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पंजाब : विशेष सत्र में पहले दिन चर्चा नहीं, राजनीतिक दलों ने साधा निशाना - राजनीतिक दलों ने साधा निशाना

बीएसएफ के विशेषाधिकार के मुद्दे पर बुलाया गया पंजाब विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र पहले दिन श्रद्धांजलि देने के बाद बिना चर्चा के स्थगित कर दिया गया. इस पर विपक्षी पार्टियों समेत कांग्रेस ने भी निशाना साधा है.

पंजाब विधानसभा
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Published : Nov 8, 2021, 4:58 PM IST

चंडीगढ़ : पंजाब विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र पहले दिन पूर्व मंत्री सेवा सिंह सेखवां, पूर्व सीपीएस रविंदर सिंह संधू, शहीद नायब सूबेदार जसविंदर सिंह, शहीद सिपाही मंजीत सिंह, स्वतंत्रता सेनानी निरंजन सिंह, अविनाश चंद्र को श्रद्धांजलि देने के बाद 11 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया. यह सत्र विशेष रूप से बीएसएफ के क्षेत्र में वृद्धि के मुद्दे पर बुलाया गया था. सत्र के दौरान बीएसएफ के मुद्दे के अलावा कृषि कानूनों पर पंजाब का रुख भी स्पष्ट किया जाएगा.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा से बीएसएफ का दायरा 50 किलोमीटर तक बढ़ा दिया है. पहले यह क्षेत्र केवल 15 किलोमीटर था. बीएसएफ स्थानीय पुलिस के परामर्श से कोई भी कार्रवाई कर सकती थी. लेकिन अब बीएसएफ किसी भी जगह की तलाशी ले सकती है, किसी भी व्यक्ति से पूछताछ कर सकती है.

केंद्र सरकार के इस कदम का कई राजनीतिक दलों ने विरोध किया है. इसे संघीय व्यवस्था में हस्तक्षेप करार दिया है. अब पंजाब सरकार ने इस पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है. जहां विपक्षी दल पंजाब सरकार पर केंद्र सरकार से मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं, वहीं कांग्रेसी भी राज्य में अपनी ही सरकार पर सुप्रीम कोर्ट में कानूनी रूप से इस मुद्दे को नहीं उठाने का आरोप लगा रहे हैं.

बिना चर्चा किए स्थगन पर उठाए सवाल

विपक्षी दलों ने बिना चर्चा के पहले दिन के सत्र को स्थगित करने पर सरकार पर निशाना साधा. विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है. उन्होंने कहा कि पहले सत्र में 2 बैठकें होती थीं लेकिन अब एक दिन में एक बैठक हुई है जो गलत है.अगर 2 दिन में ऐसा हुआ तो आम आदमी पर करीब 1.5 करोड़ का बोझ पड़ेगा. हरपाल चीमा ने कहा कि हम चाहते हैं कि सत्र में पंजाब के अधिकार पर चर्चा हो. विधायक अमन अरोड़ा ने भी सरकार पर बड़े सवाल किए और सत्र को आगे बढ़ाने की मांग की.

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी साधा निशाना

वहीं दूसरी आनंदपुर साहिब से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सोमवार को पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर सुप्रीम कोर्ट में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि के मुद्दे को चुनौती नहीं देने के लिए निशाना साधा.

तिवारी ने एक ट्वीट में कहा, 'केंद्र सरकार ने अधिसूचना द्वारा पंजाब में बीएसएफ ऑपरेशनल रेमिट को 50 किलोमीटर तक बढ़ा दिया है. अब तक पंजाब सरकार द्वारा अधिसूचना को अनुच्छेद 131 के तहत भारत के सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती क्यों नहीं दी गई है. क्या इसका विरोध महज सांकेतिकता है?'

चन्नी ने ये दिया था बयान
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने कहा था कि उनकी सरकार बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को सीमा से मौजूदा 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर करने के केंद्र के फैसले को स्वीकार नहीं करेगी, क्योंकि यह 'संघवाद की भावना के खिलाफ' है. उन्होंने कहा था कि चूंकि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है, इसलिए केंद्र पंजाब को विश्वास में लिए बिना अपना फैसला नहीं थोप सकता.' राज्य पुलिस बल कानून और व्यवस्था की स्थिति को संभालने के लिए पूरी तरह से सक्षम है.

