ETV Bharat / bharat

जेल में बंद सभी कैदियों का एचआईवी परीक्षण कराए सरकार : त्रिपुरा हाईकोर्ट

त्रिपुरा हाईकोर्ट ने सरकार को यह निर्देश जारी किया है कि सभी कैदियों का एचआईवी टेस्ट कराया जाए. साथ ही कोर्ट ने एचआईवी पॉजिटिव मरीजों को उपचार उपलब्ध कराने का भी निर्देश जारी किया है.

prisoners
prisoners
author img

By

Published : Oct 23, 2021, 4:08 PM IST

अगरतला : त्रिपुरा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत मोहंती और न्यायमूर्ति एस तालापात्रा की खंडपीठ ने इस संबंध में अदालत द्वारा दर्ज एक स्वत: संज्ञान याचिका में कैदियों का एचआईवी टेस्ट कराने का आदेश पारित किया है.

कोर्ट ने कहा कि भारत के राज्य और संघ को निर्देश दिया जाता है कि वे एड्स कंट्रोल सोसाइटी के सहयोग से अपने अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करें ताकि राज्य की जेलों में रहने वाले सभी व्यक्तियों, कैदियों या विचाराधीन कैदियों के रूप में पूरी तरह से शोध किया जा सके. ताकि यह पता लगाया जा सके कि पॉजिटिव हैं या नहीं.

इस तरह के किसी भी विचाराधीन कैदी या कैदी को एचआईवी हो सकता है और यदि ऐसा कोई व्यक्ति पाया जाता है, तो उनके इलाज और देखभाल के लिए आवश्यक कार्रवाई भी कानून के अनुसार की जा सकती है. कोर्ट ने आगे निर्देश दिया कि यह तत्काल आधार पर किया जाना चाहिए ताकि एड्स जेलों में महामारी न बने.

अदालत ने निर्देश दिया कि हम इस मामले को तत्काल आधार पर उठाने के लिए संबंधित अधिकारियों पर छोड़ देते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यदि त्रिपुरा राज्य और इसकी जेलों में ऐसा कोई मामला मौजूद है, तो वह महामारी नहीं बननी चाहिए.

यह भी पढ़ें-सुप्रीम कोर्ट: यूपीएससी के लिए चयनित उम्मीदवार को अपना कैडर चुनने का अधिकार नहीं

ऐसे व्यक्तियों की आवश्यक देखभाल और उपचार करना चाहिए. कोर्ट ने आगे आदेश दिया कि कार्रवाई के संबंध में एक रिपोर्ट 9 नवंबर 2021 तक न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जानी चाहिए.

अगरतला : त्रिपुरा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत मोहंती और न्यायमूर्ति एस तालापात्रा की खंडपीठ ने इस संबंध में अदालत द्वारा दर्ज एक स्वत: संज्ञान याचिका में कैदियों का एचआईवी टेस्ट कराने का आदेश पारित किया है.

कोर्ट ने कहा कि भारत के राज्य और संघ को निर्देश दिया जाता है कि वे एड्स कंट्रोल सोसाइटी के सहयोग से अपने अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करें ताकि राज्य की जेलों में रहने वाले सभी व्यक्तियों, कैदियों या विचाराधीन कैदियों के रूप में पूरी तरह से शोध किया जा सके. ताकि यह पता लगाया जा सके कि पॉजिटिव हैं या नहीं.

इस तरह के किसी भी विचाराधीन कैदी या कैदी को एचआईवी हो सकता है और यदि ऐसा कोई व्यक्ति पाया जाता है, तो उनके इलाज और देखभाल के लिए आवश्यक कार्रवाई भी कानून के अनुसार की जा सकती है. कोर्ट ने आगे निर्देश दिया कि यह तत्काल आधार पर किया जाना चाहिए ताकि एड्स जेलों में महामारी न बने.

अदालत ने निर्देश दिया कि हम इस मामले को तत्काल आधार पर उठाने के लिए संबंधित अधिकारियों पर छोड़ देते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यदि त्रिपुरा राज्य और इसकी जेलों में ऐसा कोई मामला मौजूद है, तो वह महामारी नहीं बननी चाहिए.

यह भी पढ़ें-सुप्रीम कोर्ट: यूपीएससी के लिए चयनित उम्मीदवार को अपना कैडर चुनने का अधिकार नहीं

ऐसे व्यक्तियों की आवश्यक देखभाल और उपचार करना चाहिए. कोर्ट ने आगे आदेश दिया कि कार्रवाई के संबंध में एक रिपोर्ट 9 नवंबर 2021 तक न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जानी चाहिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.