं मानना ​​चाहती. वह आगे बढ़कर 12वीं की परीक्षा देना चाहती है और अच्छे स्कूल में शिक्षिका के रूप में काम करना चाहती है. उन्होंने कहा कि, मैं इन बच्चों को शिक्षा के लिए झेली गई कठिनाइयों से सीखना और ईरानी समाज के लिए एक उदाहरण स्थापित करना चाहती हूं जिससे उनमें भी सीखने की वही लगन आए जो मुझमें है.

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Last Updated : Feb 11, 2022, 2:42 PM IST
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