जयपुर. उदयपुर जिले के मावली में आठ साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म, उसकी हत्या और शव के साथ दरिंदगी का मामला सामने आने के बाद हर कोई हतप्रभ है. आरोपी ने अपने पड़ोस में रहने वाली मासूम को पहले अपनी हवस का शिकार बनाया और फिर उसकी हत्या कर दी. हत्या के बाद शव के साथ भी दरिंदगी की. उसके बाद शव के टुकड़े कर खंडहर में फेंक दिया. पुलिस ने अपनी जांच में बताया है कि वह एक तरह की मानसिक बीमारी 'नेक्रोफिलिया' का मरीज है.
'नेक्रोफिलिया' के बारे में जब ईटीवी भारत ने जयपुर की मनोचिकित्सक डॉ. अनीता गौतम से बात की तो उन्होंने बताया कि यह एक तरह से मानसिक बीमारी है. यह मानसिक विकृति है, जिसमें व्यक्ति शव के साथ संबंध बनाता है. इस मानसिक विकृति को 'नेक्रोफीलिया' कहा जाता है. उनका कहना है कि यह एक दुर्लभ मानसिक विकृति है, जिसमें आमतौर पर व्यक्ति सामान्य नजर आता है, लेकिन उसके दिमाग में उथल-पुथल चलती रहती है और मौका पाकर वह वारदात को अंजाम दे देता है.
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बच्चों के साथ संबंध बनाने वाले 'पीडोफिलिया' के मरीज : डॉ. अनीता गौतम का कहना है कि जो लोग बच्चों के साथ संबंध बनाते हैं, वह भी एक तरह की मानसिक बीमारी से पीड़ित होते हैं, जिसे 'पीडोफीलिया' कहते हैं. यह आमतौर पर मानसिक विकृति से ग्रसित लोगों में देखी जाती है, जो बच्चों के साथ अपराध करते हैं. वह आमतौर पर आसपास के लोग ही होते हैं. कहीं ना कहीं ऐसे मामलों में परिवार के लोग या पड़ोसी ही होते हैं, क्योंकि इनके ऊपर बच्चे भरोसे कर लेते हैं.
आसानी से भरोसा कर लेते हैं बच्चे, इसलिए शिकार बनाने में आसानी : ऐसे मानसिक विकृत लोगों को पहचानने के सवाल पर डॉ. अनीता गौतम ने कहा कि आमतौर पर बच्चों के साथ अपराध करने वाले लोग या तो परिवार से जुड़े होते हैं या कहीं ना कहीं उनके जानकार ही होते हैं. ऐसे मामलों में बच्चे उनके साथ अपराध करने वाले लोगों पर आसानी से भरोसा कर लेते हैं. इसलिए उन्हें बच्चों को अपना शिकार बनाने में आसानी होती है. आमतौर पर ऐसी घटनाएं कहीं छोड़ने या टॉफी-चॉकलेट देने के बहाने अंजाम दी जाती हैं. जिस व्यक्ति को बच्चा रोज देखता है, उस पर वह आसानी से भरोसा कर लेता है और अपराध का शिकार हो जाता है. 'पीडोफीलिया' के मामलों में ज्यादातर आसपास के लोग ही बच्चों को अपना निशाना बनाते हैं.
बच्चों के साथ ही आसपास के लोगों पर भी रखनी चाहिए नजर : डॉ. अनिता गौतम ने कहा कि हमें अपने आसपास ऐसे लोगों पर नजर रखनी चाहिए, जो बच्चों के आसपास बार-बार आना चाहता है. उसे छूने की कोशिश करता है या फिर जानबूझकर बच्चे की देखभाल करने की जिम्मेदारी लेने की कोशिश करता है. कई मामलों में बच्चों को अनावश्यक रूप से टॉफी-चॉकलेट देने या किसी अन्य प्रकार का फेवर करने पर भी अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है. ऐसे लोग बच्चों को अपने भरोसे में लेते हैं कि वे उनके साथ गेम खेल रहे हैं और इसके बारे में अपने परिजनों को नहीं बताने की बात भी कहते हैं. इस तरीके से बहला-फुसलाकर बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं और कई दिनों तक बच्चों का शोषण करते हैं. जरूरत इस बात को समझने की है कि बच्चा कहीं इस तरह के झांसे में तो नहीं आ रहा है.
इशारों में संकेत देते हैं बच्चे, अनदेखी पड़ सकती है भारी : उनका कहना है कि हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि हमारे बच्चे को कहीं कोई समस्या तो नहीं है. कई मामलों में बच्चा उस व्यक्ति के पास जाने में डरता है, जो उसके साथ गलत करते हैं. ऐसे मामलों में कई बार परिजन आम बात समझ कर अनदेखा कर देते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए. छोटे बच्चों को नहीं पता होता है कि उनके साथ गलत हो रहा है. लेकिन उन्हें यह पता होता है कि उनके साथ सही नहीं हो रहा है. बच्चा संकेतों में बताता है कि वह कंफर्टेबल नहीं है. सुरक्षित फील नहीं कर रहा है. ऐसे में बच्चों को डांटने के बजाय प्यार से पूछना चाहिए कि क्या समस्या है.
लड़का हो या लड़की, दें गुड टच बैड टच की जानकारी : उनका कहना है कि कई बार बड़े बच्चे अपनों से छोटे बच्चों के साथ भी अलग तरह का व्यवहार करते हैं. तब भी परिजनों को सचेत होना चाहिए कि कहीं कोई उसका शोषण तो नहीं कर रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि आज के दौर में हमें अपने बच्चे को चाहे वह लड़का है या लड़की, गुड और बैड टच के बारे में जानकारी देनी चाहिए.
एडल्ट गेम और पोर्न साइट बढ़ाते हैं विकृति को : डॉ. अनीता गौतम का कहना है कि वीडियो गेम, एडल्ट गेम और पोर्न साइट देखना एक तरह की लत है. एक तो वह पहले से ही विकृत मानसिकता का है और जब वह बार-बार उत्तेजक चीजें देखता है तो उसकी विकृति बढ़ जाती है. अकसर ऐसे मामलों में सामने आता है कि बच्चों के साथ रेप करने के आरोपी अश्लील फिल्म देखते हैं या नशा करते हैं. इससे उनकी सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाती है. इसके बाद जो भी सामने आता है, वह उस पर अटैक करने की सोचता है.