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उल्फा, केंद्र व असम सरकार के बीच शुक्रवार को त्रिपक्षीय शांति समझौता होगा

United Liberation Front : उल्फा के वार्ता समर्थक धड़े और केंद्र एवं असम सरकारों के बीच कल एक त्रिपक्षीय शांति समझौता होगा. इससे पूर्वोत्तर राज्य में दशकों से चले आ रहे उग्रवाद के समाप्त होने की संभावना है. पढ़िए पूरी खबर... Memorandum of Settlement

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By PTI

Published : Dec 28, 2023, 8:56 PM IST

here will be a tripartite peace agreement
त्रिपक्षीय शांति समझौता होगा

नई दिल्ली : यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के वार्ता समर्थक धड़े और केंद्र एवं असम सरकारों के बीच शुक्रवार को एक त्रिपक्षीय शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे ताकि इस पूर्वोत्तर राज्य में दशकों पुराने उग्रवाद का अंत हो सके. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. शांति समझौते पर यहां हस्ताक्षर के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और उल्फा के अरबिंद राजखोवा नीत वार्ता समर्थक गुट के एक दर्जन से अधिक शीर्ष नेता उपस्थित रहेंगे.

अधिकारियों ने बताया कि कि इस समझौते में असम से जुड़े लंबे समय से लंबित राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर गौर किया जाएगा. इसके अलावा समझौते के तहत मूल निवासियों को सांस्कृतिक सुरक्षा और भूमि अधिकार भी प्रदान किया जाएगा. परेश बरुआ नीत उल्फा का कट्टरपंथी धड़ा इस समझौते का हिस्सा नहीं होगा और वह सरकार द्वारा प्रस्तावित पेशकश को लगातार अस्वीकार करता रहा है.

सूत्रों के अनुसार राजखोवा समूह के दो प्रमुख नेता - अनूप चेतिया और शशधर चौधरी पिछले सप्ताह से राष्ट्रीय राजधानी में हैं और वे सरकारी वार्ताकारों के साथ शांति समझौते को अंतिम रूप दे रहे हैं. सरकार की ओर से उल्फा गुट से बातचीत करने वाले अधिकारियों में खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका और पूर्वोत्तर मामलों पर सरकार के सलाहकार ए के मिश्रा शामिल हैं. परेश बरुआ नीत गुट के कड़े विरोध के बावजूद, राजखोवा धड़े ने 2011 में केंद्र सरकार के साथ बिना शर्त बातचीत शुरू की थी.

बरुआ के बारे में माना जाता है कि वह चीन-म्यांमार सीमा के पास किसी जगह पर रहता है. 'संप्रभु असम' की मांग के साथ 1979 में उल्फा का गठन किया गया था. उसके विध्वंसक गतिविधियों में शामिल रहने के बाद केंद्र सरकार ने 1990 में इस पर प्रतिबंध लगा दिया था.

ये भी पढ़ें - शांति समझौते पर हस्ताक्षर के लिए उल्फा प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली के लिए रवाना

नई दिल्ली : यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के वार्ता समर्थक धड़े और केंद्र एवं असम सरकारों के बीच शुक्रवार को एक त्रिपक्षीय शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे ताकि इस पूर्वोत्तर राज्य में दशकों पुराने उग्रवाद का अंत हो सके. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. शांति समझौते पर यहां हस्ताक्षर के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और उल्फा के अरबिंद राजखोवा नीत वार्ता समर्थक गुट के एक दर्जन से अधिक शीर्ष नेता उपस्थित रहेंगे.

अधिकारियों ने बताया कि कि इस समझौते में असम से जुड़े लंबे समय से लंबित राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर गौर किया जाएगा. इसके अलावा समझौते के तहत मूल निवासियों को सांस्कृतिक सुरक्षा और भूमि अधिकार भी प्रदान किया जाएगा. परेश बरुआ नीत उल्फा का कट्टरपंथी धड़ा इस समझौते का हिस्सा नहीं होगा और वह सरकार द्वारा प्रस्तावित पेशकश को लगातार अस्वीकार करता रहा है.

सूत्रों के अनुसार राजखोवा समूह के दो प्रमुख नेता - अनूप चेतिया और शशधर चौधरी पिछले सप्ताह से राष्ट्रीय राजधानी में हैं और वे सरकारी वार्ताकारों के साथ शांति समझौते को अंतिम रूप दे रहे हैं. सरकार की ओर से उल्फा गुट से बातचीत करने वाले अधिकारियों में खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका और पूर्वोत्तर मामलों पर सरकार के सलाहकार ए के मिश्रा शामिल हैं. परेश बरुआ नीत गुट के कड़े विरोध के बावजूद, राजखोवा धड़े ने 2011 में केंद्र सरकार के साथ बिना शर्त बातचीत शुरू की थी.

बरुआ के बारे में माना जाता है कि वह चीन-म्यांमार सीमा के पास किसी जगह पर रहता है. 'संप्रभु असम' की मांग के साथ 1979 में उल्फा का गठन किया गया था. उसके विध्वंसक गतिविधियों में शामिल रहने के बाद केंद्र सरकार ने 1990 में इस पर प्रतिबंध लगा दिया था.

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