रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड) करीब 12,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ का मंदिर झुक रहा है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अध्ययन में यह बात सामने आई है. जिसमें कहा गया है कि तुंगनाथ मंदिर में करीब 5 से 6 डिग्री तक का झुकाव आया है. जबकि, परिसर में बनी मूर्तियों और छोटे स्ट्रक्चर में 10 डिग्री तक का झुकाव देखने को मिला है. वहीं, तुंगनाथ मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने का बदरी केदार मंदिर समिति और मंदिर के हक हकूकधारी विरोध करेंगे.
राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने का विरोधः बदरी केदार मंदिर समिति का कहना है कि सालों से हक हकूकधारी ही मंदिर का संरक्षण करते आए हैं. ऐसे में वो इस मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने पर विरोध करेंगे. बदरी केदार मंदिर समिति तुंगनाथ मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को सौंपने की पक्षधर में नहीं है.
भगवान शिव की भुजाओं की होती है पूजाः गौर हो कि तुंगनाथ में भगवान शिव पंच केदारों में से तृतीय केदार के रूप में पूजे जाते हैं. यहां पर भगवान शिव की भुजाओं की पूजा होती है. तुंगनाथ धाम एक धार्मिक स्थल के साथ ही बेहद खूबसूरत पर्यटक स्थल भी है. यहां साल भर भक्तों और पर्यटकों का तांता लगा रहता है. तुंगनाथ धाम मिनी स्विट्जरलैंड के रूप में विख्यात पर्यटक स्थल चोपता से ठीक ऊपर बसा हुआ है.
तुंगनाथ मंदिर में 5 से 6 डिग्री तक का झुकावः आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से कराए गए अध्ययन में यह बात निकलकर सामने आ रही है कि तुंगनाथ मंदिर में 5 से 6 डिग्री तक का झुकाव देखा जा रहा है. जबकि, परिसर के अंदर बनी मूर्तियों और छोटे स्ट्रक्चर में 10 डिग्री तक का झुकाव देखने को मिला है. जिससे मंदिर के अस्तित्व को लेकर चिंता बढ़ गई है.
देहरादून सर्किल के सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट भी इस बात को लेकर खासी चिंता जता रहे हैं. उनका भी कहना है कि मंदिर के झुकाव से भविष्य के लिए दिक्कतें हो सकती हैं. ऐसे में तुंगनाथ मंदिर में झुकाव और डैमेज की वजह जानने की कोशिश की जाएगी. अगर संभव हुआ तो जल्द ही इसके ट्रीटमेंट का काम भी शुरू कर दिया जाएगा. इसके साथ ही मंदिर परिसर के निरीक्षण के बाद पूरा डाटा तैयार किया जाएगा.
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एएसआई ने लगाया ग्लास स्केलः एएसआई के अधिकारी मंदिर की जमीन के नीचे के हिस्से के खिसकने और धंसने के कारणों का भी पता लगा रहे हैं. जिस वजह से मंदिर में झुकाव हो रहा है. उनकी मानें तो विशेषज्ञों से सलाह के बाद क्षतिग्रस्त नींव के पत्थरों को बदला जाएगा. फिलहाल, एजेंसी ने ग्लास स्केल को फिक्स कर दिया है, जो मंदिर की दीवार पर मूवमेंट को माप सकता है.
वहीं, दूसरी ओर पूर्व में शासन की ओर से पुरातत्व विभाग को पत्र दिया गया था कि इस मंदिर को अपने अधीन लिया जाए, जिस पर मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने पर विचार किया जा रहा है. इसके लिए आपत्ति भी मांगी गई थी. आपत्ति दर्ज कराने के लिए दो महीने का समय दिया गया है. यह मंदिर भी केदारनाथ धाम की तरह बदरी केदार मंदिर समिति के अधीन आता है. हालांकि, यहां पर स्थानीय हक हकूकधारी भी मंदिर समिति को पूरा सहयोग करते हैं.
तुंगनाथ मंदिर में स्थानीय हक हकूकधारी ही पूजा करते हैं. बदरी केदार मंदिर समिति की ओर से यहां पर पुजारी की नियुक्ति नहीं की जाती है. आज तक इस मंदिर का संचालन बदरी केदार मंदिर समिति और स्थानीय हक हकूकधारी ही करते आए हैं. ऐसे में मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने पर बदरी केदार मंदिर समिति और हक हकूकधारियों ने विरोध करने का निर्णय लिया है.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से तुंगनाथ मंदिर को अपने संरक्षण में लेने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया है. साथ ही मामले में आपत्तियां भी मांगी गई हैं. बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव पर अधिकारियों और हक हकूकधारियों के साथ चर्चा की गई है. सभी मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को सौंपने पर आपत्ति जता रहे हैं तो मंदिर समिति भी आपत्ति दर्ज करेगी. -अजेंद्र अजय, अध्यक्ष, बदरी केदार मंदिर समिति