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Martyr Major Mustafa : शहीद मेजर मुस्तफा को मिलेगा शौर्यचक्र, मां और बहन बोली फक्र है उन्हें - शहीद मेजर मुस्तफा के मां व बहन की प्रतिक्रियाएं

राजस्थान के वीर सपुत मेजर मुस्तफा को मरणोपरांत शौर्य चक्र से नवाजा जाएगा. उदयपुर के एक छोटे से गांव रहने वाले मेजर मुस्तफा 22 अक्टूबर 2022 को अरुणाचल प्रदेश में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में शहीद हो गए थे. जानिए ईटीवी भारत से बातचीत में उनकी मां और बहन ने क्या कुछ कहा.....

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Published : Aug 15, 2023, 2:47 PM IST

Updated : Aug 15, 2023, 2:54 PM IST

शहीद मेजर मुस्तफा के मां व बहन की प्रतिक्रियाएं

उदयपुर. देश में आज स्वतंत्रता दिवस बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. स्वतंत्रता दिवस पर मां भारती के उन वीर सपूतों को भी याद किया जा रहा है. जिन्होंने सरहद पर भारत माता की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे. ऐसे ही एक वीर सपूत राजस्थान के रहने वाले मेजर मुस्तफा को मरणोपरांत शौर्य चक्र से नवाजा जाएगा. उदयपुर के एक छोटे से गांव खेरोदा के रहने वाले मेजर मुस्तफा जिनके अदम शौर्य और पराक्रम के कारण उन्हें शौर्य चक्र दिया जाएगा. इस अवसर पर ईटीवी भारत भी मेजर मुस्तफा के घर पहुंचा. जहां उनकी मां फातिमा बोहरा और उनकी बहन डॉ अलिफिया से बातचीत की. इस दौरान दोनों ने अपने भाइ और बेटे पर फक्र जताया है.

मां ने कहा मेरे बेटे पर मुझे फक्र है: मेजर मुस्तफा की मां ने कहा कि हमारे बेटे ने न सिर्फ हमारे परिवार की बल्कि देश का नाम भी गौरवान्वित करने का काम किया है. आज हमें राष्ट्रपति भवन से उनके मरणोपरांत शौर्य चक्र दिए जाने का सूचना मिली है. यह हमारे लिए गर्व की बात है. हमारे बेटे ने अपने आप को साबित करके दिखाया है कि वह बचपन से ही मां भारती की रक्षा और देश के लिए कुछ करना चाहता था. इस दौरान मेजर मुस्तफा की मां ने अपने दिल के टुकड़े को याद करते हुए कहा कि जिस दिन यह घटना घटित हुई. उस दिन हम उसकी (मुस्तफा) शादी की तैयारी में जुटे हुए थे. अंतिम बार मेरे बेटे से शादी के मुद्दे को लेकर ही बातचीत हुई थी. उसकी तैयारी को लेकर दो दिन पहले ही मैंने छुट्टी लेने को कहा था. लेकिन दो दिन बाद ही एक ऐसी खबर आई जिसने हमारे कलेजे के टुकड़े को हमसे छीन लिया.
मां ने कहा हर लम्हे बेटे की यादों से जीते: मेजर मुस्तफा की मां ने बहुत भारी मन से कहा कि अब हर लम्हा बेटे की यादों में जीते हैं. लेकिन मुझे फक्र है कि मैं मेजर मुस्तफा की मां हूं. मां ने कहा कि हम बोहरा कम्युनिटी से हैं. हमारे समाज के लोग व्यवसाय से जुड़े हुए रहते हैं. लेकिन मेजर मुस्तफा ने मां भारती की रक्षा करने के लिए सरहद को चुना. ऐसे में हमारे समुदाय से एनडीए में जाने वाले मेजर मुस्तफा पहले व्यक्ति थे. इस पर हमें भी गर्व है कि उसने हमारी कम्युनिटी का नाम भी ऊंचा करने का काम किया. इसमें हमारे समाज और धर्म गुरुओं का भी पूरा सहयोग रहा.

पढ़ें ध्वजारोहण के बाद CM गहलोत की PM मोदी से अपील, राइट टू सोशल सिक्योरिटी का कानून बनाएं

एनडीए की ट्रेनिंग के दौरान करता था धर्म की पालना : मेजर मुस्तफा की मां ने कहा कि मुस्तफा जितना देश पर गर्व करता था. उतना ही अपने धर्म को भी मानता था. अपनी ट्रेनिंग के दौरान नमाज पढ़ना और रोजा इफ्तारी के समय वह पानी नहीं पीता था. इस दौरान ट्रेनिंग में 10 से 15 किलोमीटर दौड़ने के बाद जब वह बेहोश भी हो जाता था. तब भी अपने अधिकारियों को बेहोशी के दौरान उसे पानी पिलाने से मना कर देता था, क्योंकि रोजा इफ्तारी के दौरान पानी नहीं पिया जाता है. उन्होंने बताया कि रोजा इफ्तारी के दौरान ही उनकी ट्रेनिंग चलती थी. जो महीने भर के लिए होती थी. जिसमें रोज 15 किलोमीटर दौड़ना होता था. मेजर मुस्तफा की मां ने कहा कि मेरा बेटा बचपन से ही बड़े ही संस्कारों के साथ घर परिवार के आदेशों का पालन करता था.

