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ट्विटर V/S यूपी पुलिस : ट्विटर इंडिया के प्रमुख को हाईकोर्ट से राहत, सुप्रीम कोर्ट पहुंची यूपी पुलिस - र्नाटक हाईकोर्ट ने कार्यवाही स्थगित की

गाजियाबाद में एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति के साथ मारपीट से जुड़े मामले की जांच के सिलसिले में ट्विटर इंडिया के प्रमुख मनीष माहेश्वरी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया है. इससे पहले कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी और गाजियाबाद पुलिस से संबंधित मामले में कार्यवाही पांच जुलाई तक स्थगित कर दी.

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Published : Jun 29, 2021, 7:24 PM IST

Updated : Jun 29, 2021, 8:59 PM IST

नई दिल्ली : ट्विटर इंडिया के प्रमुख मनीष माहेश्वरी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया है. यूपी पुलिस का कदम उस फैसले के बाद आया है जब कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 24 जून को माहेश्वरी को राहत देते हुए गाजियाबाद पुलिस को उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने को कहा था. यह भी कहा था कि उनसे डिजिटल तरीके से पूछताछ की जा सकती है. गाजियाबाद पुलिस ने माहेश्वरी को समन जारी किया था.

सूत्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है और कहा कि जांच के अधिकार को बाधित किया गया है. बेंगलुरू में रहने वाले ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक को गाजियाबाद पुलिस ने 21 जून को नोटिस जारी कर बृहस्पतिवार सुबह 10:30 बजे लोनी बॉर्डर थाने में रिपोर्ट करने तथा मामले में अपना बयान दर्ज कराने को कहा था.

उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से कर्नाटक हाईकोर्ट में पेश हुए वकील प्रसन्न कुमार ने अदालत से मामले में स्थगन का अनुरोध किया था जिसके बाद न्यायमूर्ति जी नरेंद्र की एकल पीठ ने मामले में पांच जुलाई तक सुनवाई स्थगित कर दी. माहेश्वरी कर्नाटक में बेंगलुरु में रहते हैं. मामले में गाजियाबाद पुलिस ने उन्हें नोटिस भेजकर 24 जून को गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर पुलिस थाना में बयान दर्ज कराने को कहा था. इसके बाद माहेश्वरी ने राहत का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया.

अदालत ने इसके बाद गाजियाबाद पुलिस को माहेश्वरी के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक दिया. न्यायमूर्ति नरेंद्र ने यह भी कहा कि पुलिस अगर माहेश्वरी से पूछताछ करना चाहती है तो वह डिजिटल माध्यम से ऐसा कर सकती है. सोशल मीडिया पर 14 जून को सामने आए एक वीडियो में बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति अब्दुल शमद सैफी ने आरोप लगाया था कि उन्हें कुछ लड़कों ने पीटा और जय श्रीराम का नारा लगाने को कहा.

यह भी पढ़ें-प. बंगाल में चुनाव बाद हिंसा पर केंद्र को सौंपी गई रिपोर्ट, कमेटी ने कहा- घटनाएं पूर्व नियोजित

गाजियाबाद पुलिस ने 15 जून को ट्विटर इंक, ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया, समाचार वेबसाइट द वायर, पत्रकार मोहम्मद जुबैर और राणा अय्यूब, कांग्रेस के सलमान निजामी, मस्कूर उस्मानी, डॉ समा मोहम्मद और लेखक सबा नकवी के खिलाफ यह वीडियो क्लिप साझा करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की. पुलिस ने घटना में सांप्रदायिक पहलू से इनकार किया और दावा किया कि यह वीडियो सांप्रदायिक अशांति पैदा करने के इरादे से साझा किया गया.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : ट्विटर इंडिया के प्रमुख मनीष माहेश्वरी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया है. यूपी पुलिस का कदम उस फैसले के बाद आया है जब कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 24 जून को माहेश्वरी को राहत देते हुए गाजियाबाद पुलिस को उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने को कहा था. यह भी कहा था कि उनसे डिजिटल तरीके से पूछताछ की जा सकती है. गाजियाबाद पुलिस ने माहेश्वरी को समन जारी किया था.

सूत्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है और कहा कि जांच के अधिकार को बाधित किया गया है. बेंगलुरू में रहने वाले ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक को गाजियाबाद पुलिस ने 21 जून को नोटिस जारी कर बृहस्पतिवार सुबह 10:30 बजे लोनी बॉर्डर थाने में रिपोर्ट करने तथा मामले में अपना बयान दर्ज कराने को कहा था.

उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से कर्नाटक हाईकोर्ट में पेश हुए वकील प्रसन्न कुमार ने अदालत से मामले में स्थगन का अनुरोध किया था जिसके बाद न्यायमूर्ति जी नरेंद्र की एकल पीठ ने मामले में पांच जुलाई तक सुनवाई स्थगित कर दी. माहेश्वरी कर्नाटक में बेंगलुरु में रहते हैं. मामले में गाजियाबाद पुलिस ने उन्हें नोटिस भेजकर 24 जून को गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर पुलिस थाना में बयान दर्ज कराने को कहा था. इसके बाद माहेश्वरी ने राहत का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया.

अदालत ने इसके बाद गाजियाबाद पुलिस को माहेश्वरी के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक दिया. न्यायमूर्ति नरेंद्र ने यह भी कहा कि पुलिस अगर माहेश्वरी से पूछताछ करना चाहती है तो वह डिजिटल माध्यम से ऐसा कर सकती है. सोशल मीडिया पर 14 जून को सामने आए एक वीडियो में बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति अब्दुल शमद सैफी ने आरोप लगाया था कि उन्हें कुछ लड़कों ने पीटा और जय श्रीराम का नारा लगाने को कहा.

यह भी पढ़ें-प. बंगाल में चुनाव बाद हिंसा पर केंद्र को सौंपी गई रिपोर्ट, कमेटी ने कहा- घटनाएं पूर्व नियोजित

गाजियाबाद पुलिस ने 15 जून को ट्विटर इंक, ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया, समाचार वेबसाइट द वायर, पत्रकार मोहम्मद जुबैर और राणा अय्यूब, कांग्रेस के सलमान निजामी, मस्कूर उस्मानी, डॉ समा मोहम्मद और लेखक सबा नकवी के खिलाफ यह वीडियो क्लिप साझा करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की. पुलिस ने घटना में सांप्रदायिक पहलू से इनकार किया और दावा किया कि यह वीडियो सांप्रदायिक अशांति पैदा करने के इरादे से साझा किया गया.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jun 29, 2021, 8:59 PM IST
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