अगरतला : पश्चिमी त्रिपुरा कि अदालत ने 14 साल पुराने हत्या के मामले में सात दोषियों को में उम्रकैद की सजा सुनाई. घटना 11 नवंबर, 2008 की है. लाल मोहन सरकार अपने मवेशी के लिए घास काट रहे थे, तभी अचानक सुजीत मालाकर (आरोपी) ने आकर उन्हें रोका. इसके बाद दोनों में विवाद हो गया. विवाद के बाद दोनों पक्षों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई.
लाल मोहन सरकार पर हमले के समय उनकी पत्नी नीरूबाला सरकार और उनका बेटा भी घर पर मौजूद थे. इस मामले में बुधवार को वकील पुलक देबनाथ ने बताया कि उस दिन शाम के सात-साढ़े सात बजे सुजीत मालाकर ने आठ लोगों के साथ मिलकर लालमोहन सरकार पर लाठी, रॉड और धारधार हथियारों से हमला कर दिया. पति पर हमला होता देख पत्नी नीरूबाला सरकार ने हमलावरों को रोकने कि कोशिश की.
सुजीत मालाकर सहित उत्तम सरकार, उज्जल देब, पंकज सूत्रधार, लितन नाग, अमित देब, राजन देब, अजीत सरकार एवं गोपाल पाल ने मिलकर उनपर भी वार किया जिसपर उन्हें सिर पर गंभीर चोटें आयीं. खून बहता देख, लोग मौके से फरार हो गए. इस घटना के बाद नीरूबाला को जीबी पंत अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन उन्होंने भी उसी रात दम तोड़ दिया.
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इसके बाद लालमोहन सरकार के बेटे ने केस फाइल की जिसकी तफ्तीश कर सब इंसपेक्टर ने चार्जशीट तैयार की. इस केस के अंतर्गत 16 लोगों का बयान लिया गया और बुधवार को उत्तम सरकार, उज्जल देब, पंकज सूत्रधार, लितन नाग, अमित देब, राजेन देब, अजीत सरकार को आजीवन कारावास कि सजा सुनाई. हालांकि वकील ने यह भी बताया कि सुजीत मालाकर और गोपाल पाल अब भी फरार हैं.