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रूस-यूक्रेन युद्ध, रूसी वेबसाइटों को हैक करने के लिए यूक्रेन बना रहा IT आर्मी

यूक्रेन के सरकारी अधिकारी भी 'आईटी आर्मी' का समर्थन कर रहे हैं. यूक्रेन के उप प्रधानमंत्री और डिजिटल परिवर्तन मंत्री मायखाइलो फेडोरोव ने ट्वीट किया कि हम एक आईटी सेना बना रहे हैं. हमें डिजिटल प्रतिभाओं की आवश्यकता है.

रूस-यूक्रेन के बीच साइबर युद्ध
रूस-यूक्रेन के बीच साइबर युद्ध
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Published : Mar 7, 2022, 2:06 PM IST

हैदराबाद: रूस और यूक्रेन के बीच 12 दिनों से युद्ध जारी है. आज 12वें दिन रूस ने यूक्रेन के मध्य, उत्तरी और दक्षिण हिस्से में स्थित शहरों में गोलाबारी तेज कर दी है. यूक्रेन के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. इस गोलाबारी से वहां फंसे नागरिकों को निकालने का दूसरा प्रयास भी विफल हो गया है. वहीं, यूक्रेन ने रूसी साइबर हमलों से निपटने के लिए एक खास प्लान बनाया है. जानकारी के मुताबिक रूसी साइबर हमलों का जवाब देने के लिए यूक्रेनी सरकार ने नई भर्तियां भी करना शुरू कर दिया है जिसे उसने आईटी सेना का नाम दिया है.

वैसे सही मायनों में इसका सटीक शब्द साइबर मिलिशिया होना चाहिए क्योंकि इसमें नागरिक अपनी मर्जी से शामिल हो रहे हैं. बता दें, यूक्रेन की आईटी सेना' देश को रूसी साइबर हमलों से बचाने और रूसी साइटों को बंद करने का प्रयास कर रही है. इसके लिए यूक्रेन की आईटी सेना रूस के एजेंटों और प्रौद्योगिकी नेताओं तक पहुंचने के लिए टेलीग्राम खाते का भी उपयोग कर रही है.

आईटी आर्मी का समर्थन
यूक्रेन के सरकारी अधिकारी भी 'आईटी आर्मी' का समर्थन कर रहे हैं. यूक्रेन के उप प्रधानमंत्री और डिजिटल परिवर्तन मंत्री मायखाइलो फेडोरोव ने ट्वीट किया कि हम एक आईटी सेना बना रहे हैं. हमें डिजिटल प्रतिभाओं की आवश्यकता है. सभी के लिए कार्य होंगे. हम साइबर मोर्चे पर लड़ना जारी रखते हैं. पहला काम साइबर विशेषज्ञों के लिए चैनल पर है. रिपोर्टों से पता चलता है कि दुनियाभर के 275, 000 से अधिक लोगों ने इसके लिए अप्लाई किया है, हालांकि अभी एक सटीक आंकड़े की पुष्टि करना शायद जल्दबाजी होगी.

मदद करने की इच्छा लेकिन क्या हमें अनुमति है?
ऑस्ट्रेलिया से यूक्रेन की दूरी काफी ज्यादा है, लेकिन मानवता के आधार पर आस्ट्रेलिया के कई लोग मदद के लिए तैयार हैं. वहीं, कैनबरा सरकार ने अब तक ऑस्ट्रेलियाई लोगों को ऐसा करने के लिए कोई सलाह नहीं दी है. वहीं, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और डेनमार्क जैसे देशों ने अपने नागरिकों के लिए यूक्रेन की अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय रक्षा सेना में भर्ती होने के लिए दरवाजे खोल दिए हैं. जहां तक आस्ट्रेलियाई लोगों का संबंध है, वहां का कानून इसमें अड़ंगा लगा रहा है, बता दें, ऑस्ट्रेलिया का आपराधिक कानून कई गतिविधियों में शामिल होने को अवैध मानता है. सीधे शब्दों में कहें, यहां हैकिंग को एक अपराध माना जाता है.

