शाहजहांपुर: जनपद के थाना कांट क्षेत्र से एक अंधविश्वास से जुड़ा मामला सामने आया है. एक गांव में सोमवार को बच्ची की सांप के काटने के बाद मौत हो गई. इसके बाद परिजनों ने बच्ची को जिंदा करने के लिए तांत्रिक के कहने पर बच्ची को गोबर और नीम की पत्तियों से ढक दिया. सूचना पर पहुंची पुलिस ने परिजनों को समझा-बुझाकर बच्ची का अंतिम संस्कार करवा दिया. वहीं चिकित्सक ने कहा कि सांप के काटने के एक घंटे के अंदर अस्पताल में पहुंचाने पर मरीज की जान बचाई जा सकती है.
जानकारी के मुताबिक, थाना कांट क्षेत्र के रावतपुर निवासी मंगल सिंह की 6 साल की बेटी परिजनों के साथ रविवार की रात अपनी झोपड़ी में सो रही थी. इसी दौरान झोपड़ी से निकले सांप ने बच्ची को काट लिया. सांप के काटने के बाद परिजनों ने बच्ची को झाड़-फूंक के जरिए ठीक करवाने की कोशिश की. लेकिन फायदा न मिलने पर परिजन बच्ची को अस्पताल लेकर पहुंचे. अस्पताल में चिकित्सकों ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया.
इसके बाद झाड़-फूंक करने वालों द्वारा बच्ची की जिंदा होने की बात कहने पर शव को गोबर में दबा दिया. साथ ही उसके चारों तरफ नीम की पत्तियां लगा दी. परिजनों को उम्मीद थी कि बच्ची जिंदा हो जाएगी. गोबर में शव दबा होने की सूचना तेजी से इलाके में फैल गई. जिसके बाद दूर-दूर गांव से लोग मृत बच्ची को देखने पहुंचने लगे. वहीं सूचना पर पहुंची पुलिस ने परिजनों का काफी समझाया. इसके बाद उन्हें राजी कर शव का अंतिम संस्कार करवा दिया.
शाहजहांपुर मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी विभाग के डॉक्टर राहुल यादव ने बताया कि सांप काटने के बाद एक घंटा का समय गोल्डन पीरियड होता है. अगर एक घंटे के अंदर मरीज को अस्पताल में भर्ती करा दिया तो उसकी जान बचाई जा सकती है. मरीज को झाड़-फूंक के बजाय अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए. नहीं तो मरीज की जान जा सकती है. इस समय अस्तपताल में 3 से 4 सांप द्वारा काटे जाने वाले मरीज प्रतिदिन आ रहे हैं. अस्पताल में ऐसे मरीजों का चिकित्सकों द्वारा मॉनिटरिंग किया जा रहा है.