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BSF कैंप और पुल के विरोध में 200 गांवों के ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन आंदोलन शरू - जल जंगल जमीन की लड़ाई

दक्षिण बस्तर के बाद अब आदिवासियों ने (Tribals in Kanker district of Bastar ) उत्तर बस्तर में जंगी आंदोलन शुरू कर दिया है. छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के पखांजुर क्षेत्र अंतर्गत छोटेबैठिया के बेचाघाट में हजारों आदिवासियों ने अनिश्चितकालीन आंदोलन (Bastar tribals indefinite strike) शुरू कर दिया है. आदिवासी BSF कैंप और पुल बनने का विरोध (Tribals protest over proposed BSF camp) कर रहे हैं.

Chhattisgarh
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Published : Dec 9, 2021, 6:40 PM IST

कांकेर : बेचाघाट में 200 गांवों के हजारों महिला-पुरुष पहुंचे हैं. आदिवासियों का कहना है कि (Tribals in Kanker district of Bastar ) बेचाघाट में सरकार पुल बनाने और बीएसएफ कैम्प खोलने की तैयारी कर रही है. आदिवासी इसका खुला विरोध (Tribals protest over proposed BSF camp) कर रहे हैं.

जल-जंगल, जमीन की लड़ाई

आदिवासियों का कहना है कि पूर्वजों के समय से वे जल, जंगल, जमीन और प्राकृतिक खनिज संपदा की रक्षा करते आ रहे हैं. सरकार ये पुल हमारी सुविधा के लिए नहीं बना रही है, बल्कि इलाके के जल, जंगल, जमीन और खनिज संपदा को लूटने के लिए पुल का निर्माण कर रही है.

200 गांवों के लोगों ने शुरू किया अनिश्चितकालीन आंदोलन

आदिवासियों का यह भी आरोप है कि बीएसएफ कैंप खुलने से सुरक्षाबल के जवान अंदरूनी इलाके में जाकर ग्रामीणों के साथ मारपीट करते हैं. वे ग्रामीणों की सुरक्षा नहीं करते हैं. आदिवासी ग्रामीण जवानों से अपने को असुरक्षित महसूस करते हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि अंदरूनी गांवों में बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने में सरकार नाकाम रही है. अब जल, जंगल, जमीन और खनिज संपदा लूटने के लिए पुलिया बना रही है. हम आदिवासी इसका विरोध करते हैं.

कब तक प्रदर्शन करेंगे आदिवासी ?

आदिवासियों का यह भी कहना है कि जबतक सरकार अपने फैसले से पीछे नहीं हटती और बीएसएफ कैम्प खुलने और पुलिया बनाने का निर्णय वापस नहीं लेती, वे तबतक अनिश्चितकालीन आंदोलन में डंटे रहेंगे.

ग्रामीणों को समझाने की कोशिश

कांकेर पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा (Kanker SP Shalabh Sinha) का कहना है कि छोटेबैठिया के कोटरी नदी में पुल निर्माण होना है. पहले गांव के ग्रामीण नाव से आवागमन करते थे. पुल निर्माण से उन्हें आवागमन में सुविधा मिलेगी. ग्रामीण पुल के बनने का विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों के साथ संवाद जारी है. एसपी ने सुरक्षा बल के कैंप लगने को लेकर कहा कि अबतक कैंप लगने का किसी प्रकार का आदेश नहीं आया है.

पढ़ेंः Farmers Protest : किसान आंदोलन स्थगित, 11 दिसंबर से घर लौटेंगे आंदोलनकारी

कांकेर : बेचाघाट में 200 गांवों के हजारों महिला-पुरुष पहुंचे हैं. आदिवासियों का कहना है कि (Tribals in Kanker district of Bastar ) बेचाघाट में सरकार पुल बनाने और बीएसएफ कैम्प खोलने की तैयारी कर रही है. आदिवासी इसका खुला विरोध (Tribals protest over proposed BSF camp) कर रहे हैं.

जल-जंगल, जमीन की लड़ाई

आदिवासियों का कहना है कि पूर्वजों के समय से वे जल, जंगल, जमीन और प्राकृतिक खनिज संपदा की रक्षा करते आ रहे हैं. सरकार ये पुल हमारी सुविधा के लिए नहीं बना रही है, बल्कि इलाके के जल, जंगल, जमीन और खनिज संपदा को लूटने के लिए पुल का निर्माण कर रही है.

200 गांवों के लोगों ने शुरू किया अनिश्चितकालीन आंदोलन

आदिवासियों का यह भी आरोप है कि बीएसएफ कैंप खुलने से सुरक्षाबल के जवान अंदरूनी इलाके में जाकर ग्रामीणों के साथ मारपीट करते हैं. वे ग्रामीणों की सुरक्षा नहीं करते हैं. आदिवासी ग्रामीण जवानों से अपने को असुरक्षित महसूस करते हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि अंदरूनी गांवों में बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने में सरकार नाकाम रही है. अब जल, जंगल, जमीन और खनिज संपदा लूटने के लिए पुलिया बना रही है. हम आदिवासी इसका विरोध करते हैं.

कब तक प्रदर्शन करेंगे आदिवासी ?

आदिवासियों का यह भी कहना है कि जबतक सरकार अपने फैसले से पीछे नहीं हटती और बीएसएफ कैम्प खुलने और पुलिया बनाने का निर्णय वापस नहीं लेती, वे तबतक अनिश्चितकालीन आंदोलन में डंटे रहेंगे.

ग्रामीणों को समझाने की कोशिश

कांकेर पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा (Kanker SP Shalabh Sinha) का कहना है कि छोटेबैठिया के कोटरी नदी में पुल निर्माण होना है. पहले गांव के ग्रामीण नाव से आवागमन करते थे. पुल निर्माण से उन्हें आवागमन में सुविधा मिलेगी. ग्रामीण पुल के बनने का विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों के साथ संवाद जारी है. एसपी ने सुरक्षा बल के कैंप लगने को लेकर कहा कि अबतक कैंप लगने का किसी प्रकार का आदेश नहीं आया है.

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