पढ़ें- पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र आज से

चंडीगढ़ : पंजाब विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र पहले दिन पूर्व मंत्री सेवा सिंह सेखवां, पूर्व सीपीएस रविंदर सिंह संधू, शहीद नायब सूबेदार जसविंदर सिंह, शहीद सिपाही मंजीत सिंह, स्वतंत्रता सेनानी निरंजन सिंह, अविनाश चंद्र को श्रद्धांजलि देने के बाद 11 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया. यह सत्र विशेष रूप से बीएसएफ के क्षेत्र में वृद्धि के मुद्दे पर बुलाया गया था. सत्र के दौरान बीएसएफ के मुद्दे के अलावा कृषि कानूनों पर पंजाब का रुख भी स्पष्ट किया जाएगा.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा से बीएसएफ का दायरा 50 किलोमीटर तक बढ़ा दिया है. पहले यह क्षेत्र केवल 15 किलोमीटर था. बीएसएफ स्थानीय पुलिस के परामर्श से कोई भी कार्रवाई कर सकती थी. लेकिन अब बीएसएफ किसी भी जगह की तलाशी ले सकती है, किसी भी व्यक्ति से पूछताछ कर सकती है.

केंद्र सरकार के इस कदम का कई राजनीतिक दलों ने विरोध किया है. इसे संघीय व्यवस्था में हस्तक्षेप करार दिया है. अब पंजाब सरकार ने इस पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है. जहां विपक्षी दल पंजाब सरकार पर केंद्र सरकार से मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं, वहीं कांग्रेसी भी राज्य में अपनी ही सरकार पर सुप्रीम कोर्ट में कानूनी रूप से इस मुद्दे को नहीं उठाने का आरोप लगा रहे हैं.

बिना चर्चा किए स्थगन पर उठाए सवाल

विपक्षी दलों ने बिना चर्चा के पहले दिन के सत्र को स्थगित करने पर सरकार पर निशाना साधा. विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है. उन्होंने कहा कि पहले सत्र में 2 बैठकें होती थीं लेकिन अब एक दिन में एक बैठक हुई है जो गलत है.अगर 2 दिन में ऐसा हुआ तो आम आदमी पर करीब 1.5 करोड़ का बोझ पड़ेगा. हरपाल चीमा ने कहा कि हम चाहते हैं कि सत्र में पंजाब के अधिकार पर चर्चा हो. विधायक अमन अरोड़ा ने भी सरकार पर बड़े सवाल किए और सत्र को आगे बढ़ाने की मांग की.

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी साधा निशाना

वहीं दूसरी आनंदपुर साहिब से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सोमवार को पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर सुप्रीम कोर्ट में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि के मुद्दे को चुनौती नहीं देने के लिए निशाना साधा.

तिवारी ने एक ट्वीट में कहा, 'केंद्र सरकार ने अधिसूचना द्वारा पंजाब में बीएसएफ ऑपरेशनल रेमिट को 50 किलोमीटर तक बढ़ा दिया है. अब तक पंजाब सरकार द्वारा अधिसूचना को अनुच्छेद 131 के तहत भारत के सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती क्यों नहीं दी गई है. क्या इसका विरोध महज सांकेतिकता है?'

चन्नी ने ये दिया था बयान
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने कहा था कि उनकी सरकार बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को सीमा से मौजूदा 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर करने के केंद्र के फैसले को स्वीकार नहीं करेगी, क्योंकि यह 'संघवाद की भावना के खिलाफ' है. उन्होंने कहा था कि चूंकि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है, इसलिए केंद्र पंजाब को विश्वास में लिए बिना अपना फैसला नहीं थोप सकता.' राज्य पुलिस बल कानून और व्यवस्था की स्थिति को संभालने के लिए पूरी तरह से सक्षम है.

पढ़ें- पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र आज से

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