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Umar Khalid के वकील ने कोर्ट में कहा, मुस्लिम छात्रों का Whatsapp Group बनाना आतंक फैलाना नहीं है - Umar Khalid Delhi Violence

दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद ने अपनी नयी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि मुस्लिम छात्रों का Whatsapp Group बनाना आतंक फैलाना नहीं है. जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी.

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Published : Oct 12, 2021, 8:02 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हिंसा मामले में उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान वकील त्रिदिब पेस ने कहा कि उमर खालिद ने व्हाट्स एप ग्रुप में कभी भी मैसेज नहीं भेजा. उमर खालिद और शरजील इमाम के बीच कभी बात नहीं हुई. उन्होंने कहा कि महज व्हाट्स एप ग्रुप में रहना अपराध नहीं है.

पेस ने कहा कि पुलिस की चार्जशीट एक फिल्म की स्क्रिप्ट की तरह है. उन्होंने कहा कि चार्जशीट में कहा गया है कि शरजील इमाम उमर खालिद से निर्देश ले रहा था, जबकि शरजील इमाम ने अपने भाषणों में योगेन्द्र यादव और उमर खालिद के राजनीतिक विचारों से अपने को अलग बताया था.

पेस ने कहा कि किसी भी गवाह ने ये नहीं कहा है कि शरजील और खालिद को एक-दूसरे से मिलवाया गया. जिस अधिकारी ने ये चार्जशीट लिखा वो कहानी तो गढ़ रहा है लेकिन वो ये भूल जाता है कि वो एक कहानीकार नहीं है, वो कानून से बंधा हुआ है. इसी तरीके से आप लोगों को फंसाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है, जो उमर खालिद को शरजील इमाम से जोड़ सके.

उन्होंने कहा कि चार्जशीट झूठ का पुलिंदा है. शरजील इमाम ऐसा व्यक्ति नहीं है जो किसी के कहने पर काम करे, वह वैचारिक रूप से भी उमर खालिद से प्रभावित नहीं था. पेस ने कहा कि अभियोजन पक्ष एक ही ब्रश से सभी आरोपियों को पेंट करना चाहते हैं, लेकिन ऐसा करने के लिए उनके पास तथ्य नहीं हैं.

पेस ने कहा कि क्या चक्का जाम करना अपराध है. क्या किसी मीटिंग में ये कहना कि हमारे विरोध प्रदर्शन में चक्का जाम होगा, एक आपराधिक साजिश हो सकता है, ये कहां कहा गया है कि ये एक अपराध है. उन्होंने कहा कि इस मीटिंग ने हर न्यूज में जगह बनाई थी. न्यूज में ऐसे कहा गया जैसे बड़ी साजिश रची गई. पेस ने चार्जशीट के उस हिस्से का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि जंगपुरा में एक गुप्त बैठक हुई. उन्होंने कहा कि क्या गवाहों ने ऐसा बयान दिया कि बैठक में साजिश रची गई. किसी भी गवाह ने ऐसा नहीं कहा कि बैठक गुप्त थी.


6 सितंबर को उमर खालिद ने पहले से दायर अपनी जमानत याचिका को वापस लेते हुए नई जमानत याचिका दायर किया था. उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पायस ने कहा था कि उन्होंने पहले जो जमानत याचिका दायर किया था वो अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 439 के तहत दायर की गई थी. दिल्ली पुलिस की ओर से इस याचिका को सुनवाई योग्य नहीं मानने पर पायस ने धारा 439 के तहत दायर जमानत याचिका वापस ले लिया और अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 437 के तहत नई याचिका दायर किया. कोर्ट ने धारा 437 के तहत दायर नई याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया.

बता दें कि क्राइम ब्रांच ने दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में उमर खालिद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था. क्राइम ब्रांच ने उमर खालिद पर दंगे भड़काने, दंगों की साजिश रचने और देशविरोधी भाषण देने के अलावा दूसरी धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल किया था. करीब 100 पेजों की चार्जशीट में कहा गया है कि 8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग में उमर खालिद, खालिद सैफी औऱ ताहिर हुसैन ने मिलकर दिल्ली दंगो की योजना बनाने के लिए मीटिंग की.

इस दौरान ही उमर खालिद ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शनों में मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र में हिस्सा लिया और भड़काऊ भाषण दिए. इन भाषणों में उमर खालिद ने दंगों के लिए लोगों को भड़काया है. चार्जशीट में कहा गया है कि जिन-जिन राज्यों में उमर खालिद गया, उसके लिए उसे आने-जाने और रुकने का पैसा प्रदर्शनकारियों के कर्ता-धर्ता इंतजाम करते थे.

