पटना : ब्राह्मण समुदाय के लिए कथित रूप से अपशब्द कहने पर सोमवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के खिलाफ पटना और पूर्णिया में दो प्राथमिकी दर्ज की गईं. पटना में विशाल कुमार सिंह के नेतृत्व में ब्राह्मण समुदाय के लोगों ने राजीव नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई.
उन्होंने आरोप लगाया कि सत्यनारायण पूजा के खिलाफ जीतन राम मांझी के बयान का मकसद हिंदू समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना है. इसके अलावा उन्होंने ब्राह्मण समुदाय के लिए अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया.
सिंह ने कहा, 'मांझी का बयान समाज में मतभेद पैदा करता है. ऐसे बयान से जातिवाद को बढ़ावा मिलता है और समाज में उत्तेजना फैलती है. उनके अपमानजनक बयान में दो जातियों के बीच दंगे पैदा करने की क्षमता है.'
उन्होंने कहा, 'हमने मांझी के अपमानजनक बयान पर संज्ञान लेने और उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, बिहार के मुख्यमंत्री और डीजीपी को भी पत्र लिखा है.' सिंह ने बताया कि सत्यनारायण पूजा (भगवान विष्णु की पूजा) घर में शांति, सद्भाव और समृद्धि लाने के लिए हिंदू समुदाय के बीच एक प्राचीन परंपरा और अनुष्ठान है.
पूर्णिया में मिथिला छात्र संघ के एक समूह ने के हाट थाने में पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की. उन्होंने कहा कि मांझी ने देशभर के ब्राह्मणों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है. सरकार को उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.
जीतन राम मांझी ने 19 दिसंबर को पटना में एक जनसभा के दौरान ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया था. उन्होंने कहा था.'जब मैं छोटा था, सत्यनारायण पूजा का प्रचलन हमारे समुदाय (मुसहर) में ज्यादा लोकप्रिय नहीं था. इन दिनों सत्यनारायण पूजा का प्रचलन लगभग हर घर में हो रहा है. इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि ब्राह्मण (पंडित) हमारे घर आते हैं. पूजा करते हैं, लेकिन वे हमारे घरों में खाना नहीं खाते हैं. वे बेशर्मी से हमारे घरों में खाना खाने के बजाय हमसे पैसे (दक्षिणा) मांगते हैं.'
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आरोप है कि मांझी ने अपने समुदाय के लोगों और ब्राह्मणों दोनों के लिए भी अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया. मांझी ने कहा था, 'बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर हिंदू थे, लेकिन उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले धर्म बौद्ध अपना लिया. उन्होंने कहा कि हिंदू समुदाय सबसे खराब समुदाय है और इसलिए उन्होंने धर्म बदल दिया था. जब उनकी मृत्यु हुई, तो वह बौद्ध थे.'
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20 दिसंबर को मांझी ने अपने बयान पर सफाई दी. उन्होंने कहा कि उन्होंने ब्राह्मणों के खिलाफ नहीं, बल्कि अपने समुदाय के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था. मांझी ने कहा,'फिर भी अगर किसी को मेरे बयान से ठेस पहुंची है तो मैं अपनी बात वापस ले लूंगा.'
(आईएएनएस)