मेजर मुस्तफा की बहन ने कहा वह मेरा हीरो था : इस दौरान ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए मेजर मुस्तफा की बहन डॉक्टर अलिफिया ने कहा कि वह बचपन से ही मेरा हीरो था. स्कूल में जब मेरा दाखिला हुआ तब वह मेरी क्लास में बैठा करता था. जिससे मुझे अकेलेपन का एहसास न हो. उन्होंने कहा कि वह मेरा भाई नहीं बल्कि मेरे मां-बाप से भी बढ़कर था. जो मेरे हर सुख दुख में मेरे कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहता था. मेजर मुस्तफा की बहन ने बताया कि उसे अवार्ड लेने का बड़ा शौक था. जिसके लिए वह कड़ी मेहनत और परिश्रम भी करता था. उन्होंने कहा कि मुझे फक्र है कि मेरे भाई के शहीद होने के बाद भी उसे शौर्य चक्र से नवाजा जा रहा है. उन्होंने कहा कि वह मेरा पहला गुरु था. जब आज भी कोई दुविधा आती है तो मैं अपने भाई को ही याद करती हूं.

पढ़े SDM Dances on Patriotic Song : स्वतंत्रता दिवस पर देशभक्ति का जज्बा उफान पर, एसडीएम देशभक्ति गीत पर बच्चों संग झुमे

ऐसे हुई थी घटना: मेजर मुस्तफा की मां ने कहा कि 22 अक्टूबर 2022 अरुणाचल प्रदेश में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में शहीद हुए थे. उस दिन मेजर मुस्तफा को एक मिशन पूरा करना था. ऐसे में उन्होंने हेलीकॉप्टर रुद्रा से अपने पांच साथियों के साथ उड़ान भरी थी. वह अपना मिशन कंप्लीट करके वापस लौट रहे थे तभी हेलीकॉप्टर के हेक्टर में आग लग गई थी. जब उन्हें आग लगने की सूचना मिली थी तब हेलीकॉप्टर को नीचे उतारा जा सकते था. तभी पता चला कि जहां उनका हेलीकॉप्टर है वह मेकिंग नाम के कस्बा के ऊपर है. जहां बड़ी संख्या में आबादी के साथ इंडियन आर्मी का एक बड़ा बेस भी था. ऐसे में आग लगी हुई हेलीकॉप्टर को अगर नीचे उतारा जाता तो बड़ी जनहानि हो सकती थी. इसलिए उन्होंने वहां हेलीकॉप्टर नहीं उतरा. शायद उन्हें पता नहीं था कि इसके अलावा हेलीकॉप्टर उतरने की कोई जगह ही नहीं है. आसपास 100 मीटर की जगह पर ही बड़ी संख्या में पेड़ पौधे थे. ऐसे में हेलीकॉप्टर आबादी की तरफ ना ले जाकर जंगल के तरफ मोड़ दिया. जहां उनका हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया.

शहीद मेजर मुस्तफा के मां व बहन की प्रतिक्रियाएं

उदयपुर. देश में आज स्वतंत्रता दिवस बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. स्वतंत्रता दिवस पर मां भारती के उन वीर सपूतों को भी याद किया जा रहा है. जिन्होंने सरहद पर भारत माता की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे. ऐसे ही एक वीर सपूत राजस्थान के रहने वाले मेजर मुस्तफा को मरणोपरांत शौर्य चक्र से नवाजा जाएगा. उदयपुर के एक छोटे से गांव खेरोदा के रहने वाले मेजर मुस्तफा जिनके अदम शौर्य और पराक्रम के कारण उन्हें शौर्य चक्र दिया जाएगा. इस अवसर पर ईटीवी भारत भी मेजर मुस्तफा के घर पहुंचा. जहां उनकी मां फातिमा बोहरा और उनकी बहन डॉ अलिफिया से बातचीत की. इस दौरान दोनों ने अपने भाइ और बेटे पर फक्र जताया है.

