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पश्चिम बंगाल में गंगा के नीचे बेल्जियम शैली में बनेगी टनल, जानें खासियत

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Published : Mar 18, 2023, 7:50 AM IST

कोलकाता में विद्यासागर सेतु (दूसरा हुगली ब्रिज) पर यातायात दबाव कम करने के लिए गंगा के नीचे एक टनल बनने जा रही है. यह टनल बेल्जियम की शैली में बनेगी. इसके निर्माण में करीब दो हजार करोड़ का खर्चा आएगा.

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार राजधानी कोलकाता में बेहतर कनेक्टिविटी के लिए प्रयासरत है. इसी कड़ी में विद्यासागर सेतु (दूसरा हुगली ब्रिज) पर यातायात दबाव कम करने की विशेष पहल की गई है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नेताजी सुभाष डॉक से शालीमार या बॉटनिकल गार्डन तक गंगा के नीचे एक सुरंग का निर्माण किया जाएगा. इस टनल के निर्माण में करीब दो हजार करोड़ रुपये की लागत आ सकती है.

गंगा के नीचे टनल बनने से मेट्रो की तरह वाहनों की भी आवाजाही हो सकेगी. इसका उद्देश्य ट्रैफिक जाम से बचकर और समय की बचत करके गंतव्य तक जल्दी पहुंचना है. सूत्रों ने दावा किया कि डीपीआर तैयार करने के लिए विशिष्ट एजेंसियों को पहले ही निर्देशित किया जा चुका है. डीपीआर बनने के बाद विजिबिलिटी टेस्ट किया जाएगा. जल्द ही टनल खोदने का काम शुरू होगा.

श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट के अलावा केएमसी, केएमडीए, रेलवे, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण इस पर काम करेंगे. सूत्रों के मुताबिक छह लेन की सुरंग करीब डेढ़ किलोमीटर लंबी होगी. उसमें से डेढ़ किमी का 800 मीटर हिस्सा गंगा के नीचे से गुजरेगा. अधिकारियों ने बताया कि गंगा के नीचे मेट्रो की तरह कारें दौड़ेंगी. श्यामा प्रसाद मुखोपाध्याय पोर्ट पर सुरंग बनाने का काम शुरू होने जा रहा है. डीपीआर-तैयारी का काम शुरू हो गया है. यह सुरंग बेल्जियम की शैली में बनेगी.

ये भी पढ़ें- गैर भाजपा - गैर कांग्रेस दलों पर ममता की नजर, अखिलेश से मुलाकात, नवीन पटनायक से भी करेंगे बात

उन्होंने बताया कि यह सुरंग नेताजी सुभाष डॉक से शालीमार या बॉटनिकल गार्डन तक होगी. भविष्य में यहां ट्रेनें चल सकती हैं. यह पहल शहर को भीड़भाड़ से मुक्त करने और दूसरे हुगली ब्रिज पर दबाव कम करने के लिए है.

कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार राजधानी कोलकाता में बेहतर कनेक्टिविटी के लिए प्रयासरत है. इसी कड़ी में विद्यासागर सेतु (दूसरा हुगली ब्रिज) पर यातायात दबाव कम करने की विशेष पहल की गई है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नेताजी सुभाष डॉक से शालीमार या बॉटनिकल गार्डन तक गंगा के नीचे एक सुरंग का निर्माण किया जाएगा. इस टनल के निर्माण में करीब दो हजार करोड़ रुपये की लागत आ सकती है.

गंगा के नीचे टनल बनने से मेट्रो की तरह वाहनों की भी आवाजाही हो सकेगी. इसका उद्देश्य ट्रैफिक जाम से बचकर और समय की बचत करके गंतव्य तक जल्दी पहुंचना है. सूत्रों ने दावा किया कि डीपीआर तैयार करने के लिए विशिष्ट एजेंसियों को पहले ही निर्देशित किया जा चुका है. डीपीआर बनने के बाद विजिबिलिटी टेस्ट किया जाएगा. जल्द ही टनल खोदने का काम शुरू होगा.

श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट के अलावा केएमसी, केएमडीए, रेलवे, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण इस पर काम करेंगे. सूत्रों के मुताबिक छह लेन की सुरंग करीब डेढ़ किलोमीटर लंबी होगी. उसमें से डेढ़ किमी का 800 मीटर हिस्सा गंगा के नीचे से गुजरेगा. अधिकारियों ने बताया कि गंगा के नीचे मेट्रो की तरह कारें दौड़ेंगी. श्यामा प्रसाद मुखोपाध्याय पोर्ट पर सुरंग बनाने का काम शुरू होने जा रहा है. डीपीआर-तैयारी का काम शुरू हो गया है. यह सुरंग बेल्जियम की शैली में बनेगी.

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उन्होंने बताया कि यह सुरंग नेताजी सुभाष डॉक से शालीमार या बॉटनिकल गार्डन तक होगी. भविष्य में यहां ट्रेनें चल सकती हैं. यह पहल शहर को भीड़भाड़ से मुक्त करने और दूसरे हुगली ब्रिज पर दबाव कम करने के लिए है.

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