ETV Bharat / bharat

देश में अघोषित आपातकाल है, नाममात्र का राष्ट्रपति संविधान नहीं बचाएगा : सिन्हा

राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने गुजरात में कांग्रेस विधायकों के साथ बैठक की. बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए सिन्हा ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि देश में अघोषित आपातकाल घोषित कर दिया गया है.

Yashwant Sinha
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा
author img

By

Published : Jul 8, 2022, 6:26 PM IST

गांधीनगर : राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने शुक्रवार को कहा कि संवैधानिक मूल्य (वैल्यू) और लोकतांत्रिक संस्थाएं देश में खतरे का सामना कर रही हैं तथा नाममात्र का (रबर स्टैम्प) राष्ट्रपति संविधान को बचाने की कभी कोशिश नहीं करेगा. सिन्हा, 18 जुलाई को होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव से पहले गुजरात में कांग्रेस विधायकों का समर्थन मांगने के लिए यहां आए थे.

सुनिए यशवंत सिन्हा ने क्या कहा

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस चुनाव में उनके और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के बीच मुकाबला सिर्फ इस बारे में नहीं है कि अगला राष्ट्रपति कौन बनेगा. सिन्हा ने कहा, 'यह लड़ाई अब कहीं अधिक बड़ी लड़ाई में तब्दील हो गई है. यह इस बारे में है कि क्या वह व्यक्ति राष्ट्रपति बनने के बाद संविधान बचाने के लिए अपने अधिकारों का उपयोग करेगा/करेगी. और यह स्पष्ट है कि नाममात्र का राष्ट्रपति ऐसा करने की कभी कोशिश नहीं करेगा.'

उन्होंने कहा, 'आज, संवैधानिक मूल्य और प्रेस सहित लोकतांत्रिक संस्थाएं खतरे में हैं. देश में वर्तमान में अघोषित आपातकाल है. लाल कृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी ने (1975 से 1977 के बीच) आपातकाल के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी तथा इसके लिए वे जेल भी गए थे. आज उनकी ही पार्टी (भाजपा) ने देश में आपातकाल थोप दिया है. यह विडंबना ही है.'

उन्होंने भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा का समर्थन करने को लेकर हाल में दो लोगों की हत्या किए जाने की घटनाओं पर नहीं बोलने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी आलोचना की. सिन्हा ने आरोप लगाया, 'दो हत्याएं हुईं. मेरे सहित हर किसी ने इसकी निंदा की. लेकिन ना तो प्रधानमंत्री और ना ही गृह मंत्री (अमित शाह) ने एक शब्द बोला. वे चुप हैं क्योंकि वे वोट पाने के लिए इस तरह के मुद्दों को ज्वलंत बनाए रखना चाहते हैं.'

उन्होंने दावा किया कि एक आदिवासी (मुर्मू) के देश के शीर्ष संवैधानिक पद हासिल करने से भारत में जनजातीय समुदायों के जीवन में बदलाव नहीं आएगा. उन्होंने कहा, 'यह मायने नहीं रखता है कि कौन किस जाति या धर्म से आता है. सिर्फ यह बात मायने रखती है कि कौन व्यक्ति किस विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता है और यह लड़ाई विभिन्न विचारधाराओं के बीच है. हालांकि, वह छह साल झारखंड की राज्यपाल रही थीं लेकिन इससे वहां आदिवासियों के जीवन में बदलाव नहीं आया.' यशवंत सिन्हा ने जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे पर हमले की निंदा की है.

पढ़ें- राष्ट्रपति चुनाव के लिए समर्थन मांगने ओडिशा पहुंचीं मुर्मू का जोरदार स्वागत

गांधीनगर : राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने शुक्रवार को कहा कि संवैधानिक मूल्य (वैल्यू) और लोकतांत्रिक संस्थाएं देश में खतरे का सामना कर रही हैं तथा नाममात्र का (रबर स्टैम्प) राष्ट्रपति संविधान को बचाने की कभी कोशिश नहीं करेगा. सिन्हा, 18 जुलाई को होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव से पहले गुजरात में कांग्रेस विधायकों का समर्थन मांगने के लिए यहां आए थे.

सुनिए यशवंत सिन्हा ने क्या कहा

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस चुनाव में उनके और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के बीच मुकाबला सिर्फ इस बारे में नहीं है कि अगला राष्ट्रपति कौन बनेगा. सिन्हा ने कहा, 'यह लड़ाई अब कहीं अधिक बड़ी लड़ाई में तब्दील हो गई है. यह इस बारे में है कि क्या वह व्यक्ति राष्ट्रपति बनने के बाद संविधान बचाने के लिए अपने अधिकारों का उपयोग करेगा/करेगी. और यह स्पष्ट है कि नाममात्र का राष्ट्रपति ऐसा करने की कभी कोशिश नहीं करेगा.'

उन्होंने कहा, 'आज, संवैधानिक मूल्य और प्रेस सहित लोकतांत्रिक संस्थाएं खतरे में हैं. देश में वर्तमान में अघोषित आपातकाल है. लाल कृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी ने (1975 से 1977 के बीच) आपातकाल के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी तथा इसके लिए वे जेल भी गए थे. आज उनकी ही पार्टी (भाजपा) ने देश में आपातकाल थोप दिया है. यह विडंबना ही है.'

उन्होंने भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा का समर्थन करने को लेकर हाल में दो लोगों की हत्या किए जाने की घटनाओं पर नहीं बोलने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी आलोचना की. सिन्हा ने आरोप लगाया, 'दो हत्याएं हुईं. मेरे सहित हर किसी ने इसकी निंदा की. लेकिन ना तो प्रधानमंत्री और ना ही गृह मंत्री (अमित शाह) ने एक शब्द बोला. वे चुप हैं क्योंकि वे वोट पाने के लिए इस तरह के मुद्दों को ज्वलंत बनाए रखना चाहते हैं.'

उन्होंने दावा किया कि एक आदिवासी (मुर्मू) के देश के शीर्ष संवैधानिक पद हासिल करने से भारत में जनजातीय समुदायों के जीवन में बदलाव नहीं आएगा. उन्होंने कहा, 'यह मायने नहीं रखता है कि कौन किस जाति या धर्म से आता है. सिर्फ यह बात मायने रखती है कि कौन व्यक्ति किस विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता है और यह लड़ाई विभिन्न विचारधाराओं के बीच है. हालांकि, वह छह साल झारखंड की राज्यपाल रही थीं लेकिन इससे वहां आदिवासियों के जीवन में बदलाव नहीं आया.' यशवंत सिन्हा ने जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे पर हमले की निंदा की है.

पढ़ें- राष्ट्रपति चुनाव के लिए समर्थन मांगने ओडिशा पहुंचीं मुर्मू का जोरदार स्वागत

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.