पढ़ेंः जानिए क्यों दिल्ली दंगों में UAPA के आरोपियों की डगर नहीं आसान

नई दिल्ली : दिल्ली हिंसा मामले में उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान वकील त्रिदिब पेस ने कहा कि उमर खालिद ने व्हाट्स एप ग्रुप में कभी भी मैसेज नहीं भेजा. उमर खालिद और शरजील इमाम के बीच कभी बात नहीं हुई. उन्होंने कहा कि महज व्हाट्स एप ग्रुप में रहना अपराध नहीं है.

पेस ने कहा कि पुलिस की चार्जशीट एक फिल्म की स्क्रिप्ट की तरह है. उन्होंने कहा कि चार्जशीट में कहा गया है कि शरजील इमाम उमर खालिद से निर्देश ले रहा था, जबकि शरजील इमाम ने अपने भाषणों में योगेन्द्र यादव और उमर खालिद के राजनीतिक विचारों से अपने को अलग बताया था.

पेस ने कहा कि किसी भी गवाह ने ये नहीं कहा है कि शरजील और खालिद को एक-दूसरे से मिलवाया गया. जिस अधिकारी ने ये चार्जशीट लिखा वो कहानी तो गढ़ रहा है लेकिन वो ये भूल जाता है कि वो एक कहानीकार नहीं है, वो कानून से बंधा हुआ है. इसी तरीके से आप लोगों को फंसाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है, जो उमर खालिद को शरजील इमाम से जोड़ सके.

उन्होंने कहा कि चार्जशीट झूठ का पुलिंदा है. शरजील इमाम ऐसा व्यक्ति नहीं है जो किसी के कहने पर काम करे, वह वैचारिक रूप से भी उमर खालिद से प्रभावित नहीं था. पेस ने कहा कि अभियोजन पक्ष एक ही ब्रश से सभी आरोपियों को पेंट करना चाहते हैं, लेकिन ऐसा करने के लिए उनके पास तथ्य नहीं हैं.

पेस ने कहा कि क्या चक्का जाम करना अपराध है. क्या किसी मीटिंग में ये कहना कि हमारे विरोध प्रदर्शन में चक्का जाम होगा, एक आपराधिक साजिश हो सकता है, ये कहां कहा गया है कि ये एक अपराध है. उन्होंने कहा कि इस मीटिंग ने हर न्यूज में जगह बनाई थी. न्यूज में ऐसे कहा गया जैसे बड़ी साजिश रची गई. पेस ने चार्जशीट के उस हिस्से का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि जंगपुरा में एक गुप्त बैठक हुई. उन्होंने कहा कि क्या गवाहों ने ऐसा बयान दिया कि बैठक में साजिश रची गई. किसी भी गवाह ने ऐसा नहीं कहा कि बैठक गुप्त थी.


6 सितंबर को उमर खालिद ने पहले से दायर अपनी जमानत याचिका को वापस लेते हुए नई जमानत याचिका दायर किया था. उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पायस ने कहा था कि उन्होंने पहले जो जमानत याचिका दायर किया था वो अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 439 के तहत दायर की गई थी. दिल्ली पुलिस की ओर से इस याचिका को सुनवाई योग्य नहीं मानने पर पायस ने धारा 439 के तहत दायर जमानत याचिका वापस ले लिया और अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 437 के तहत नई याचिका दायर किया. कोर्ट ने धारा 437 के तहत दायर नई याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया.

बता दें कि क्राइम ब्रांच ने दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में उमर खालिद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था. क्राइम ब्रांच ने उमर खालिद पर दंगे भड़काने, दंगों की साजिश रचने और देशविरोधी भाषण देने के अलावा दूसरी धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल किया था. करीब 100 पेजों की चार्जशीट में कहा गया है कि 8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग में उमर खालिद, खालिद सैफी औऱ ताहिर हुसैन ने मिलकर दिल्ली दंगो की योजना बनाने के लिए मीटिंग की.

इस दौरान ही उमर खालिद ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शनों में मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र में हिस्सा लिया और भड़काऊ भाषण दिए. इन भाषणों में उमर खालिद ने दंगों के लिए लोगों को भड़काया है. चार्जशीट में कहा गया है कि जिन-जिन राज्यों में उमर खालिद गया, उसके लिए उसे आने-जाने और रुकने का पैसा प्रदर्शनकारियों के कर्ता-धर्ता इंतजाम करते थे.

पढ़ेंः जानिए क्यों दिल्ली दंगों में UAPA के आरोपियों की डगर नहीं आसान

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