मां ने कहा मेरे बेटे पर मुझे फक्र है: मेजर मुस्तफा की मां ने कहा कि हमारे बेटे ने न सिर्फ हमारे परिवार की बल्कि देश का नाम भी गौरवान्वित करने का काम किया है. आज हमें राष्ट्रपति भवन से उनके मरणोपरांत शौर्य चक्र दिए जाने का सूचना मिली है. यह हमारे लिए गर्व की बात है. हमारे बेटे ने अपने आप को साबित करके दिखाया है कि वह बचपन से ही मां भारती की रक्षा और देश के लिए कुछ करना चाहता था. इस दौरान मेजर मुस्तफा की मां ने अपने दिल के टुकड़े को याद करते हुए कहा कि जिस दिन यह घटना घटित हुई. उस दिन हम उसकी (मुस्तफा) शादी की तैयारी में जुटे हुए थे. अंतिम बार मेरे बेटे से शादी के मुद्दे को लेकर ही बातचीत हुई थी. उसकी तैयारी को लेकर दो दिन पहले ही मैंने छुट्टी लेने को कहा था. लेकिन दो दिन बाद ही एक ऐसी खबर आई जिसने हमारे कलेजे के टुकड़े को हमसे छीन लिया.
मां ने कहा हर लम्हे बेटे की यादों से जीते: मेजर मुस्तफा की मां ने बहुत भारी मन से कहा कि अब हर लम्हा बेटे की यादों में जीते हैं. लेकिन मुझे फक्र है कि मैं मेजर मुस्तफा की मां हूं. मां ने कहा कि हम बोहरा कम्युनिटी से हैं. हमारे समाज के लोग व्यवसाय से जुड़े हुए रहते हैं. लेकिन मेजर मुस्तफा ने मां भारती की रक्षा करने के लिए सरहद को चुना. ऐसे में हमारे समुदाय से एनडीए में जाने वाले मेजर मुस्तफा पहले व्यक्ति थे. इस पर हमें भी गर्व है कि उसने हमारी कम्युनिटी का नाम भी ऊंचा करने का काम किया. इसमें हमारे समाज और धर्म गुरुओं का भी पूरा सहयोग रहा.

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एनडीए की ट्रेनिंग के दौरान करता था धर्म की पालना : मेजर मुस्तफा की मां ने कहा कि मुस्तफा जितना देश पर गर्व करता था. उतना ही अपने धर्म को भी मानता था. अपनी ट्रेनिंग के दौरान नमाज पढ़ना और रोजा इफ्तारी के समय वह पानी नहीं पीता था. इस दौरान ट्रेनिंग में 10 से 15 किलोमीटर दौड़ने के बाद जब वह बेहोश भी हो जाता था. तब भी अपने अधिकारियों को बेहोशी के दौरान उसे पानी पिलाने से मना कर देता था, क्योंकि रोजा इफ्तारी के दौरान पानी नहीं पिया जाता है. उन्होंने बताया कि रोजा इफ्तारी के दौरान ही उनकी ट्रेनिंग चलती थी. जो महीने भर के लिए होती थी. जिसमें रोज 15 किलोमीटर दौड़ना होता था. मेजर मुस्तफा की मां ने कहा कि मेरा बेटा बचपन से ही बड़े ही संस्कारों के साथ घर परिवार के आदेशों का पालन करता था.

मेजर मुस्तफा की बहन ने कहा वह मेरा हीरो था : इस दौरान ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए मेजर मुस्तफा की बहन डॉक्टर अलिफिया ने कहा कि वह बचपन से ही मेरा हीरो था. स्कूल में जब मेरा दाखिला हुआ तब वह मेरी क्लास में बैठा करता था. जिससे मुझे अकेलेपन का एहसास न हो. उन्होंने कहा कि वह मेरा भाई नहीं बल्कि मेरे मां-बाप से भी बढ़कर था. जो मेरे हर सुख दुख में मेरे कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहता था. मेजर मुस्तफा की बहन ने बताया कि उसे अवार्ड लेने का बड़ा शौक था. जिसके लिए वह कड़ी मेहनत और परिश्रम भी करता था. उन्होंने कहा कि मुझे फक्र है कि मेरे भाई के शहीद होने के बाद भी उसे शौर्य चक्र से नवाजा जा रहा है. उन्होंने कहा कि वह मेरा पहला गुरु था. जब आज भी कोई दुविधा आती है तो मैं अपने भाई को ही याद करती हूं.

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ऐसे हुई थी घटना: मेजर मुस्तफा की मां ने कहा कि 22 अक्टूबर 2022 अरुणाचल प्रदेश में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में शहीद हुए थे. उस दिन मेजर मुस्तफा को एक मिशन पूरा करना था. ऐसे में उन्होंने हेलीकॉप्टर रुद्रा से अपने पांच साथियों के साथ उड़ान भरी थी. वह अपना मिशन कंप्लीट करके वापस लौट रहे थे तभी हेलीकॉप्टर के हेक्टर में आग लग गई थी. जब उन्हें आग लगने की सूचना मिली थी तब हेलीकॉप्टर को नीचे उतारा जा सकते था. तभी पता चला कि जहां उनका हेलीकॉप्टर है वह मेकिंग नाम के कस्बा के ऊपर है. जहां बड़ी संख्या में आबादी के साथ इंडियन आर्मी का एक बड़ा बेस भी था. ऐसे में आग लगी हुई हेलीकॉप्टर को अगर नीचे उतारा जाता तो बड़ी जनहानि हो सकती थी. इसलिए उन्होंने वहां हेलीकॉप्टर नहीं उतरा. शायद उन्हें पता नहीं था कि इसके अलावा हेलीकॉप्टर उतरने की कोई जगह ही नहीं है. आसपास 100 मीटर की जगह पर ही बड़ी संख्या में पेड़ पौधे थे. ऐसे में हेलीकॉप्टर आबादी की तरफ ना ले जाकर जंगल के तरफ मोड़ दिया. जहां उनका हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया.

Last Updated : Aug 15, 2023, 2:54 PM IST
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