प्रस्तावित साइबर मिलिशिया बिल
ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने सार्वजनिक रूप से इस पर कोई विचार नहीं किया है कि क्या आस्ट्रेलियाई लोगों को यूक्रेन की साइबर लड़ाई में शामिल होने से रोकना चाहिए. ऐसे लोग, जो यूक्रेन की साइबर आर्मी में शामिल होना चाहते हैं, उनको ऑस्ट्रेलिया के आपराधिक कानून के हैकिंग-संबंधित प्रावधानों का उल्लंघन से बचने के लिए सुरक्षा की जरूरत होगी. इसके साथ-साथ उन्हें नागरिक दायित्व और प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ कानूनी सुरक्षा उपायों की भी जरूरत होगी. बता दें, यह सुरक्षा तब तक लागू होनी चाहिए जब तक कि व्यक्ति ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं किया हो. बेशक, इस तरह के कानून को सावधानीपूर्वक लागू करने की आवश्यकता होगी और इसके निहितार्थों पर सख्ती से विचार किया जाना चाहिए.

साइबर आर्मी की पुलिसिंग
साइबर हमलों के साथ एक समस्या आरोपण का मुद्दा भी है. अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत यह पहचानना मुश्किल हो सकता है कि हमले के लिए कौन जिम्मेदार है. इसका मतलब यह है कि साइबर हमलावरों को अक्सर उनके खिलाफ बचाव की मांग करने वालों के बदले एक महत्वपूर्ण लाभ मिलता है. नतीजतन, यह महत्वपूर्ण है कि साइबर लड़ाकों के लिए कोई भी प्रस्तावित कानूनी सुरक्षा सरकारी निरीक्षण पर सशर्त होगी. इसका मतलब यह है कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार के पास यह निर्दिष्ट करने का विवेक होना चाहिए कि एक विशिष्ट देश के साइबर मिलिशिया (और अन्य देशों के नहीं) को नए नियमों द्वारा शासित किया जा रहा है.

पढ़ें: रूस और यूक्रेन के बीच महायुद्ध : सीजफायर का ऐलान- पीएम मोदी की पुतिन, जेलेंस्की से वार्ता

एक आवश्यक कदम, लेकिन केवल एक ही नहीं उपाय
स्पष्ट रूप से यह प्रस्ताव यूक्रेन के वर्तमान आक्रमण और इसके साथ हुए रूसी साइबर हमले का जवाब है, लेकिन यह देखते हुए कि भविष्य में साइबर स्पेस में भी युद्ध होने की संभावना है, यह प्रस्ताव अधिक व्यापक रूप से प्रासंगिक भी होगा. अभी या बाद में ऑस्ट्रेलिया को विदेशी साइबर युद्ध में बड़ी संख्या में नागरिकों के शामिल होने की संभावना पर विचार करना होगा और वास्तव में वर्तमान जैसा कोई समय फिर नहीं मिलेगा. किसी भी राष्ट्र द्वारा साइबर सेना में शामिल होने का फैसला अपनाया जा सकता है जो यूक्रेन की रक्षा का समर्थन करना चाहता है.

पीटीआई

हैदराबाद: रूस और यूक्रेन के बीच 12 दिनों से युद्ध जारी है. आज 12वें दिन रूस ने यूक्रेन के मध्य, उत्तरी और दक्षिण हिस्से में स्थित शहरों में गोलाबारी तेज कर दी है. यूक्रेन के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. इस गोलाबारी से वहां फंसे नागरिकों को निकालने का दूसरा प्रयास भी विफल हो गया है. वहीं, यूक्रेन ने रूसी साइबर हमलों से निपटने के लिए एक खास प्लान बनाया है. जानकारी के मुताबिक रूसी साइबर हमलों का जवाब देने के लिए यूक्रेनी सरकार ने नई भर्तियां भी करना शुरू कर दिया है जिसे उसने आईटी सेना का नाम दिया है.

वैसे सही मायनों में इसका सटीक शब्द साइबर मिलिशिया होना चाहिए क्योंकि इसमें नागरिक अपनी मर्जी से शामिल हो रहे हैं. बता दें, यूक्रेन की आईटी सेना' देश को रूसी साइबर हमलों से बचाने और रूसी साइटों को बंद करने का प्रयास कर रही है. इसके लिए यूक्रेन की आईटी सेना रूस के एजेंटों और प्रौद्योगिकी नेताओं तक पहुंचने के लिए टेलीग्राम खाते का भी उपयोग कर रही है.

आईटी आर्मी का समर्थन
यूक्रेन के सरकारी अधिकारी भी 'आईटी आर्मी' का समर्थन कर रहे हैं. यूक्रेन के उप प्रधानमंत्री और डिजिटल परिवर्तन मंत्री मायखाइलो फेडोरोव ने ट्वीट किया कि हम एक आईटी सेना बना रहे हैं. हमें डिजिटल प्रतिभाओं की आवश्यकता है. सभी के लिए कार्य होंगे. हम साइबर मोर्चे पर लड़ना जारी रखते हैं. पहला काम साइबर विशेषज्ञों के लिए चैनल पर है. रिपोर्टों से पता चलता है कि दुनियाभर के 275, 000 से अधिक लोगों ने इसके लिए अप्लाई किया है, हालांकि अभी एक सटीक आंकड़े की पुष्टि करना शायद जल्दबाजी होगी.

मदद करने की इच्छा लेकिन क्या हमें अनुमति है?
ऑस्ट्रेलिया से यूक्रेन की दूरी काफी ज्यादा है, लेकिन मानवता के आधार पर आस्ट्रेलिया के कई लोग मदद के लिए तैयार हैं. वहीं, कैनबरा सरकार ने अब तक ऑस्ट्रेलियाई लोगों को ऐसा करने के लिए कोई सलाह नहीं दी है. वहीं, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और डेनमार्क जैसे देशों ने अपने नागरिकों के लिए यूक्रेन की अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय रक्षा सेना में भर्ती होने के लिए दरवाजे खोल दिए हैं. जहां तक आस्ट्रेलियाई लोगों का संबंध है, वहां का कानून इसमें अड़ंगा लगा रहा है, बता दें, ऑस्ट्रेलिया का आपराधिक कानून कई गतिविधियों में शामिल होने को अवैध मानता है. सीधे शब्दों में कहें, यहां हैकिंग को एक अपराध माना जाता है.

प्रस्तावित साइबर मिलिशिया बिल
ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने सार्वजनिक रूप से इस पर कोई विचार नहीं किया है कि क्या आस्ट्रेलियाई लोगों को यूक्रेन की साइबर लड़ाई में शामिल होने से रोकना चाहिए. ऐसे लोग, जो यूक्रेन की साइबर आर्मी में शामिल होना चाहते हैं, उनको ऑस्ट्रेलिया के आपराधिक कानून के हैकिंग-संबंधित प्रावधानों का उल्लंघन से बचने के लिए सुरक्षा की जरूरत होगी. इसके साथ-साथ उन्हें नागरिक दायित्व और प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ कानूनी सुरक्षा उपायों की भी जरूरत होगी. बता दें, यह सुरक्षा तब तक लागू होनी चाहिए जब तक कि व्यक्ति ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं किया हो. बेशक, इस तरह के कानून को सावधानीपूर्वक लागू करने की आवश्यकता होगी और इसके निहितार्थों पर सख्ती से विचार किया जाना चाहिए.

साइबर आर्मी की पुलिसिंग
साइबर हमलों के साथ एक समस्या आरोपण का मुद्दा भी है. अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत यह पहचानना मुश्किल हो सकता है कि हमले के लिए कौन जिम्मेदार है. इसका मतलब यह है कि साइबर हमलावरों को अक्सर उनके खिलाफ बचाव की मांग करने वालों के बदले एक महत्वपूर्ण लाभ मिलता है. नतीजतन, यह महत्वपूर्ण है कि साइबर लड़ाकों के लिए कोई भी प्रस्तावित कानूनी सुरक्षा सरकारी निरीक्षण पर सशर्त होगी. इसका मतलब यह है कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार के पास यह निर्दिष्ट करने का विवेक होना चाहिए कि एक विशिष्ट देश के साइबर मिलिशिया (और अन्य देशों के नहीं) को नए नियमों द्वारा शासित किया जा रहा है.

पढ़ें: रूस और यूक्रेन के बीच महायुद्ध : सीजफायर का ऐलान- पीएम मोदी की पुतिन, जेलेंस्की से वार्ता

एक आवश्यक कदम, लेकिन केवल एक ही नहीं उपाय
स्पष्ट रूप से यह प्रस्ताव यूक्रेन के वर्तमान आक्रमण और इसके साथ हुए रूसी साइबर हमले का जवाब है, लेकिन यह देखते हुए कि भविष्य में साइबर स्पेस में भी युद्ध होने की संभावना है, यह प्रस्ताव अधिक व्यापक रूप से प्रासंगिक भी होगा. अभी या बाद में ऑस्ट्रेलिया को विदेशी साइबर युद्ध में बड़ी संख्या में नागरिकों के शामिल होने की संभावना पर विचार करना होगा और वास्तव में वर्तमान जैसा कोई समय फिर नहीं मिलेगा. किसी भी राष्ट्र द्वारा साइबर सेना में शामिल होने का फैसला अपनाया जा सकता है जो यूक्रेन की रक्षा का समर्थन करना चाहता है.

पीटीआई

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